'रिटायर्ड सैनिकों में से सिर्फ 1.9% को ही नौकरी क्यों मिलती है?' रक्षा समिति में राहुल गांधी ने उठाया सवाल
कमेटी के सदस्य Rahul Gandhi ने मीटिंग में बताया कि कई रिटायर्ड सैनिकों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज मिलना मुश्किल होता है.

हाल ही में ‘रक्षा संबंधी स्थायी समिति’ (Standing Committee on Defence) की एक मीटिंग हुई. इस मीटिंग में कमेटी के सदस्यों ने पूछा कि जब रिटायर्ड सैनिकों में से कम से कम 10%-25% को भर्ती करने का प्रावधान है, तो केवल 1.9% रिटायर्ड सैनिकों को ही सरकारी नौकरियों में क्यों शामिल किया जाता है? इसके अलावा, मीटिंग में रिटायर्ड सैनिकों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर भी विचार किया गया.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी के राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी में रिटायर्ड सैनिकों के पुनर्वास, रोजगार के अवसरों और स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा की गई. रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी इस मीटिंग में शामिल हुए. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इस कमेटी के सदस्य हैं. राहुल गांधी ने मीटिंग में बताया कि कई रिटायर्ड सैनिकों को मिलिट्री अस्पतालों में इलाज मिलना मुश्किल होता है.
सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कहा कि जब रिटायर्ड सैनिकों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा जाता है, तो उन्हें अक्सर इलाज में समस्याओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि कई अस्पताल सरकारी बकाया का भुगतान न करने का हवाला देते हुए उनका इलाज करने से इनकार कर देते हैं. राहुल गांधी ने कहा,
कैंसर और गुर्दे के इलाज के लिए उन्हें सिर्फ 75,000 रुपये मिलते हैं. इतनी कम रकम से कैंसर या गुर्दे की बीमारी का इलाज कैसे मुमकिन है? इसे बढ़ाया जाना चाहिए.
कुछ सदस्यों ने यह भी कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) को पूर्व सैनिकों की भर्ती करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हर साल लगभग 60,000 सैनिक रिटायर्ड होते हैं.
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कमेटी के सदस्यों ने बताया कि 2019 में सिर्फ 1.9 प्रतिशत रिटायर्ड सैनिकों की ही भर्ती की गई थी. उन्होंने चिंता जताई कि कोटा सिस्टम का फायदा इसके उम्मीदवारों तक नहीं पहुंच रहा है. सांसदों ने रक्षा मंत्रालय से मौजूदा प्रक्रियाओं का आकलन करने के अलावा नौकरी कोटा और चिकित्सा लाभों के आवंटन में पारदर्शिता बढ़ाने की अपील की.
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