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PMO समेत 12 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के मेल Zoho पर हुए शिफ्ट, क्या है वजह?

Zoho एक भारतीय कंपनी है, जो ऑफिसों और बिजनेस के लिए कई सॉफ्टवेयर टूल्स मुहैया कराती है. यह क्लाउड बेस्ट ऑल इन वन टूल्स होते हैं. यानी इंटरनेट से एक ही जगह पर कई टूल्स का उपयोग किया जा सकता है.

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Emails accounts of 12 lakh central employees including PMO shifted to Zoho know reason
जोहो के लोगो की सांकेतिक तस्वीर. (Photo: ITG)
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सचिन कुमार पांडे
13 अक्तूबर 2025 (Updated: 13 अक्तूबर 2025, 12:46 PM IST)
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भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो की लोकप्रयिता लगातार बढ़ रही है. केंद्र सरकार भी इसे स्वदेशी होने के कारण बढ़ावा दे रही है. अब प्रधानमंत्री कार्यालय समेत 12 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के ईमेल एड्रेस भी जोहो के प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो गए हैं. पहले यह इमेल सर्विस राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के बनाए सिस्टम पर चलती थीं.

अब सभी ईमेल्स को जोहो के Office Suite पर शिफ्ट कर दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया, ताकि कर्मचारियों का डेटा स्वदेशी प्लेटफ़र्म पर सुरक्षित रहे. कंपनी के एक अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि पहले सरकारी कर्मचारी अलग-अलग फाइलों के लिए ओपन सोर्स एप्लिकेशन का उपयोग करते थे. इससे सुरक्षा का खतरा था. अब उन्हें जोहो ऑफिस सूट के इस्तेमाल करने के लिए कहा जा रहा है.

क्या है Zoho?

बता दें कि Zoho एक भारतीय कंपनी है. हालांकि, इसकी स्थापना साल 2005 में अमेरिका में की गई थी, लेकिन बाद में कंपनी ने अपना ऑपरेशन और हेडक्वार्टर 2009 में भारत में शिफ्ट कर लिया था. यह कंपनी ऑफिसों और बिजनेस के लिए कई सॉफ्टवेयर टूल्स मुहैया कराती है. यह क्लाउड बेस्ट ऑल इन वन टूल्स होते हैं. यानी इंटरनेट से एक ही जगह पर कई टूल्स का उपयोग किया जा सकता है. इनमें जोहो मेल, जोहो शीट, जोहो शो, जोहो प्रोजेक्ट जैसी सर्विसेज शामिल हैं. यह माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस और गूगल वर्कस्पेस जैसा ही है. यानी उन टूल्स का इसे भारतीय वर्जन मान सकते हैं.

कंपनी का दावा है कि वह यूजर के डाटा को एक्सेस नहीं करती है और न ही उसे बेचती है. इसलिए स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी इसे अपना रही है. द हिन्दू के अनुसार 3 अक्टूबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें अधिकारियों को ज़ोहो सूट का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया. आदेश में कहा गया

भारत सरकार देश की अर्थव्यवस्था को सर्विस इकोनॉमी से प्रोडक्ट में बदलना चाहती है. सरकार का लक्ष्य है कि टेक्नोलॉजी, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन्स में आत्मनिर्भर इकोसिस्टम बनाया जाए. ज़ोहो ऑफिस सूट पहले से ही NIC मेल सिस्टम में शामिल है. ज़ोहो के स्वदेशी ऑफिस प्रोडक्टिविटी टूल्स को अपनाकर, हम स्वदेशी आंदोलन में एक साहसिक कदम उठा रहे हैं. इससे भारत को स्वदेशी अविष्कारों के साथ आगे बढ़ने, डिजिटल संप्रभुता को मज़बूत करने और एक आत्मनिर्भर भविष्य के लिए अपने डेटा को सुरक्षित करने में मदद मिलेगी.

केंद्र सरकार ने दिया था कॉन्ट्रैक्ट

रिपोर्ट में एक अन्य अधिकारी के हवाले से बताया गया कि केन्द्रीय कर्मचारियों के ईमेल का डोमेन नाम वही रहेगा - nic.in या gov.in. लेकिन उसका डेटा इकट्ठा करने वाले होस्ट को NIC से ज़ोहो में बदल दिया गया है. अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने जोहो के साथ 2023 में सात साल के लिए यह कॉन्ट्रैक्ट किया था. कंपनी ने डाटा के सिक्योरिटी उपायों के बारे में कहा है कि उसने NIC और CERT-IN जैसी एजेंसियों से इसका सर्टिफिकेट लिया है. साथ ही SQS (सॉफ्टवेयर क्वालिटी सिस्टम) से रेगुलर ऑडिट कराया है.

यह भी पढ़ें- Zoho और उसके Arattai में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, वॉट्सऐप को पछाड़ने का दम है?

बता दें कि इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी जोहो मेल पर शिफ्ट होने की घोषणा की थी. हालांकि यह उनका निजी मेल था. उनका आधिकरिक ईमेल अभी भी gov.in या nic.in के अंतर्गत ही रहेगा. वहीं केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी जोहो के प्लेटफॉर्म पर स्विच करने और उसके प्रोडक्स का इस्तेमाल करने की घोषणा कर चुके हैं.

वीडियो: अमित शाह Zoho मेल पर स्विच कर ट्रम्प का कौन सा वायरल डायलॉग दोहरा गए?

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