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SUV में बैठे-बैठे दुश्मन के ड्रोन का काम तमाम, सेना ने 'इंद्रजाल' बिछाया है

Indrajaal Ranger को टोयोटा की मशहूर गाड़ी Toyota Hilux पर लगाया गया है. ये सिस्टम ऐसे आधुनिक उपकरणों और सिस्टम्स से लैस है जो न सिर्फ Drones का पता लगाएगा, बल्कि उन्हें तबाह भी करेगा. ये एक Anti Drone Patrolling Vehicle है जो Artificial Intelligence से लैस है.

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indrajaal reveals ranger the fully ai enabled anti drone vehicle
indrajaal reveals ranger the fully ai enabled anti drone vehicle
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मानस राज
3 दिसंबर 2025 (Published: 02:47 PM IST)
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मॉडर्न जमाने की जंग कैसे लड़ी जाएगी? तोपों से, बंदूकों से या रडार पर 'चींटी' जितने दिखने वाले विमानों से? ये सारी चीजें अपनी-अपनी जगह पर कारगर हैं. लेकिन आज के वॉरफेयर में अगर दुश्मन को वाकई में परेशान करना है, और उसका ध्यान बंटाना है तो सबसे कारगर जरिया हैं ड्रोन (Drone Warfare). ड्रोन को मारने के लिए कई तरीके हैं. कभी सिग्नल जाम कर के, तो कभी डायरेक्ट हमला. लेकिन हमला करने वाले अधिकतर प्लेटफॉर्म या हथियार इतने भारी भरकम हैं कि उनकी तुरंत मूवमेंट संभव नहीं है. इसी समस्या को हल करने के लिए 'इंद्रजाल' ने एक एंटी-ड्रोन पट्रोलिंग वाहन लॉन्च किया है. नाम है 'इंद्रजाल-रेंजर' (Indrajaal Ranger). इसे टोयोटा की मशहूर गाड़ी हाइलक्स (Toyota Hilux) पर लगाया गया है. ये सिस्टम ऐसे आधुनिक उपकरणों और सिस्टम्स से लैस है जो न सिर्फ ड्रोन्स का पता लगाएगा, बल्कि उन्हें तबाह भी करेगा. तो समझते हैं, क्या खास है इस गाड़ी 'इंद्रजाल-रेंजर' में.

चलते-चलते ड्रोन्स का शिकार 

भारत के बॉर्डर पर हमेशा चुनौतियां बनी रहती हैं. चीन-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी अक्सर बॉर्डर पर निगरानी करने के लिए ड्रोन्स भेजने की कोशिश करते हैं. पंजाब जैसे राज्यों में तो ड्रोन्स पर हथियार और ड्रग्स तक भेजे जाते हैं. ऐसे में बॉर्डर पर शांतिकाल में भी ड्रोन्स की निगरानी जरूरी है. लेकिन एक समस्या जो सामने आती है वो है टारगेट का रेंज में न होना. उदाहरण के लिए मान लीजिए कि बॉर्डर के किसी एक पॉइंट पर एंटी-ड्रोन सिस्टम लगा है, या कोई सैनिक खड़ा है. लेकिन दुश्मन का ड्रोन इतनी दूर से घुसपैठ कर रहा है कि उसे मारा नहीं जा सकता. यानी उसे डिटेक्ट तो कर लिया गया है, लेकिन मार गिराने वाले हथियार की रेंज उतनी नहीं है.

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लॉन्चिंग के दौरान इंद्रजाल रेंजर (PHOTO- Indrajaal)

ये भी संभव नहीं की तुरंत वहां पहुंचा जा सके. यहां जरूरत है एक 'रैपिड मूवमेंट' की. यहीं एंट्री होती है 'इंद्रजाल-रेंजर' की. चूंकि ये एक गाड़ी पर बेस्ड सिस्टम है, इसलिए इसकी मूवमेंट काफी तेज है. और इसमें 4X4 सिस्टम है इसलिए इसके चारों चक्कों में इंजन की पावर जाती है. ऐसे में ये खराब रास्तों या जहां रास्ते न हों, वहां ये आसानी से जा सकती है. इसलिए इसे सेनाओं के लिए मुफीद माना जा रहा है.

