IBPS क्लर्क परीक्षा में AI का इस्तेमाल! लखनऊ पुलिस ने सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश किया
IBPS Clerk Exam में एक सॉल्वर गैंग पकड़ी गई है. गैंग का मास्टरमाइंड एक बैंक का मैनेजर है. उसने बैंक के कर्मचारियों, सॉल्वर और दलालों का नेटवर्क बना रखा था, जो कि उम्मीदवारों से पैसे लेकर उन्हें फर्जी तरीके से परीक्षा पास कराते थे. फर्जीवाड़े के लिए हाईटेक AI तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था.

आईबीपीएस क्लर्क की बैंक परीक्षा में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. लखनऊ पुलिस ने एक ऐसी गैंग का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी तरीके से दूसरों का पेपर सॉल्व करते थे. इसके लिए उम्मीदवारों से लाखों रुपये लिया जाता था. एक बैंक का असिस्टेंट मैनेजर इस पूरी गैंग को चला रहा था. आरोपी AI के जरिए उम्मीदवारों की फर्जी तस्वीरें बनाते थे और फिर सॉल्वर से पेपर दिलवाते थे. पुलिस ने गैंग के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया है.
बिजनौर में पकड़ा गया था फर्जी अभ्यर्थीपूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक फर्जी उम्मीदवार पकड़ा गया. यहां अभिषेक नाम का शख्स अभ्यर्थी गौरव आदित्य की जगह एग्जाम दे रहा था. परीक्षा केंद्र के संचालक शैलेंद्र वाजपेई को उस पर शक हुआ तो उन्होंने पुलिस को गड़बड़ी की सूचना दी. इसके बाद पुलिस ने अभिषेक को हिरासत में लेकर पूछताछ की.
बैंक मैनेजर निकला मास्टरमाइंडअभिषेक से पूछताछ पर पूरी सॉल्वर गैंग के बार में पता चला. पुलिस के अनुसार खुद अभिषेक पिछले कई सालों से अलग-अलग उम्मीदवारों की जगह परीक्षा दे चुका है. डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि पूरी गैंग का मास्टरमाइंड आनंद कुमार है, जो कि यूपी ग्रामीण बैंक खबूपुरा, संभल में असिस्टेंट मैनेजर है. उसने बैंक कर्मियों, सॉल्वरों और दलालों की पूरी टीम बना रखी थी. यहां तक कि कुछ ऑफिसर रैंक के लोग भी उसके साथ जुड़े हुए थे.
आजतक से जुड़े अंकित मिश्रा की रिपोर्ट के अनुसार पूरी गैंग काफी योजनाबद्ध तरीके से काम करती थी. आनंद सबसे पहले रोहित नाम के दलाल के माध्यम से परीक्षा के उम्मीदवारों से संपर्क करता था. इसके बाद उम्मीदवारों से पैसे लेकर परीक्षा पास कराने की गारंटी दी जाती थी. मास्टरमाइंड आनंद उम्मीदवारों से 2 लाख रुपये एडवांस लेता था, फिर सॉल्वर की व्यवस्था करता था. प्रीलिम्स परीक्षा में बैठने वाले सॉल्वर को 20 हजार रुपये दिए जाते थे. वहीं मेन एग्जाम देने वाले को एक लाख रुपये तक मिलते थे. बाकी रकम गैंग के अन्य सदस्यों में बांटी जाती थी. परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों से कुल पांच लाख बीस हजार रुपये वसूले जाते थे.
AI के जरिए करते थे चीटिंगआरोपियों ने चीटिंग के लिए ऐसे हाईटेक तरीके भी अपनाए थे, जिससे पता ही नहीं चलता था कि अभ्यर्थी असली है या नकली. गैंग के लोग अभ्यर्थी और सॉल्वर की तस्वीरों को फेस मिक्सिंग एप, जैसे- MIXX, GRINDR, REMINI AI, CHAT GPT और FOTOR की मदद से एडिट करते थे. AI तकनीक से दोनों के चेहरे को 70 फीसदी तक एक जैसा बना दिया जाता था. इससे यह पहचानना मुश्किल हो जाता था कि अभ्यर्थी की फोटो सॉल्वर से अलग है. फिर यही एडिट की गई फोटो अभ्यर्थी के एप्लीकेशन फॉर्म और एडमिट कार्ड में लगाई जाती थी. इसके बाद सॉल्वर असली अभ्यर्थी की जगह परीक्षा दे देता था.

पुलिस के मुताबिक मास्टरमाइंड आनंद को बैंकिंग सेक्टर की पूरी जानकारी थी. वह खुद भी बैंक के कई एग्जाम दे चुका था. इसी का फायदा उठाकर उसने गैंग बनाई. चूंकि वह बैंक में काम करता था, इस वजह से उसका परीक्षा के कई उम्मीदवारों और तैयारी करने वाले छात्रों से संपर्क था. उसने फिर सॉल्वर और दलालों का नेटवर्क बनाया. कई बैंककर्मियों और स्केल-1 ऑफिसर्स को अपनी गैंग में शामिल किया. गैंग के लोगों को बैंकिंग परीक्षाओं और आईबीपीएस पैटर्न की पूरी जानकारी थी. गैंग के हर सदस्य का काम भी बंटा हुआ था. जैसे कुछ लोग फॉर्म भरते थे, कुछ एडिटिंग, कुछ लोगों का काम परीक्षा देना था और इंटरव्यू के लिए भी लोग रखे गए थे.

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गैंग के 10 मेम्बर गिरफ्तारडीसीपी निपुण ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने गैंग के सरगना आनंद समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. पकड़े गए आरोपियों के नाम आनंद कुमार, गौरव आदित्य, हर्ष , भगीरथ, सुधांशु, धनंजय , राजीव नयन पांडेय , मुकेश, आशीष रंजन और अभिषेक हैं. वहीं कुछ आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. उनकी तलाश की जा रही है. पुलिस की चार टीमें बिहार और उत्तर प्रदेश में दबिश दे रही हैं. बिहार पुलिस से भी संपर्क किया गया है. पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि गैंग ने अब तक कितने अभ्यर्थियों को सॉल्विंग के जरिए बैंक की नौकरी दिलवाई है.
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