ऑपरेशन सिंदूर में Heron ड्रोन ने पाकिस्तान को धुआं-धुआं कर किया था, भारत फिर खरीद रहा है
Operation Sindoor के दौरान Heron Drone तस्वीरें, इंटेलिजेंस जुटाता, रियल टाइम सर्विलांस करता, और दूसरा Attack Drone टारगेट को मलबा बना आता था. इंटरनेट पर तो भारत के ड्रोन्स को पाकिस्तान का 'National Bird' तक कहा जाने लगा.

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारत द्वारा किए गए हमलों से बौखलाए पाकिस्तान ने अगले दिन से अपने ड्रोन भारत में भेजने शुरू किए. भारत के एयर डिफेंस सिस्टम्स (Indian Air Defence Systems) ने इन्हें तोड़ डाला. अब तक भारत तनाव न बढ़ाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन जब आम लोगों के घरों पर शेलिंग (Shelling) और हमले हुए तो भारत ने भी अपने तरकश में मौजूद ड्रोन निकाला. इस ड्रोन ने पाकिस्तानियों की नाक में दम कर दिया. वो जहां जाते, आसमान में भारत की ये आंख उन्हें देखती रहती. हर पल उन्हें इंडियन ड्रोन्स का खौफ सताने लगा. इस ड्रोन का नाम था हेरोन (Heron Drone) जिसे भारत ने इजरायल से खरीदा है.
पाकिस्तान का ‘राष्ट्रीय पक्षी’पाकिस्तान ने 7 मई से भारत के साथ ड्रोन वॉरफेयर शुरू किया. उसने चीन और तुर्किए में बने ड्रोन्स के अलावा कुछ ऐसे साधारण ड्रोन भी भेजे जिन्हें शादियों में फोटोग्राफी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन भारत के ड्रोन बेड़े में रुस्तम, हेरोप से लेकर हेरोन जैसे ड्रोन थे. एक तस्वीरें, इंटेलिजेंस जुटाता, रियल टाइम सर्विलांस करता, और दूसरा टारगेट को मलबा बना आता था. इंटरनेट पर तो भारत के ड्रोन्स को पाकिस्तान का 'राष्ट्रीय पक्षी' तक कहा जाने लगा. और खरीदने के बाद भारत इसे सिर्फ जासूसी तक ही सीमित नहीं रखेगा, बल्कि हथियार से भी लैस करेगा. तो जानते हैं, क्या है इस ड्रोन की खासियत, और कैसे ये हथियार से लैस होने के बाद रावलपिंडी तक पहुंच रखता है.

इस ड्रोन को इजरायल की कंपनी 'इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज' (IAI) ने बनाया है. ये एक ISR ड्रोन है. यानी ये इंटेलिजेंस (I), सर्विलांस (S) और रिकॉनसेंस (R) मिशन में इस्तेमाल किया जाता है. फिलहाल में इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स; सेना के तीनों अंग इस ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा भारत की इंटेलिजेंस एजेंसियां भी अपने सीक्रेट मिशंस के लिए इस ड्रोन को तैनात करती हैं. क्या है इस ड्रोन के फीचर्स, उन पर भी नजर डाल लेते हैं.
- लंबाई: 8.5 मीटर
- विंगस्पैन: 16.6 मीटर
- अधिकतम टेक-ऑफ वजन: 1,430 किलोग्राम
- अधिकतम वजन उठाने की क्षमता (पेलोड): 490 किलोग्राम
- इंजन: 1,200hp PT6 टर्बो प्रॉप
- हवा में रहने की क्षमता: 40 घंटे से अधिक
- रेंज: 1 हजार किलोमीटर
- रफ्तार: 277 किलोमीटर प्रति घंटा
- सर्विस सीलिंग (ऊंचाई): 35 हजार फीट
आने वाले समय में हेरोन मार्क-2 को हथियारों से लैस करने पर भी बात चल रही है. शुरुआती चरण में इसे एंटी टैंक हथियार और मिसाइल्स से लैस किया जाएगा. सटीकता के लिए इस ड्रोन में सैटकॉम एंटीना (SATCOM Antenna) लगा है जो बेस से संपर्क बनाए रखने में काफी कारगर है. साथ ही इसमें टारगेट ढूंढने के लिए ELTA EL/M-2022A(V3) एयरबॉर्न एंड मैरीटाइम सर्विलांस रडार लगा है. इसमें थर्मल सेंसर से लेकर नाइट विजन जैसे एडवांस फीचर भी हैं. अगर टारगेट कहीं छुपा हो और ड्रोन के कैमरे की नजर में न आ रहा हो तो इसके सेंसर टारगेट से निकल रही गर्मी (Heat Signature) को भांप सकते हैं.
वीडियो: रखवाले: ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन का इस्तेमाल कैसे हुआ, एयरफोर्स ऑफिसर ने सब बता दिया