'बुलडोजर लेकर सब कुछ खत्म नहीं कर सकते', अजमेर शरीफ दरगाह में तोड़फोड़ पर हाईकोर्ट की रोक
Delhi High Court ने कहा कि केंद्र सरकार ने अजमेर शरीफ दरगाह को जो नोटिस दिया है, उससे कुछ भी स्पष्ट नहीं हो रहा है. कोर्ट ने आगे कहा कि किसी भी हाल में Natural Justice का पालन किया जाना चाहिए. सुनवाई का मौका दिए बिना किसी पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए.

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र सरकार को अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah) के अंदर या आसपास किसी भी ढांचे को तोड़ने से फिलहाल रोक दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रभावित लोगों को सुनवाई का अवसर दिए बिना सरकार सीधे बुलडोजर (Bulldoser) नहीं चला सकती.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि 13वीं सदी की सूफी दरगाह में ढांचों को गिराने से पहले स्टेकहोल्डर्स को कारण बताओ नोटिस दिए जाने चाहिए और नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए. जस्टिस दत्ता ने कहा,
आप सिर्फ बुलडोजर ले जाकर सब कुछ खत्म नहीं कर सकते. आपका नोटिस बहुत ही अस्पष्ट है.
दिल्ली हाईकोर्ट अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम सैयद मेहराज मियां की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस याचिका में उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय और दरगाह कमेटी के नाजिम को निर्देश दिया जाए कि वे 22 नवंबर के आदेश को वापस लें.
अल्पसंख्यक मंत्रालय के आदेश में दरगाह परिसर के अंदर और बाहर के कई स्थायी और अस्थायी ढांचों को गिराने का निर्देश दिया गया था, जिसमें खादिमों की सीटें भी शामिल हैं. दरगाह शरीफ के खादिम ने अपनी याचिका में बताया कि निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिए बिना इस कार्रवाई का आदेश दे दिया गया.
सीनियर एडवोकेट शादान फरासत और एडवोकेट चयन सरकार याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि जिन निर्माणों को गिराने की बात कही जा रही है वो अतिक्रमण नहीं हैं. फरासत ने कहा,
दरगाह का मैनेजमेंट देखने के लिए फिलहाल कोई कमेटी नहीं है. इसका मैनेजमेंट फिलहाल सरकार द्वारा नियुक्त किया गया एक नाजिम कर रहा है, जिसके पास ऐसे निर्देश जारी करने की शक्ति नहीं है.
केंद्र सरकार के स्थायी वकील (CGSC) अमित तिवारी सरकार की ओर से पेश हुए. उन्होंने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अस्थायी ढांचे बनाए हैं. तिवारी ने आगे कहा कि नाजिम पद पर है और कमेटी की सभी शक्तियों का प्रयोग नाजिम के द्वारा किया जाता है.
इस बीच कोर्ट ने कहा कि 6 नवंबर को उसने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर अजमेर शऱीफ दरगाह कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया था. लेकिन अब तक इस मामले में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं.
इसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को दरगाह की कमेटी बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को परिसर में बने स्ट्रक्टर को हटाने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी नंबर 1 (केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय) दरगाह कमेटी के गठन में तेजी लाएगा. और इसे जल्द से जल्द किया जाएगा. कोर्ट ने आगे कहा कि कोई भी जल्दबाजी वाला कदम उठाने से पहले नेचुरल जस्टिस का पालन किया जाएगा. इस मामले में अगली सुनवाई 23 फरवरी, 2026 को होगी.
वीडियो: अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे मंदिर का दावा करने वाली इस किताब में क्या-क्या लिखा गया है?

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