पाकिस्तान को भारतीय एयरबेस की सैटेलाइट तस्वीरें दे रही थी जर्मन कंपनी, लेकिन ISRO ने पूरा गेम बिगाड़ दिया
Operation Sindoor के दौरान Pakistan ने जर्मन और चाइनीज फर्म से Indian Airbases की Satellite Imagery के लिए संपर्क किया था.

पाकिस्तान (Pakistan), बड़ा ही मजेदार मुल्क है. जंग का मैदान हो, या क्रिकेट का, कितना भी हारें लेकिन शक्ल से कॉन्फिडेंस ऐसा झलकता है मानो क्रिकेट में सेंचुरी और जंग में जीत, दोनों इनकी डेली लाइफ का हिस्सा हो. अभी एशिया कप में साहिबजादा फरहान गन सेलिब्रेशन (Asia Cup Gun Celebration) कर रहे थे. बस जनाब को ये मालूम नहीं था कि उन्होंने बल्ला उल्टा पकड़ा है. ठीक वैसे ही जैसे पाकिस्तान एयरफोर्स के एयर वाइस मार्शल औरंगजेब अहमद (Air Vice Marshal Aurangzeb) ‘सेंटर ऑफ ग्रेविटी’ से भारत के जेट्स का पता लगाने का दावा कर रहे थे. जैसे अभी एक खबर आई है की ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान पाकिस्तान को जर्मनी की एक एजेंसी से जो सैटेलाइट तस्वीरें (Satellite Imagery) मिली थीं, वो एक तरह का डिकॉय (Decoy) यानी छलावा था. इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) ने जगह-जगह डमी मॉडल्स लगाए हुए थे जिससे पाकिस्तान को जो जानकारी मिली वो असली विमानों या सिस्टम की नहीं, बल्कि नकली मॉडल्स थे.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने कोशिश खूब की. जगह-जगह हाथ पैर मारे कि उन्हें सैटेलाइट की तस्वीरें मिल जाएं. और पाकिस्तान का जर्मनी स्थित बर्लिन की एक कंपनी से सैटेलाइट तस्वीरों के लिए करार हुआ. लेकिन इसकी खबर भारत को लग गई. इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग की रिपोर्ट बताती है कि भारत के पास इस समय दो चुनौतियां थीं. पहला पाकिस्तान पर हमले जारी रखना, और दूसरा पाकिस्तान को मिल रही जानकारी को ज्यादा से ज्यादा भ्रमित करने वाला बनाना. जब इंडियन एयरफोर्स को पता चला कि उन पर जर्मनी के सैटेलाइट नजर रख रहे हैं तो उन्होंने तैयारी शुरू की. ये बात भी सामने आई कि चीनी सैटेलाइट कंपनी Mizazvision भी पाकिस्तान की मदद कर रही थी.

इन सैटेलाइट्स की नजर जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, अवंतिपुरा, उधमपुर; पंजाब के आदमपुर, पठानकोट, बठिंडा; हरियाणा के सिरसा; राजस्थान के सूरतगढ़ और गुजरात के भुज और नालिया जैसे एयरबेसेज पर थी.लेकिन इसरो के सैटेलाइट्स ने इन्हें इंटरसेप्ट कर लिया. लेकिन इन सैटेलाइट्स को ये बिल्कुल भनक नहीं थी कि इसरो लगातार उनकी पोजीशन पर नजर बनाए हुए है. इधर इंडियन एयरफोर्स ने इनसे बचने के एक तरीका निकाला. मुख्य रूप से एयरफोर्स ने 3 काम किए
- डमी मूवमेंट्स: इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तानी सर्विलांस को दिखाने के लिए डमी एयरक्राफ्ट्स का सहारा लिया. कई ऐसे एयरबेस भी एक्टिव दिखने लगे जो बंद पड़े थे. उन ठिकानों पर गाड़ियां, एयर डिफेंस आदि के मॉडल रखे गए. रडार सिग्नेचर बढ़ाया गया. इससे जो मुख्य ठिकाने थे उन पर जर्मन और चीनी सैटेलाइट्स का ध्यान ही नहीं गया.
- इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर: इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान की नजर से बचने और उन्हें कंफ्यूज करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और जैमर्स जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया. इससे जो सैटेलाइट तस्वीरें पाकिस्तान तक पहुंची, वो काफी डिस्टर्ब हो चुकी थीं.
- एयर डिफेंस: इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तानी हमलों को रोकने के लिए अपने कई लेयर वाले एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया. इसमें लंबी दूरी तक मिसाइल्स को रोकने वाले S-400 सिस्टम से लेकर बराक-8 और आकाश जैसे सिस्टम शामिल थे.
कुल मिलाकर देखें तो भारत न सिर्फ हथियारों के मामले में, बल्कि सैटेलाइट इमेजरी और स्पेस में अपनी क्षमताओं का भी जबरदस्त प्रदर्शन किया. इसरो के RISAT और Cartosat जैसे सैटेलाइट्स ने इंटेलिजेंस जुटाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यही वजह थी कि जब भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेसेज पर हमला किया तो वो उनके लिए बिल्कुल सरप्राइज की तरह था.
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