Hinduja Group के चेयरमैन गोपीचंद हिंदुजा का निधन
गोपीचंद हिंदुजा इस परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य थे. 1959 में उन्होंने मुंबई में अपने फैमिली बिजनेस को आगे बढ़ाना शुरू किया. उनके नेतृत्व में ग्रुप ने पारंपरिक व्यापार से औद्योगिक दिग्गज बनने की यात्रा तय की.

Hinduja Group के चेयरमैन गोपीचंद पी हिंदुजा का निधन हो गया है. वे कई हफ्तों से बीमार चल रहे थे. लंदन के एक अस्पताल में दिग्गज बिजनेस टाइकून ने अंतिम सांस ली. 85 वर्षीय गोपीचंद हिंदुजा को बिजनेस जगत में 'GP' के नाम से जाना जाता था. मई 2023 में अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद उन्होंने ग्रुप की कमान संभाली थी.
गोपीचंद हिंदुजा और उनके भाइयों का नाम बोफोर्स घोटाले में भी आया था. CBI ने अक्टूबर 2000 में उन पर आरोप लगाए थे. हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने मई 2005 में सबूतों के अभाव के कारण हिंदुजा ब्रदर्स के खिलाफ सभी आरोप खारिज कर दिए थे. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ CBI की अपील भी खारिज कर दी थी.
हिंदुजा ग्रुप की शुरुआत साल 1919 में परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने की थी. उन्होंने सिंध (अब पाकिस्तान का हिस्सा) से ईरान जाकर व्यापार शुरू किया था. 1979 में इसका मुख्यालय लंदन ट्रांसफर किया गया. गोपीचंद हिंदुजा इस परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य थे. 1959 में उन्होंने मुंबई में अपने फैमिली बिजनेस को आगे बढ़ाना शुरू किया. उनके नेतृत्व में ग्रुप ने पारंपरिक व्यापार से औद्योगिक दिग्गज बनने की यात्रा तय की.
गोपीचंद ने हिंदुजा ग्रुप का बिजनेस बैंकिंग, फाइनेंस, एनर्जी, ऑटोमोटिव, मीडिया और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर्स में बढ़ाया. उनकी लीडरशिप में ग्रुप ने सबसे बड़े एक्विजिशन किए. 1984 में गल्फ ऑयल और तीन साल बाद अशोक लेलैंड. मुंबई के जय हिंद कॉलेज से ग्रेजुएट 'GP' को बिजनेस में उनके योगदान के लिए लंदन की वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी से 'ऑनरेरी डॉक्टरेट ऑफ लॉ' और रिचमंड कॉलेज से ‘ऑनरेरी डॉक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स’ की डिग्री मिली.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई बेस्ड हिंदुजा ग्रुप पूरी दुनिया में लगभग 2 लाख लोगों को रोजगार देता है. इसमें फाइनेंस, ऑटोमोटिव, एनर्जी, मीडिया और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर्स शामिल हैं. फैमिली के पास काफी बड़ा रियल एस्टेट पोर्टफोलियो भी है. उनकी सबसे बड़ी प्रॉपर्टी व्हाइटहॉल की ओल्ड वॉर ऑफिस बिल्डिंग है. इसे हाल ही में रैफल्स लंदन होटल बनाया गया है. ये होटल सितंबर 2023 में शुरू हुआ था. ग्रुप कार्लटन हाउस टेरेस का भी मालिक है. जो बकिंघम पैलेस के पास बनी एक आलीशान प्रॉपर्टी है.
गोपीचंद के छोटे भाई प्रकाश मोनाको में रहते हैं. सबसे छोटे भाई अशोक मुंबई से भारत में ऑपरेशंस संभालते हैं. परिवार में उनकी पत्नी सुनीता, बेटा संजय और धीरज और बेटी रीता हैं.
मार्च 1986 में भारत और स्वीडिश हथियार निर्माता कंपनी AB बोफोर्स के बीच 1,437 करोड़ रुपये की डील हुई. बोफोर्स को भारतीय सेना के लिए 400 हॉवित्जर तोपें सप्लाई करनी थीं. एक साल बाद, अप्रैल 1987 में स्वीडिश रेडियो ने खुलासा किया कि बोफोर्स ने डील हासिल करने के लिए राजनीतिक और रक्षा अधिकारियों को रिश्वत दी थी. इसके बाद तत्कालीन भारत सरकार ने बोफोर्स को ब्लैकलिस्ट कर दिया. उस समय प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी पर भी ‘पे-ऑफ लेने’ का आरोप लगा था.
जनवरी 1990 में, CBI ने AB Bofors के तत्कालीन प्रेसिडेंट मार्टिन आर्डबो, हिंदुजा ब्रदर्स और मिडिलमैन माने जाने वाले विन चड्ढा के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश के आरोप में FIR दर्ज की. कांग्रेस (INC) के कई सदस्यों पर डील के हिस्से के रूप में किकबैक की रकम लेने का आरोप लगा. हिंदुजा ब्रदर्स, श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाशचंद पर बोफोर्स की मदद के लिए 8.3 मिलियन डॉलर (आज के लगभग 7 करोड़ रुपये) की पेमेंट लेने का आरोप था.
साल 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव के कारण सभी आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप खारिज कर दिए थे. हिंदुजा भाइयों के खिलाफ लगे आरोप भी खारिज कर दिए गए थे. इसके 13 साल बाद 2018 में CBI ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2018 में अपील को खारिज कर दिया था.
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