ड्रोन के साथ खेल कर देता है रेंजर

रेंजर को काफिले के रास्तों, फॉरवर्ड पोस्ट्स और खतरनाक बॉर्डर इलाकों में तैनात करने के लिए बनाया गया है. इसकी मोबिलिटी इसे उन जगहों पर ऑपरेट करने देती है जहाँ फिक्स्ड एंटी-ड्रोन सिस्टम सीमित या बेअसर होते हैं. बनाने वाली कंपनी के मुताबिक, यह गाड़ी ऑटोनॉमस एयरस्पेस कंट्रोल को मोबाइल प्लेटफॉर्म तक बढ़ाती है, जिससे भारत का डिफेंसिव कवरेज बेहतर होता है. साथ ही रेंजर को AI से भी लैस किया गया है. एक इंटीग्रेटेड साइबर टेकओवर यूनिट, GNSS स्पूफिंग (GNSS Spoofing), RF जैमिंग और एक स्प्रिंग-लोडेड किल स्विच के साथ, रेंजर 4 km के दायरे में दुश्मन ड्रोन को न्यूट्रलाइज माने खत्म करता है. हां हमने GNSS Spoofing और RF जैमिंग का जिक्र सुना. इसे भी समझ लेते हैं.

gnss spoofing
 GNSS स्पूफिंग डिवाइस (PHOTO-Indrajaal)

GNSS स्पूफिंग ड्रोन पर किया हुआ एक अटैक है जिसमें ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) रिसीवर को धोखा देने के लिए एक नकली सिग्नल भेजता है. इससे ड्रोन गलत जगह, समय या वेलोसिटी कैलकुलेट कर अपने तय किए रास्ते से भटक जाता है. वहीं स्पूफिंग रिसीवर को यह यकीन दिलाने के लिए गलत डेटा देता है कि वह कहीं और है, और इससे सिग्नल पूरी तरह से गायब नहीं होता. सिग्नल गायब नहीं होता तो ऑपरेटर को शक नहीं होता और वो ये सोचकर खुश होता रहता है कि उसका ड्रोन सही रास्ते पर है.

RF (रेडियो फ़्रीक्वेंसी) जैमिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें कोई डिवाइस जानबूझकर वायरलेस कम्युनिकेशन को ब्लॉक करता है. यह रुकावट सही डिवाइस को सर्विस देने से मना कर सकता है, डेटा फ्लो में रुकावट डाल सकता है, और कभी-कभी सेंसरशिप के लिए या डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

Mobile Counter-Drone Defence System for Tactical Field Operations
इंद्रजाल रेंजर के पिछले हिस्से में जैमर और एंटी ड्रोन सिस्टम्स लगे हैं (PHOTO-Indrajaal)

इसमें लगा AI सिस्टम दुश्मन ड्रोन का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने में मदद करता है. ये सिस्टम गाड़ी चलते समय भी अच्छे से काम करता है. जिससे रिस्पॉन्स टाइम से समझौता किए बिना चलते हुए काफिले को लगातार सुरक्षा मिलती है. मोबिलिटी और AI का यह जोड़ काउंटर-ड्रोन टेक्नोलॉजी में एक बड़ी तरक्की माना जा रहा है.

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रेंजर 10 किलोमीटर तक खतरों को ट्रैक कर सकता है (PHOTO-Indrajaal)
इंद्रजाल का दिमाग

इंद्रजाल रेंजर की सबसे खास बात है उसका दिमाग. इसे SkyOSTM कहते हैं. हर इंद्रजाल रेंजर में SkyOSTM मिशन ब्रेन की तरह काम करता है. ये गाड़ी में लगे C-UAS (काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम) सेंसर डेटा को एक अहम AI-पावर्ड कंट्रोल कोर में जोड़ देता है. जैसे ही रेंजर अधिक खतरे वाले जोन में जाता है, SkyOSTM लगातार लड़ाई के दायरे में हवा में मौजूद खतरों का पता लगाता है, उन्हें अलग-अलग करता है और उन्हें प्राथमिकता देता है. ये इस चीज को तय करता है कि किस टारगेट से खतरा अधिक है, और किससे कम है. कौन सा ड्रोन ज्यादा करीब है, कौन सा पहुंचने में समय लगाएगा. एक बार लॉक कर लेने पर यह टारगेट को ऑटोमैटिक तरीके से उसे तबाह करने तक ट्रैक करता रहता है.

वीडियो: रखवाले: ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन का इस्तेमाल कैसे हुआ, एयरफोर्स ऑफिसर ने सब बता दिया

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