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भारत-यूएस ट्रेड डील पटरी पर लौट रही, लेकिन H-1B वीजा पर अमेरिका ने 'अच्छी बात' नहीं बोली

India-US Trade Talks: दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई यह बैठक भले ही कोई औपचारिक बातचीत न हो. लेकिन इसे एक ‘उपयोगी’ मुलाकात माना जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि बैठक के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े हुए तनाव में कमी आ सकती है.

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India US Talks: H1-B Visa Matter Separate From Other Trade
प्रधानमंत्री मोदी और डॉनल्ड ट्रंप. (फाइल फोटो- PTI)
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रिदम कुमार
26 सितंबर 2025 (Updated: 26 सितंबर 2025, 09:15 AM IST)
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भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों को लेकर तनातनी अब भी जारी है. इस बीच भारत के मुख्य व्यापार वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय डेलिगेशन हाल ही में अमेरिका से लौट आया है. वहां उन्होंने अमेरिका के वाणिज्य प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर से मुलाकात की. पता चला है कि दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर बातचीत एक बार फिर पटरी पर लौटती दिख रही है. रही बात H-1B वीज़ा के मुद्दे की तो इस पर अलग से बात होगी. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई यह बैठक भले ही कोई औपचारिक बातचीत न हो. लेकिन इसे एक ‘उपयोगी’ मुलाकात माना जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि बैठक के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े हुए तनाव में कमी आ सकती है. इतना ही नहीं बातचीत को पॉजिटिव दिशा मिलने की उम्मीद है. 

H-1B वीजा पर भारत-अमेरिका

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को साफ कर दिया है कि H-1B वीज़ा को व्यापार समझौते से अलग रखा जाएगा. अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि H-1B वीजा का मुद्दा व्यापार वार्ता से पूरी तरह अलग है. इसे अलग से निपटाया जाएगा. उन्होंने कहा कि वीज़ा पॉलिसी ग्लोबल लेवल पर तय होती है. यह सिर्फ भारत के लिए नहीं है. इसमें बदलाव के लिए अमेरिकी कानून में बदलाव की जरूरत होगी.

रूस से तेल खरीद सबसे बड़ा मुद्दा

एक अमेरिकी अधिकारी ने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता में रूसी तेल की खरीद सबसे गंभीर मुद्दा बना हुआ है. अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी तेल की खरीद में कमी लाए ताकि यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए दबाव बनाया जा सके.

भारत के लिए कम होगा टैरिफ

अधिकारी ने कहा कि अमेरिका में दोनों टीमों के बीच हुई बैठक औपचारिक वार्ता नहीं थी. हालिया मौजूदा मुद्दों को टुकड़ों में सुलझाने के बजाय एक ही समाधान खोजने का प्रयास किया जा रहा है. इन मुद्दों के सुलझने के बाद भारत के लिए टैरिफ का एक नया प्रतिशत तय होगा.

बातचीत के दौरान अमेरिकी अधिकारी ने निवेश को लेकर बेहद जरूरी इशारा किया. भारत की ओर से निवेशकों की घटती संख्या को लेकर उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार अमेरिका में निवेश करने में रुचि दिखाए तो दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हो सकते हैं.

ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ेगी साझेदारी

बता दें कि भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अभी भी अमेरिका में हैं. वह वहां अमेरिकी कंपनियों के टॉप अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं ताकि भारत में निवेश को बढ़ावा मिल सके. गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा में अमेरिका को एक अहम साझेदार मानता है. भारत की ऊर्जा जरूरतों में अमेरिका की भागीदारी आने वाले वर्षों में और बढ़ेगी. उन्होंने अमेरिका में विकसित हो रहे Small Modular Reactors (SMR) जैसी तकनीकों में भी रुचि दिखाई. कहा कि दोनों देश परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम करते रहेंगे. 

गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा रूसी तेल खरीद को लेकर भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद भारत अब अमेरिका से ऊर्जा आयात बढ़ाने की योजना बना रहा है. पिछले कुछ महीनों में भारतीय तेल कंपनियों ने अमेरिका से तेल की खरीद में इजाफा किया है. इसे संकेत माना जा रहा है कि भारत व्यापार समझौते के लिए अमेरिका को ऊर्जा के क्षेत्र में और मौका दे सकता है.

वीडियो: आखिर राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने H1B US visa वाला फैसला क्यों लिया? शेयर मार्केट पर क्या असर होगा?

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