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यूपी में साइबर अपराधी फर्जी बेल ऑर्डर बनवाकर जेल से बाहर आ गया, जमानत याचिका अभी भी पेंडिंग

21 फरवरी 2025 के दिन वाराणसी जेल को एक जमानत आदेश भेजा गया. जिसमें लिखा था कि सुनील कुमार को अलीगढ़ के केस में जमानत मिल गई है और उसे रिहा किया जाए. यहां जिस अदालत ने सुनील को जमानत दी थी, वह एक निचली अदालत थी, जबकि इससे ऊपर की अदालत ने पहले ही उसकी जमानत खारिज कर दी थी.

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Fake Bail Order Scam
साइबर ठग ने बनाया फर्जी बेल ऑर्डर. (तस्वीर : इंडिया टुडे)
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संतोष शर्मा
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25 मार्च 2025 (Published: 08:45 PM IST)
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उत्तर प्रदेश में जेल फरारी का अजीब ही मामला सामने आया है. यहां एक कैदी ने कथित तौर पर फर्जी बेल ऑर्डर बनवा कर खुद को रिहा करवा लिया. सुनील कुमार नाम का ये शख्स साइबर अपराधी बताया गया है. उसे साइबर ठगी के आरोप में ही गिरफ्तार किया गया था. सुनील वाराणसी की जेल में कैद था. उसकी जमानत याचिका अभी भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेंडिंग है. अब जेल अधीक्षक सौरभ श्रीवास्तव मामले की जांच कर रहे हैं.

यूपी में फर्जी बेल ऑर्डर बनवाकर आरोपी रिहा

आरोपी सुनील हाथरस का रहने वाला है. इंडिया टुडे से जुड़े ब्रजेश कुमार और संतोष शर्मा की साझा रिपोर्ट के मुताबिक, 23 नवंबर 2023 के दिन अलीगढ़ पुलिस ने उस पर इंश्योरेंस पॉलिसी में ठगी का एक मामला दर्ज किया. इसके बाद 24 फरवरी, 2024 के दिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर अलीगढ़ जेल भेज दिया.

इसी दौरान, वाराणसी पुलिस को भी सुनील के खिलाफ ठगी के एक दूसरे मामले का पता चला. जिस पर वाराणसी कोर्ट ने आदेश दिया कि सुनील कुमार को अलीगढ़ की जेल से वाराणसी जेल में शिफ्ट करवा लिया जाए. इसके बाद सुुनील को वाराणसी जेल लाया गया.

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इस बीच सुनील ने 10 जून, 2024 को अलीगढ़ कोर्ट में अपनी जमानत की अर्जी दी, लेकिन एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज ने उसकी यचिका खारिज कर दी. इसके बाद, उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जमानत के लिए अपील की, जो अभी तक पेंडिंग है.

फर्जी जमानत आदेश कैसे बना?

रिपोर्ट के मुताबिक 21 फरवरी, 2025 के दिन वाराणसी जेल को एक जमानत आदेश भेजा गया. इसमें लिखा था कि सुनील कुमार को अलीगढ़ के केस में जमानत मिल गई है और उसे रिहा किया जाए. दस्तावेज में लिखा था कि एक 'निचली अदालत' ने सुनील को जमानत दी थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी जेल प्रशासन ने इस आदेश की जांच नहीं की. 6 मार्च, 2025 के दिन वाराणसी में चल रहे मामले में सुनील कुमार को जमानत मिल गई. और अगले ही दिन 7 मार्च को उसे जेल से रिहा कर दिया गया. नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि अलीगढ़ का साइबर थाना यही मान कर रहा था कि वह वाराणसी जेल में बंद है.

यह घटना वाराणसी जेल के पूर्व अधीक्षक उमेश सिंह के कार्यकाल में हुई. हाल ही में एक महिला डिप्टी जेलर ने उन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद उनका तबादला सोनभद्र जेल कर दिया गया था. नए जेल अधीक्षक सौरभ श्रीवास्तव ने कहा है कि पूरी घटना की जांच की जाएगी. रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

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