हरियाणा पुलिस के DGP 'आम आदमी' बनकर साइबर थाना पहुंच गए, फिर...
हरियाणा के डीजीपी ओपी सिंह औचक निरीक्षण के लिए सादे कपड़ो में गुरुग्राम साइबर थाने में पहुंच गए. यहां क्या-क्या हुआ, उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके बताया है.

हरियाणा के गुरुग्राम की साइबर पुलिस थाने में एकदम रोज जैसा दिन. सिपाही से लेकर पुलिस अफसर तक रोज की तरह अपने-अपने काम में व्यस्त. तभी सादे कपड़े में ‘आम आदमी किस्म का’ एक व्यक्ति थाने में आया. बिल्कुल वैसे ही जैसे रोज शिकायत लेकर लोग थाने की दहलीज पर आते हैं. गेट पर जो सिपाही था, उसने भी यही समझा कि ‘ठगी-फ्रॉड’ का शिकार कोई परेशान व्यक्ति है. अपना केस लेकर आया है.
आने वाले व्यक्ति ने पूछा, ‘मुकदमा दर्ज कराना है.’ सिपाही ने सिर उठाकर देखा और बोला, ‘ड्यूटी अफसर दूसरे फ्लोर के कमरा नंबर 24 में हैं.’ उसे नहीं पता था कि जिस व्यक्ति को वह रास्ता दिखा रहा है, वो प्रदेश की पुलिस के मुखिया हैं. यानी हरियाणा के डीजीपी- ओपी सिंह. आज वह बिना प्रोटोकॉल, बिना वर्दी, सादे कपड़ों में यानी एकदम आम आदमी बनकर ‘पिच्चर’ वाले अंदाज में गुरुग्राम के साइबर थाने की असलियत जानने आए थे.
सिपाही के कहने पर वह दूसरे फ्लोर पर गए. वहां से एक वीडियो बनना शुरू होता है. जैसे ही डीजीपी कमरे में दाखिल होते हैं, कैमरा ऑन कर लेते हैं. कमरे में चार-पांच लोग हैं. एक वर्दीधारी. बाकी सिविल ड्रेस में. इनमें से कुछ शिकायतकर्ता हैं. डीजीपी कमरे में घुसते ही पूछते हैं, ‘हां भाई, ड्यूटी अफसर कौन है यहां?’
उन्हें देखते ही वहां मौजूद लाल स्वेटर पहना एक व्यक्ति सावधान की मुद्रा में तनकर खड़ा हो गया, जैसे समझ गया हो कि आनेवाला कौन है? पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया. सब वैसे ही सतर्क हो गए, जैसे कोई प्रोफेसर अचानक क्लास में सरप्राइज इंस्पेक्शन ले ले और स्टूडेंट्स संभलने की कोशिश करें. वर्दी पहना व्यक्ति अभी भी थोड़ा असमंजस में है. लेकिन पीला कपड़ा पहना एक शख्स बहुत आश्वस्त दिखता है तो डीजीपी उससे पूछ लेते हैं, ‘पहचान गए मुझे?’
वो ‘हां’ में सिर हिलाता है तो डीजीपी हंसने लगे. बोले, ‘चलो बैठो सब.’ फिर वर्दी वाले अफसर से पूछा, ‘तुम्हारी कुर्सी कौन सी है?’ उसने एक काली कुर्सी पर हाथ रखकर बताया कि ये है. डीजीपी ने उसे भी बैठने के लिए कहा. कुछ ही मिनटों में ये खबर थाने में फैल गई कि ‘डीजीपी साहब आए हैं. सिविल ड्रेस में.’ देखते ही देखते अफसरों की भीड़ जुटने लगी. पहले CP, फिर DCP, फिर SHO, और अंत में तो DA. एक-एक करके सभी हाजिर हो गए. अचानक थाने की सीढ़ियां किसी वीआईपी मूवमेंट जैसी आवाज करने लगीं.
इसके बाद क्या होता है, इसकी कहानी खुद डीजीपी ओपी सिंह ने अपनी ‘एक्स’ पोस्ट में बताई है.
पहले तो अपने थाने पहुंचने के बारे में उन्होंने लिखा,
जब मैं साइबर थाना गुरुग्राम में Digital Arrest का मुकदमा दर्ज कराने अपनी कार से पहुंचा तो गेट के सिपाही ने नहीं पहचाना. जब मैंने कहा कि मुकदमा दर्ज कराना है तो बोला कि ड्यूटी ऑफिसर सेकंड फ्लोर पर कमरा नंबर 24 में हैं. वहां वो एक शिकायतकर्ता के काम में लगे थे. थोड़ी देर में सीपी, डीसीपी, एसीपी, एसएचओ, डीए एक-एक कर पहुंचे. लंबी वार्ता हुई.
डीजीपी ने बताया कि इसके बाद सभी अफसरों के साथ मीटिंग कर साइबर अपराध को लेकर कुछ अहम फैसले किए गए. तय किया गयाः
– अगर बैंक ने ‘ड्यू डिलिजेंस’ (Due Diligence) नहीं किया है तो साइबर क्राइम का नुकसान बैंक भरेगा. ड्यू डिलिजेंस मतलब बैंक फ्रॉड रोकने के लिए ओटीपी, एसएमएस अलर्ट जैसी जरूरी व्यवस्था.
– फ्रीज हुए छोटे अमाउंट वाले मामले में बगैर FIR के IO लोक अदालत से शिकायतकर्ता को पैसे वापस दिलाएगा.
– इवेंट के जरिए साइबर क्राइम और ड्रग के बारे में Gen Alpha के उत्साही बच्चों की मदद से लोगों को जागरूक किया जाएगा.
डीजीपी के इस कदम पर सोशल मीडिया यूजर्स ने भी खूब बातें कीं. कई लोगों ने इसके लिए डीजीपी की तारीफ की और कहा कि सिस्टम में सुधार तभी आएगा, जब कोई जिम्मेदार व्यक्ति खुद जमीन पर आकर सुने, समझे और फैसले ले. किसी ने कहा कि डीजीपी को ये काम आगे भी करते रहना चाहिए.
वहीं कुछ ऐसे लोग भी थे जो वीडियो पर मजे लेते देखे गए. अनुराग श्रीवास्तव नाम के एक यूजर का ऑब्जर्वेशन देखिए. उन्होंने लिखा, वर्दी वाले ने अंतिम तक (डीजीपी को) नहीं पहचाना था. सुनील नाम के यूजर ने लिखा,
गार्ड ने सोचा होगा, चश्मे का नंबर बढ़ाना पड़ेगा. आज नौकरी जाते-जाते बची है.
जितेंद्र मोंगा ने सुझाव दिया कि डीजीपी एक बार चेहरे पर मास्क लगाकर सादी वर्दी में भी चेकिंग करें.
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