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रिटायर्ड होते ही बोले पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज, "कानूनी तंत्र से विपक्ष को निशाना बना रही सरकार"

Justice Rishikesh Roy ने Former CJI DY Chandrachud की पीएम मोदी से हुई मुलाकात पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि इस मुलाकात को टाला जा सकता था.

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Justice Rishikesh Roy on Former CJI DY Chandrachud and PM Modi
बाई ओर सुप्रीम कोर्ट से रिटायर जज ऋषिकेश रॉय वहीं दाई ओर पूर्व CJI चंद्रचूर्ण के घर प्रधानमंत्री मोदी. (तस्वीर : इंडिया टुडे)
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सौरभ शर्मा
3 फ़रवरी 2025 (Updated: 3 फ़रवरी 2025, 07:46 PM IST)
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने पिछले साल गणपति पूजा के मौके पर पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ के घर पीएम मोदी के पहुंचने पर टिप्पणी की है. उनका मानना है कि इसे टाला जा सकता था. जस्टिस रॉय 1 फरवरी को ही रिटायर हुए हैं. इसके बाद मीडिया इंटरव्यूज में उन्होंने जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल से लेकर कॉलेजियम सिस्टम तक कई मुद्दों पर अपनी राय रखी.

इंडिया टुडे से जुड़ीं सृष्टि ओझा ने जस्टिस ऋषिकेश रॉय से बात की. इस दौरान पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज ने कहा, “जज कभी भी आधिकारिक समारोह के अलावा सत्ता में बैठे लोगों के साथ बातचीत नहीं करते हैं.” बातचीत में उनसे पूर्व CJI चंद्रचूड़ के घर पीएम मोदी के पहुंचने को लेकर भी राय मांगी गई. इस पर उन्होंने कहा, “यह एक निजी कार्यक्रम था. बेशक, इसके कुछ दृश्य परेशान करने वाले लगे. मेरा मानना ​​है कि इसे टाला जा सकता था.”

उन्होंने आगे कहा, “यह इसलिए मुद्दा बना क्योंकि कार्यक्रम पूजा कक्ष से निकलकर लोगों की नजर में आ गया, इससे अनावश्यक अटकलें पैदा हुईं.” जस्टिस रॉय ने कहा कि अगर यह एक निजी कार्यक्रम मीडिया की नजरों से दूर रहता तो सब कुछ ठीक होता. 

हालांकि, जस्टिस रॉय ने यह भी कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ पूरी तरह से ईमानदार व्यक्ति हैं और उन्हें पूरा विश्वास है कि उस मुलाकात में किसी न्यायिक मामले पर चर्चा नहीं हुई होगी.

जस्टिस शेखर यादव पर क्या बोले?
इसके अलावा उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव की विवादित टिप्पणियों, कॉलेजियम सिस्टम, UCC समेत कई मामलों पर खुलकर अपनी राय रखी. जस्टिस रॉय ने कहा, “जस्टिस यादव ने कॉलेजियम के सदस्यों से मुलाकात की और निजी तौर पर माफी मांगी. लेकिन यह जोर दिया गया कि उनकी माफी सार्वजनिक होनी चाहिए. जब ऐसा नहीं हुआ, तो जांच शुरू की गई. यह प्रक्रिया अभी जारी है.”

कॉलेजियम सिस्टम पर क्या कहा?
जस्टिस रॉय ने कॉलेजियम सिस्टम पर हो रही आलोचनाओं का बचाव करते हुए कहा, “हमारे पास वर्तमान प्रणाली से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.” उन्होंने यह भी बताया कि मौजूदा CJI संजीव खन्ना ने हाल ही में जजों के इंटरव्यू या बातचीत की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. यह प्रथा लगभग छह साल पहले बंद कर दी गई थी. 

इसके अलावा न्यायपालिका में किए जाने वाले बदलावों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वह अधिक महिलाओं को न्यायाधीश के रूप में देखना चाहेंगे. उन्होंने कहा, “हम उस दिशा में प्रगति कर रहे हैं. हालांकि परिणाम तत्काल नहीं हो सकते हैं. कई महिलाएं कानूनी पेशे में आ रही हैं और जिला स्तर के न्यायपालिका के लिए चुनी जा रही हैं.”

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UCC पर क्या कहा?
समान नागरिक संहिता (UCC) को अमल में लाने पर जस्टिस रॉय ने कहा, “कानून लागू करना या न करना विधायिका का निर्णय है. लेकिन यह तय करना कि यह संविधान के अनुरूप है या नहीं, इसका फैसला अदालत करेगी.”

सरकारों पर टिप्पणी
इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस रॉय ने सरकारी तंत्र के गलत इस्तेमाल पर तीखी टिप्पणी की. कहा, “सत्ता में बैठी सरकारें विपक्ष को निशाना बनाने के लिए कानूनी तंत्र का इस्तेमाल कर रही हैं. लोकतंत्र में कोई भी सरकार यह नहीं कह सकती कि वह हमेशा सत्ता में बनी रहेगी. अगर आप सोचते हैं कि आज विपक्ष के लोगों को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है, तो कल अगर मौजूदा सरकार सत्ता में नहीं रहती, तो उन्हें भी अदालत जाने की जरूरत पड़ सकती है."

उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों से परिपक्वता और समझदारी की उम्मीद की जाती है.

जजों के रिटायरमेंट के बाद पद संभालने पर
रिटायरमेंट के बाद जजों का सरकारी पद ग्रहण कर लेना बहस का मुद्दा रहा है. जस्टिस रॉय ने बताया कि ऐसा करने पर उस जज के पूर्व में लिए गए फैसलों की समीक्षा की जाती है. इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि एक बार पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने उनसे पूछा था कि क्या वह रिटायरमेंट के बाद किसी पद में रुचि रखते हैं. इस पर उन्होंने विनम्रता से इनकार कर दिया था. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से भी उन्हें एक प्रतिष्ठित सरकारी पद की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे भी ठुकरा दिया. जस्टिस रॉय ने कहा कि वे किसी सरकारी पद से बंधना नहीं चाहते.

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