ऑक्सफोर्ड की डिबेट में भारत के वीरांश ने पाकिस्तानी छात्र को पानी पिला दिया
Oxford Union Society में भारत और पाकिस्तान के छात्र के बीच एक डिबेट हुई, जिसमें भारतीय छात्र Viraansh Bhanushali ने पाकिस्तानी छात्र Moosa Harraj को अपने तर्को से लाजवाब कर दिया.

"जिस देश में शर्म नहीं होती उसे आप शर्मिंदा नहीं कर सकते." ये शब्द ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की यूनियन डिबेट में पाकिस्तान के लिए गूंजे. दरअसल यहां एक भारतीय और एक पाकिस्तानी छात्र के बीच डिबेट हुई. डिबेट में भारत की ओर से विरांश भानुशाली (Viraansh Bhanushali) और पाकिस्तान की ओर से मूसा हर्राज (Moosa Harraj) ने हिस्सा लिया. डिबेट हुई तो 27 नवंबर को थी, लेकिन वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है.
इस बहस का टाइटल 'This House Believes That India's Policy Towards Pakistan Is a Populist Disguise for Security Policy' रखा गया था. यानी 'यह सदन मानता है कि पाकिस्तान को लेकर भारत जनता को लुभाने वाली सुरक्षा नीति अपनाता है.' विरांश भानुशाली को इस विषय के खिलाफ अपने तर्क रखने थे, जबकि मूसा हर्राज को इसे डिफेंड करना था.
बहस में विरांश भानुशाली ने साल 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट और मुंबई के 26/11 आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा, “हमने यह बात बेहद मुश्किल परिस्थितियों से सीखी है कि जिस देश (पाकिस्तान) में शर्म नहीं होती, उसे आप शर्मिंदा नहीं कर सकते.”
'भारत की पॉलिसी दिखावे की नहीं, सुरक्षा पर केंद्रित'
बहस के दौरान मूसा हर्राज ने भारतीय पक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में जब भी कोई समस्या होती है तो उसके लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया जाता है. उनका कहना था कि भारत की सरकार पाकिस्तान के नाम का डर दिखाकर लोगों का समर्थन हासिल करना चाहती है. क्या यह सुरक्षा है या सिर्फ राजनीति?
विरांश भानुशाली ने इसका जवाब देते हुए कहा,
मैं मुंबई से हूं. मैंने 26/11 का हमला अपनी आंखों के सामने होते देखा है. जिन ठिकानों पर हमला किया गया उनमें से एक छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस था. मेरी मौसी लगभग हर शाम वहां से गुजरती थीं. उस शाम संयोग से वो बच गईं, लेकिन बाकी 166 लोग नहीं बच सके. क्या आप इसे राजनीति कहेंगे?
मूसा हर्राज ने फिर से सवाल किया, हर देश हिंसा का शिकार होता है. क्या हर बार सख्त नीति अपनाना जरूरी है? क्या यह जनता को खुश करने के लिए नहीं किया जाता? विरांश ने जवाब दिया कि अगर आपके घर के आस-पास चोरियां हो रही हों तो क्या आप दरवाजे पर ताला नहीं लगाएंगे? ताला लगाना दिखावा है या सुरक्षा? भारत की नीति भी कुछ ऐसी ही है.
‘बहस जीतने के लिए तर्क नहीं बस एक कैलेंडर चाहिए’
बहस के दौरान विरांश ने कहा कि उन्हें इस बहस को जीतने के लिए भाषण या तर्क नहीं, सिर्फ एक कैलेंडर का इस्तेमाल करना है. उन्होंने तारीखें गिनाते हुए पूछा कि 1993 में मुंबई बम धमाके हुए, तब कौन सा चुनाव था? 2008 में 26/11 हुआ तब कौन सा चुनाव था? पठानकोट, उरी, पुलवामा, क्या ये सब सिर्फ वोट के लिए हुए? आतंकवाद इसलिए नहीं आया कि हमें वोट चाहिए थे. यह इसलिए आया कि दाऊद इब्राहिम और ISI भारत को आर्थिक और राजनीतिक तौर पर अस्थिर करना चाहते थे. यह युद्ध करने जैसा था.
इस पर हर्राज ने कहा कि अगर ऐसा है तो 26/11 के बाद भारत ने युद्ध क्यों नहीं किया? अगर वाकई में खतरा इना बड़ा था तो? विरांश ने जवाब दिया, “भारत ने जिम्मेदारी दिखाई. उस समय जनता का गुस्सा चरम पर था. अगर पॉपुलिस्ट सरकार होती तो तुरंत युद्ध का विकल्प चुनती. लेकिन कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने संयम रखा और कूटनीति का रास्ता अपनाया. दुनिया को सबूत दिए और बताया कि इसके पीछे कौन है?”
विरांश ने आगे सवाल किया,
लेकिन उस संयम से शांति नहीं मिली? नहीं. बदले में पठानकोट, उरी और पुलवामा हुए. इसके बाद हमें अपनी सुरक्षा को गंभीरता से लेना ही पड़ेगा.
'पहलगाम में धर्म पूछकर मारा गया'
मूसा हर्राज ने फिर से वही राग अलापा. कहा कि आप (भारत) आज भी हर घटना के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हैं. क्या यह सही है? विरांश ने जवाब दिया, “हाल ही में पहलगाम में पर्यटकों को धर्म पूछकर मारा गया. उनसे ये नहीं पूछा गया कि उन्होंने किसे वोट दिया. वे सिर्फ भारतीय थे. क्या यह भी राजनीति है?”
बहस के दौरान हर्राज ने कहा कि क्या भारत युद्ध चाहता है? इसके जवाब में विरांश ने कहा कि भारत युद्ध नहीं शांति चाहता है. भारत चाहता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार हो, एनर्जी और प्रोडक्ट्स का आदान-प्रदान हो. लेकिन जब तक सरहद पार से आतंकवाद को एक पॉलिसी की तरह इस्तेमाल किया जाता रहेगा, तब तक भारत चुप नहीं बैठ सकता.
अपनी स्पीच के अंत में विरांश ने कहा,
कौन हैं विरांश और मूसा?अगर अपने लोगों की जान बचाना पॉपुलिस्ट होना है, तो हां हम पॉपुलिस्ट हैं. लेकिन यह राजनीति नहीं जिम्मेदारी है.
विरांश भानुशाली मुंबई के रहने वाले हैं. फिलहाल यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़र्ड में लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं. 27 नवंबर को उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी की डिबेट में भारत का पक्ष रखा. ये डिबेट 26/11 के 17 साल पूरे होने पर आयोजित की गई थी. जिसका वीडियो 18 दिसंबर को ऑक्सफोर्ड के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया.
पाकिस्तान की तरफ से डिबेट में हिस्सा लेने वाले मूसा हर्राज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हैं. वो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई कर रहे हैं. मूसा पाकिस्तान के रक्षा उत्पादन मंत्री मुहम्मद रजा हयात हर्राज के बेटे हैं.
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