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अरावली का केवल 9 फीसदी हिस्सा 100 मीटर से ऊपर? FSI ने साफ कर दिया

20 नवंबर को Supreme Court ने अपने फैसले में केंद्र सरकार की एक Expert committee की बनाई 'Aravali' की उस परिभाषा को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया है कि स्थानीय भूभाग से 100 मीटर या उससे ऊंचाई वाली भू-आकृतियों को ही 'अरावली' के रूप में मान्यता दी जाएगी. इसके बाद से अरावली को लेकर तमाम तरह की पुष्ट और अपुष्ट दावे किए जा रहे हैं.

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forest survey of india aravali supreme court delhi
FSI ने अरावली को लेकर किए जा रहे दावों पर सफाई दी है. (एक्स, इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
23 दिसंबर 2025 (Published: 11:58 PM IST)
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फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) ने 23 दिसंबर को बताया कि उसने कोई ऐसी स्टडी नहीं की है, जिसमें यह बताया गया हो कि अरावली पर्वत श्रंखला (Aravali Range) का केवल 9 फीसदी हिस्सा 100 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है. अरावली पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के हालिया जजमेंट के बाद से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में FSI के हवाले से ऐसे दावे किए गए थे.

FSI ने एक्स पर अपने आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट कर इन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है. सरकारी एजेंसी ने अपने पोस्ट में लिखा, 

FSI कुछ मीडिया समूह के द्वारा किए जा रहे उन दावों का साफ तौर पर खंडन करता है, जिसमें कहा गया है कि उसने कोई स्टडी की है कि अरावली का केवल 9 प्रतिशत हिस्सा ही 100 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है.

aravali
एक्स

एक अन्य एक्स पोस्ट में FSI ने एक और भ्रामक खबर पर सफाई दी है. एजेंसी ने बताया कि उसने ऐसी कोई स्टडी भी नहीं की है जिसमें यह सुझाव दिया गया हो कि 20 नवंबर, 2025 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद अरावली पहाड़ियों का 90 फीसदी हिस्सा असुरक्षित हो जाएगा.

aravali mountain range
एक्स
ऐसी खबरे क्यों फैल रही हैं?

अरावली पहाड़ियों को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से तमाम तरह की पुष्ट और अपुष्ट खबरें चलाई जा रही हैं. बीती 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार की एक विशेषज्ञ समिति की बनाई अरावली की उस परिभाषा को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया है कि स्थानीय भूभाग से 100 मीटर या उससे ऊंचाई वाली भू-आकृतियों को ही 'अरावली' के रूप में मान्यता दी जाएगी. यानी अब सिर्फ वही पहाड़ या जमीन के ऊंचे हिस्से ‘अरावली पहाड़ियां’ माने जाएंगे, जो अपने आसपास की जमीन से कम-से-कम 100 मीटर ऊंचे हों. इसके अलावा, दो या उससे ज्यादा पहाड़ियों को तभी ‘अरावली पर्वत श्रंखला’ का हिस्सा माना जाएगा, जब वे आपस में 500 मीटर के दायरे में हों.

गुजरात से दिल्ली तक है अरावली का विस्तार

गुजरात से दिल्ली तक देश की तकरीबन 650 किलोमीटर देह पर अरावली फैली हुई है. करीब 2 अरब साल से वह थार के रेगिस्तान और गंगा के ऊपजाऊ मैदान के बीच दीवार बनकर खड़ी है. चंबल, साबरमती और लूणी जैसी अहम नदियां इसके संरक्षण में बह रही हैं. आकार के पैमाने पर जो कहीं पहाड़ लगता है, कहीं पहाड़ी और कहीं सिर्फ टीला. 

वीडियो: क्या अरावली पहाड़ियां खतरे में हैं? पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के दावों में कितनी सच्चाई?

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