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'उम्मीद पोर्टल' में गड़बड़ी के चलते वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन में देरी, दिसंबर तक ही है डेडलाइन

चार महीने पहले लॉन्च किए गए Umeed Portal में अब तक सिर्फ 4,000 वक्फ संपत्तियों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है, जबकि देश में कुल 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जो करीब 38 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन में फैली हुई हैं.

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Glitches in the 'Umeed Portal' delay registration of Waqf properties
वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने उम्मीद पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतों के बारे में शिकायत की है (सांकेतिक: फोटो आजतक)
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अर्पित कटियार
30 सितंबर 2025 (Published: 11:32 AM IST)
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वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के लिए शुरू किए गए ‘उम्मीद पोर्टल’ (Umeed Portal) में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं, जिसकी वजह से वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन में दिक्कतें आ रही हैं. चार महीने पहले लॉन्च किए गए इस पोर्टल में अब तक सिर्फ 4,000 संपत्तियों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है, जबकि देश में कुल 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जो करीब 38 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन में फैली हुई हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कई राज्यों के वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने पोर्टल पर कानूनी और तकनीकी मुद्दों के बारे में शिकायत की है. उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में, वक्फ अधिकारियों ने बताया कि पोर्टल पंजीकरण के हर स्टेज में Errors यानी गलतियां दिखाता है. जैसे शहर, क्षेत्र या वार्ड के नाम गायब होने से लेकर बार-बार एडमिन लॉगिन फेल होने तक. दूसरी तरफ 'ऑटो-सेव' फीचर की कमी ने भी रफ्तार को धीमा कर दिया है, जिससे यूजर्स को हर बार लॉग इन करने पर पूरी प्रक्रिया को फिर से शुरू करना पड़ता है.

एक सदी तक पुराने हैं रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश के एक वक्फ अधिकारी ने आरोप लगाया कि इस व्यवस्था के लिए पुराने राजस्व रिकॉर्ड की जरूरत होती है, जो राजस्व विभाग के अधिकारी भी नहीं ढूंढ पाते, क्योंकि कुछ रिकॉर्ड तो एक सदी से भी ज्यादा पुराने हैं. उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधीन 2.3 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो देश में सबसे ज्यादा है.

एक दूसरे अधिकारी ने उदाहरण देते इसे बताया. उन्होंने कहा कि उम्मीद पोर्टल ने लखनऊ के एक कब्रिस्तान पर लगभग 80 साल पहले किए गए एक सर्वे की तारीख मांगी थी. उन्होंने कहा, 

वह कब्रिस्तान इस्तेमाल के हिसाब से वक्फ था, लेकिन आज ऐसी जानकारी देने का कोई तरीका नहीं है.

बताते चलें कि अब तक ऐसी कोई जमीन जिसे पहले से मस्जिद, इमामबाड़ा या फिर कब्रिस्तान के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, वह वक्फ की संपत्ति मानी जाती थी. भले ही उस संपत्ति के दस्तावेज वक्फ के पास न हों. इन्हें वक्फ बाय यूजर (Waqf By User) कहा जाता है. नए प्रावधानों के मुताबिक अब सिर्फ वही संपत्ति वक्फ मानी जाएगी, जिसे औपचारिक तौर पर लिखित दस्तावेज या फिर वसीहत के जरिए वक्फ को सौंपा गया हो. ऐसे में उस संपत्ति के कानूनी दस्तावेज वक्फ बोर्ड के पास होना जरूरी हैं. 

उत्तर प्रदेश के एक अन्य वक्फ अधिकारी ने बताया कि पुराने राजस्व रिकॉर्ड फारसी और अरबी भाषा का मिश्रण हैं. उन्होंने कहा, "अगर हम सरकारी विभागों में सड़ रहे दस्तावेजों को प्राप्त करने में कामयाब भी हो जाते हैं, तो उन्हें पढ़ने वाला कोई नहीं है." 

दो साल के लिए मांगी गई थी डेडलाइन

उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक के दौरान, इन सभी मुद्दों को उठाया गया था और सरकार से रजिस्ट्रेशन की समय सीमा कम से कम दो साल बढ़ाने के लिए कहा गया था, लेकिन केंद्र ने सिर्फ छह महीने की अवधि तय की. हरियाणा के एक वक्फ बोर्ड सदस्य ने आरोप लगाया कि पोर्टल को जल्दबाजी में बनाया गया है और इसमें वक्फ बोर्डों के साथ कोई विचार-विमर्श या चर्चा नहीं की गई है.

ये भी पढ़ें: वक्फ बोर्ड बिल लोकसभा में पेश, क्या है नए बिल में जिसका हो रहा है विरोध?

सरकार ने क्या कहा?

अल्पसंख्यक मामलों के सचिव चंद्रशेखर कुमार ने द हिन्दू से बात करते हुए कहा कि सरकार डेटा अपलोड करने में पूर्ण पारदर्शिता रख रही है. शिकायतों का जवाब देते हुए, अधिकारी ने कहा कि एक तकनीकी टीम 24 घंटे के भीतर उठाए गए हर मुद्दे का समाधान करने के लिए काम कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि वक्फ अधिकारियों द्वारा उठाए गए ज्यादातर मुद्दों का समाधान पहले ही किया जा चुका है.  

वीडियो: वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 5 साल वाली शर्त खारिज

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