धर्मस्थल कांड: गवाह ने कोर्ट में पलटी मारी, बोला- 'रेप, हत्या, शव दफनाने की झूठी कहानी रची थी'
Dharmasthala Case: कोर्ट में गवाह चिन्नैया ने माना कि उसने कुछ लोगों के इशारे पर रेप, मर्डर और शव दफनाने जैसी झूठी कहानियां रची थीं. हालांकि, पुलिस ने तकनीकी कारणों से उन लोगों के नामों का खुलासा नहीं किया है.

कर्नाटक के मंगलुरु के चर्चित धर्मस्थल मामले में शनिवार, 27 सितंबर को नया मोड़ आ गया. इस मामले की शिकायत दर्ज कराने वाले चिन्नैया ने अदालत में पूरी तरह पलटी मार दी. बेलथांगडी के अतिरिक्त सिविल जज और न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान में चिन्नैया ने मान लिया कि उसने झूठे आरोप लगाए और बलात्कार, हत्या और शव दफनाने जैसी गंभीर घटनाओं के बारे में झूठी कहानियां गढ़ी थीं.
धारा 183 के तहत दर्ज हुआ बयान
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, चिन्नैया का बयान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 183 के तहत अदालत में दर्ज किया गया. इस समय वो शिवमोग्गा जेल में बंद है. शनिवार सुबह भारी पुलिस सुरक्षा में उसे अदालत लाया गया. उसकी पेशी पूरी गोपनीयता और बेहद कड़े सुरक्षा इंतजाम के बीच हुई. विशेष जांच दल (SIT) ने पहले ही उसे झूठी गवाही देने के मामले में गिरफ्तार कर लिया था.
पहले लगाए थे गंभीर आरोप
11 जुलाई को अदालत में सुनवाई के दौरान चिन्नैया ने धर्मस्थल में बीस साल तक बलात्कार, हत्या और दफनाने जैसे सनसनीखेज आरोप लगाए थे. लेकिन शनिवार को अपनी मर्जी से दिए बयान में उसने कबूल किया कि उसकी सारी गवाही झूठी थी. उसने यह भी कहा कि उसने यह सब कुछ लोगों के इशारे पर किया.
किसके कहने पर किया झूठा दावा?
अदालत में चिन्नैया ने बताया कि 11 जुलाई को सबूत के तौर पर जो खोपड़ी उसने दिखाई थी, वो असल में उसे एक कथित पीड़िता के चाचा विट्ठल गौड़ा ने दी थी. यह खुलासा जांच एजेंसियों के लिए बेहद अहम है, क्योंकि अब तक वही खोपड़ी और कंकाल मामले के सबसे बड़े सबूत माने जा रहे थे. हालांकि, पुलिस ने यह साफ नहीं किया है कि किसके इशारे पर चिन्नैया ने यह साजिश रची थी. तकनीकी कारणों से पुलिस ने फिलहाल उन लोगों के नाम का खुलासा नहीं किया.
केस की साख पर बड़ा झटका
अदालत में चिन्नैया के पलटने ने पूरे धर्मस्थल मामले की साख को कमजोर कर दिया है. SIT अभी भी इस मामले की जांच में लगी हुई है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह बयान ना सिर्फ धर्मस्थल केस बल्कि उससे जुड़े सभी दावों पर गंभीर सवाल खड़े करता है. लंबे समय से सुर्खियों में रहे इस विवाद की पूरी दिशा अब बदल सकती है.
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का बयान
इससे पहले शनिवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने धर्मस्थल केस पर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि सरकार का मकसद सिर्फ सच्चाई सामने लाना है. उन्होंने यह भी साफ किया कि जब तक SIT की रिपोर्ट नहीं आती, तब तक वे इस मामले पर कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं करेंगे. उनका यह बयान धर्मस्थल मंदिर के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के बयान के बाद आया.
धर्माधिकारी ने क्या कहा था?
शुक्रवार को धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े ने सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा था कि SIT बनने से अब मामले की सच्चाई सामने आ रही है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवकुमार ने कहा था,
"SIT की जांच रिपोर्ट आने दीजिए. मैंने मीडिया में उनका (वीरेंद्र हेगड़े) का बयान देखा है. जब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इस मामले में कुछ भी बोलने का कोई मतलब नहीं है. लोग राजनीतिक बातें कर सकते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता."
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की थी याचिका?
शिवकुमार ने आगे कहा कि सरकार की मंशा राजनीति करने की नहीं, बल्कि लोगों को धर्मस्थल घटना से जुड़े असली सच को बताने की है. उन्होंने कहा,
"हमें पता है कि वे लोग सुप्रीम कोर्ट गए थे और इसे जनहित याचिका बताया था. लेकिन अदालत ने उन्हें फटकार लगाई और वापस भेज दिया. यहां तक कि वे खोपड़ी लेकर दिल्ली तक गए. हमें इसकी जानकारी है. लेकिन सच्चाई सिर्फ जांच रिपोर्ट से सामने आएगी."
धर्मस्थल का केस जिस गवाही और सबूतों पर खड़ा था, वही अब सवालों के घेरे में है. इस मामले में SIT की जांच जारी है. आने वाले समय में देखना होगा कि धर्मस्थल कांड को लेकर SIT क्या नए खुलासे करती है.
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