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उन्नाव रेप केस: कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा सस्पेंड, जेल से बाहर आ पाएगा?

दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए गए पूर्व बीजेपी नेता कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा सस्पेंड कर दी. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने यह आदेश सुनाया है.

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kuldeep singh sengar
कुलदीप सिंह सेंगर की सजा सस्पेंड. (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
23 दिसंबर 2025 (Updated: 23 दिसंबर 2025, 03:55 PM IST)
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने सस्पेंड कर दिया है. निचली अदालत ने सेंगर को उन्नाव की नाबालिग लड़की से रेप का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वो पीड़िता के पिता की हत्या का भी दोषी है. इस मामले में वो 10 साल की सजा काट रहा है. जेल से बाहर आने के लिए उसे यहां भी जमानत लेनी होगी. फिलहाल इस पर हाई कोर्ट का फैसला आना बाकी है. 

मंगलवार, 23 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने आदेश सुनाते हुए कहा कि सेंगर की सजा फिलहाल निलंबित रहेगी, लेकिन इसके साथ कड़ी शर्तें भी लगाई गई हैं.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, शर्तों में कहा गया है कि कुलदीप सिंह सेंगर को 15 लाख रुपये का निजी मुचलका भरना होगा और इतनी ही राशि के तीन जमानतदार देने होंगे. वह पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं जा सकता. अपील लंबित रहने तक उसे दिल्ली में ही रहना होगा और अगर वो मामले में आगे दोषी पाया गया तो बाकी सजा पूरी करने के लिए उपलब्ध रहना होगा. 

कोर्ट की तरफ से सेंगर को आगाह किया गया है कि वो पीड़िता या उसकी मां को धमका नहीं सकता. वह मामला चलने तक देश छोड़कर नहीं जा सकता. उसे अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना होगा.

इसके अलावा सेंगर को हर सोमवार सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी देनी होगी. हाई कोर्ट ने आगे कहा कि सेंगर की क्रिमिनल अपील 15 जनवरी 2026 को रोस्टर बेंच के सामने सूचीबद्ध की जाएगी. 

फिलहाल कोर्ट के आदेश की विस्तृत कॉपी का इंतजार है.

क्या था मामला?

ये मामला 2017 का है, जब उन्नाव में एक नाबालिग लड़की से रेप का आरोप तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगा था. मामले में न्याय न मिलने का आरोप लगाकर पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह की कोशिश की थी. इसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई. सेंगर पर पुलिस की मिलीभगत से यह हत्या कराने का भी आरोप लगा. बाद में पीड़िता की कार का संदिग्ध एक्सिडेंट होने से लोगों में आक्रोश फैल गया.

साल 2019 में पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को चिट्ठी लिखकर इस केस से जुड़े मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने की अपील की थी. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश से दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी. यहां कोर्ट ने सेंगर को रेप का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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