इंडियन नेवी को मिला सबमरीन हंटर 'INS अंड्रोथ', गहरे समुद्र में बनेगी दुश्मन के पनडुब्बी की कब्र
अपने पिछले अवतार में, INS Androth-P69 ने रिटायर होने से पहले 27 सालों से अधिक समय तक Indian Navy में सेवाएं दी थीं. नए अंड्रोथ के पुराने जहाज की विरासत को आगे ले जाने के उद्देश्य से ही ये नाम दिया गया है.

आज की तारीख में अगर समुद्री जंग हो तो दुश्मन को सबसे ज्यादा नुकसान किसी चीज से होगा? वॉरशिप्स, एयरक्राफ्ट कैरियर या सबमरीन. इसपर एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन एक बात पर सभी एकमत हैं कि एक सबमरीन लाखों टन वजनी एयरक्राफ्ट कैरियर तक को डुबा सकती है, वो भी बिना नजर आए. ऐसे में सबमरीन को ढूंढना और तबाह करना वॉरफेयर के लिहाज से काफी अहम हो जाता है. इसी कड़ी में इंडियन नेवी में एक नया जहाज शामिल हो रहा है. नाम है आईएनएस अंड्रोथ (INS Androth). ये इंडियन नेवी (Indian Navy) का दूसरा एंटी-सबमरीन (Anti-Submarine) जहाज है जिसे 6 अक्टूबर को विशाखापत्तनम स्थित नेवल डॉकयार्ड में इंडियन नेवी में शामिल किया जा रहा है. तो समझते हैं कि क्या है आईएनएस अंड्रोथ, और इससे नेवी की ताकत में कैसे इजाफा होगा?
अपने पिछले अवतार में, आईएनएस अंड्रोथ (P69) ने रिटायर होने से पहले 27 सालों से अधिक समय तक नेवी में सेवाएं दी थीं. नए अंड्रोथ के पुराने जहाज की विरासत को आगे ले जाने के उद्देश्य से ही ये नाम दिया गया है. उन्नत हथियार और सेंसर सूट, आधुनिक संचार सिस्टम और वाटरजेट प्रोपल्शन से लैस, एंड्रोथ पानी के भीतर के खतरों का सटीकता से पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उन्हें बेअसर करने में सक्षम है. इसकी अत्याधुनिक क्षमताएं इसे विभिन्न प्रकार के खतरों से निपटने के लिए समुद्री निगरानी, खोज और बचाव अभियान, और तटीय रक्षा मिशनों को अंजाम देने में भी सक्षम बनाती हैं.
इस जहाज का नाम भारत के लक्षद्वीप स्थित टापू अंड्रोथ के नाम पर रखा गया है. इस जहाज को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने बनाया है. कुल 8 ऐसे जहाज GRSE को बनाने है जिसमें से ये दूसरा जहाज आईएनएस अंड्रोथ है. ये एक एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft) जहाज है. शॉर्ट में इसे ASW-SWC कहा जाता है. इस जहाज को ईस्टर्न नेवल कमांड के प्रमुख वाइस-एडमिरल राजेश पेंढारकर की मौजूदगी में नौसेना में कमीशन किया जाएगा.
इसके नाम में हमने एक शब्द सुना, 'शैलो वाटर्स'. इसका मतलब है कि ये जहाज उथले पानी ने सबमरीन से लड़ने में माहिर है. यानी अगर कोई सबमरीन भारत के तट के नजदीक आई तो इस जहाज को पता चल जाएगा. और वो न सिर्फ पता करेगा, बल्कि समय रहते उन्हें तबाह भी करेगा जिससे वो भारत के नेवल बेस या तट के नजदीक किसी मिलिट्री ठिकाने पर हमला न कर पाए. दिलचस्प बात ये है कि इस जहाज में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी पार्ट्स लगे हैं. लिहाजा रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भी ये महत्वपूर्ण कदम है.
वाटरजेट प्रोपल्शन- एक शानदार तकनीकये जहाज अपनी एक और खासियत के लिए भी जाना जाता है. खासियत है इसमें लगा एक सिस्टम जिसे 'वाटरजेट प्रोपल्शन' कहते हैं. ये पूरी तरह से न्यूटन के तीसरे लॉ पर काम करता है. तीसरा लॉ ये कहता है हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, और वो भी बिल्कुल बराबर. इसी लॉ का इस्तेमाल वाटरजेट प्रोपल्शन में किया जाता है. नेवल मामलों पर नजर रखने वाली वेबसाइट मरीन इनसाइट के मुताबिक इस सिस्टम में एक पंप के जरिए पानी को खींचा जाता है. इसके बाद इसे एक नोजल से गुजारा जाता है जहां इसे और स्पीड दी जाती है. आखिर में इसे जहाज के पीछे लगे नोजल से पूरे फोर्स से छोड़ा जाता है. इसकी वजह से जहाज आगे बढ़ता है.
इस जहाज के कुछ बेसिक फीचर्स पर नजर डालें तो
- लंबाई: 77 मीटर
- प्रोपल्शन: डीजल इंजन के साथ वाटरजेट, जो इसे तेज चलने और जल्दी टर्न करने में मदद करता है.
- हथियार: हल्के तॉरपीडो, स्वदेशी ASW रॉकेट्स और शैलो वाटर सोनार
- स्वदेशी: 80 प्रतिशत स्वदेशी पार्ट्स
- उन्नत सबमरीन डिटेक्शन सिस्टम
अमेरिका के एक पूर्व नेवल ऑफिसर Alfred Thayer Mahan की एक फेमस लाइन है- "Whoever rules the waves rules the World." माने जो लहरों पे राज करता है, वही दुनिया पर भी राज करेगा. हमारी धरती का 70 प्रतिशत हिस्सा पानी है. इस लिहाज़ से मिलिट्री पावर की बात करें तो नौसेना सबसे अहम हो जाती है. ब्रिटेन के विशाल साम्राज्य के पीछे भी उसकी नेवल पावर का ही हाथ माना जाता है. 'रॉयल नेवी' के विशाल बेड़े की बदौलत ही ब्रिटेन ने एक समय दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर राज किया. कितने ही किस्से हैं जब नौसेना ने लड़ाईयों का रुख बदला है. फ़्रांस का Normandy इस बात का गवाह है. लिहाजा भारत को भी अगर समुद्र में बढ़त बना कर रखनी है तो उसे इस तरह के और भी उन्नत जहाजों को नेवी में शामिल करना होगा.
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