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पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ बने प्रोफेसर, छात्रों को कानून पढ़ाएंगे, लेकिन कहां?

जुलाई 2025 से ‘In the Spirit of Justice: The DYC Distinguished Lecture Series’ नाम की सीरीज भी शुरू की जाएगी. इसके जरिए छात्र देश और समाज के सामने मौजूद आधुनिक कानूनी चुनौतियों को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की दृष्टि से समझ सकेंगे.

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चंद्रचूड़ दिल्ली की यूनिवर्सिटी में पढ़ाएंगे कानून (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
15 मई 2025 (Updated: 15 मई 2025, 12:18 AM IST) कॉमेंट्स
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भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ अब छात्रों को कानून पढ़ाते दिखेंगे. दिल्ली के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NLU) में उन्हें ‘विशिष्ट प्रोफेसर’ (Distinguished Professor) के रूप में नियुक्त किया गया है. जस्टिस चंद्रचूड़ की नियुक्ति के बाद संस्थान ने इसे भारतीय कानून की शिक्षा में एक ‘क्रांतिकारी अध्याय’ बताया है. गुरुवार को उनकी नियुक्ति की घोषणा करते हुए नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने कहा, 

जस्टिस चंद्रचूड़ का विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में स्वागत करते हुए हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं. 

एनएलयू के कुलपति जीएस वाजपेयी ने इसे ऐतिहासिक बताया और कहा कि पूर्व चीफ जस्टिस का यूनिवर्सिटी से जुड़ना भारतीय कानूनी शिक्षा की दुनिया में परिवर्तनकारी अध्याय (Transformative Chapter) का प्रतीक है. वह हमारे सबसे प्रगतिशील कानून के जानकारों में से एक हैं, जो अब अगली पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ की मौजूदगी हमारे अकादमिक इकोसिस्टम को गहराई से समृद्ध करेगी. 

वाजपेयी ने कहा कि NLU दिल्ली संवैधानिक अध्ययन केंद्र स्थापित करेगा, जहां जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी सेवाएं देंगे.

कुलपति ने एलान किया कि जुलाई 2025 से ‘In the Spirit of Justice: The DYC Distinguished Lecture Series’ नाम की सीरीज भी शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस सीरीज के जरिए छात्र देश और समाज के सामने मौजूद आधुनिक कानूनी चुनौतियों को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की दृष्टि से समझ सकेंगे.

बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में 2 साल के कार्यकाल के बाद नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे. उन्हें भारत के जूडिशियरी सिस्टम में एक ‘प्रगतिशील आवाज’ के रूप में माना जाता है.

सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने 38 संविधान पीठों में हिस्सा लिया. अयोध्या के बाबरी विवाद, धारा 377 को निरस्त करने और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने समेत कई मुद्दों पर उन्होंने ऐतिहासिक फैसले दिए. वह साल 2013 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रहे. इससे पहले उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में भी न्यायाधीश के रूप में काम किया था.

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