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जीजाजी की डिग्री पर 3 साल डॉक्टर बनकर 'दिल' का इलाज करता रहा, दीदी ने ही पकड़वा दिया

Lalitpur, UP: आरोपी को 2022 में National Health Mission के माध्यम से Cardiologist के पद पर नियुक्त किया गया था. पूरी तरह से Fake Doctor होने के बावजूद भी किसी को उस पर शक नहीं हुआ. वह किसी असली डॉक्टर की तरह ही जांच रिपोर्ट पढ़ता, मरीजों का चेकअप करता और दवा भी लिखता था.

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iit engineer become fake doctor treated patients as cardiology specialist using jijai degree
फर्जी डॉक्टर बन तीन साल लोगों का इलाज करता रहा (PHOTO-India Today)
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मानस राज
12 दिसंबर 2025 (Updated: 12 दिसंबर 2025, 01:10 PM IST)
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साल 2020 की बात है. बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लल्लनटॉप की चुनाव यात्रा चल रही थी. इसी दौरान लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी को सासाराम में एक व्यक्ति मिला.  ये व्यक्ति गांव के लोगों को दवा देता था. पूछने पर बताया कि वो डॉक्टर नहीं 'प्रैक्टिशनर' है. माने डिग्री नहीं है, लेकिन जानकारी भरपूर है. अब ऐसा ही एक प्रैक्टिशनर यूपी के ललितपुर जिले में सामने आया है. ये व्यक्ति तीन सालों तक जिला अस्पताल में 'दिल का डॉक्टर' रहा. लोगों का इलाज भी किया. बाद में पता चला कि ये व्यक्ति अपने जीजाजी की मेडिकल डिग्री में फर्जीवाड़ा कर के डॉक्टर बन गया.

दीदी ने पकड़वा दिया

ये पूरा मामला उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले का है. यहां अभिनव सिंह नाम का एक व्यक्ति बीते 3 सालों से मेडिकल कॉलेज में 'हृदय रोग विशेषज्ञ' के तौर पर काम कर रहा था. माने लोगों के दिल का इलाज करने वाले की नीयत में ही खोट निकल गया. सब कुछ ठीक चल रहा था. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक जिला मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर सोनाली सिंह नामक एक महिला, प्रिंसिपल डॉक्टर मयंक शुक्ला से मिलने आईं. उन्होंने प्रिंसिपल के पास शिकायत दर्ज कराई कि मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में काम कर रहे डॉक्टर राजीव गुप्ता उनके पति हैं,  लेकिन बस नाम के. असल में वो अमेरिका में डॉक्टरी कर रहे हैं. जो व्यक्ति डॉक्टर राजीव बन कर यहां काम कर रहा है, वो असल में उनका भाई अभिनव सिंह है. डॉक्टर सोनाली के मुताबिक उनके भाई ने अपने जीजाजी के सर्टिफिकेट्स पर अपना नाम चढ़ा कर धोखे से डॉक्टर की पोस्ट हासिल की है. इतना सुनना था कि कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया.

तीन सालों तक किसी को शक नहीं हुआ 

मामला सामने आते ही अस्पताल प्रशासन ने इसकी जांच शुरू की. जांच में पता चला कि अभिनव को 2022 में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के माध्यम से कार्डियोलॉजिस्ट के पद पर नियुक्त किया गया था. पूरी तरह से फर्जी होने के बावजूद भी किसी को उस पर शक नहीं हुआ. वह किसी असली डॉक्टर की तरह ही जांच रिपोर्ट पढ़ता, मरीजों का चेकअप करता और दवा भी लिखता था. प्रिंसिपल डॉक्टर मयंक शुक्ला के मुताबिक वह तीन सालों तक संवेदनशील माने जाने वाले ह्रदय रोग विभाग में तैनात रहा. लेकिन किसी को शक नहीं है कि वो डॉक्टर नहीं बल्कि इंजीनियर है.

फर्जी डिग्री सुना था, यहां इंसान ही फर्जी निकला 

अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां लोग फर्जी डिग्री के माध्यम से नौकरी पा लेते हैं. लेकिन इस मामले में डिग्री तो असल है. जिस व्यक्ति की डिग्री है, वो भी असली है, लेकिन उसका इस्तेमाल कोई और अपने नाम पर कर रहा है. प्रिंसिपल ने बताया कि आरोपी अभिनव ने दस्तावेजों में नाम, फोटो और सिग्नेचर बदल कर व्यवस्थित तरीके से फर्जी पहचान बनाई थी. उनके मुताबिक ये केवल डिग्री की जालसाजी नहीं, बल्कि पूरी पहचान को बदलने का मामला भी है. ऐसे में कुछ और भी धाराएं आरोपी पर लगाई जाएंगी. इन आरोपों की जांच एक विशेष समिति करेगी. 

इस मामले में समिति इस एंगल की जांच भी करेगी कि कहीं इसमें किसी कर्मचारी की मिलीभगत तो नहीं थी? नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों को वेरिफाई क्यों नहीं किया गया? प्रशासन ने साफ कहा है कि अब अभिनव सिंह से साढ़े तीन सालों की पूरी सैलरी वसूली जाएगी. प्रिंसिपल ने यह भी साफ किया है कि यह मामला सामने आने के बाद अब मेडिकल कॉलेज में हुई सभी नियुक्तियां जांच के घेरे में है. शायद आरोपी अभिनव स्पेशल-26 मूवी देखी थी. मूवी में अक्षय कुमार का किरदार सीबीआई नहीं जॉइन कर पाता. लिहाजा वो अपनी फर्जी सीबीआई ही खोल लेता है. लेकिन यहां डॉक्टर बनने के लिए अभिनव ने असली विभाग में ही घुसपैठ कर दी. क्योंकि खुद का मेडिकल कॉलेज खोलना, वो बी फर्जी, ये जरा मुश्किल काम था.

वीडियो: वो एक्टर, जिसने शाहरुख़ ख़ान की फर्जी डिग्री बनवा दी थी

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