BMW एक्सीडेंट: वित्त मंत्रालय के अफसर की मौत केस में आरोपी को मिली जमानत
Delhi BMW Crash Accused Bail: जमानत आदेश सुनाने से पहले कोर्ट ने दुर्घटना स्थल पर पहुंची एम्बुलेंस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए थे. अदालत ने पुलिस से पूछा कि एम्बुलेंस पीड़ित को अस्पताल क्यों नहीं ले गई.

दिल्ली की एक अदालत ने वित्त मंत्रालय के अफसर की ‘जान लेने वाले BMW हादसे’ की मुख्य आरोपी गगनप्रीत कौर को जमानत दी दे है. अदालत ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं. इन शर्तों में पासपोर्ट जमा करना और हर सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहना शामिल है.
इंडिया टुडे के इनपुट के मुताबिक, पटियाला हाउस कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी. न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित गर्ग ने 38 साल की गगनप्रीत कौर को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी. अदालत ने ये भी निर्देश दिया कि आरोपी गगनप्रीत न्यू लाइफ अस्पताल के कर्मचारियों या किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करेगी.
सुनवाई के दौरान गगनप्रीत कौर के वकील ने दिल्ली पुलिस पर मामले से जुड़े CCTV फुटेज पेश न करने और अदालत के साथ ‘लुका-छिपी’ खेलने का आरोप लगाया. गगनप्रीत ने अपने वकील के जरिए बताया, ‘मेरी कोई गलती नहीं है. उनको अस्पताल ले जाने के बाद भी, मुझे ही दोषी बताया जा रहा है.’
जमानत आदेश सुनाने से पहले कोर्ट ने दुर्घटना स्थल पर पहुंची एम्बुलेंस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए. अदालत ने कहा,
कुछ ही सेकंड में एक एम्बुलेंस वहां पहुंच गई और 30 सेकंड तक वहीं रही. लेकिन घायलों को अस्पताल नहीं ले गई. जबकि उन्हें कोई आपातकालीन काम नहीं था और वो सबसे नजदीकी अस्पताल, आर्मी बेस अस्पताल जा रहे थे.
अदालत ने पुलिस से पूछा कि इस एम्बुलेंस का क्या किया जाना चाहिए? क्या उन पर लापरवाही से हुई मौत का आरोप नहीं है?
हादसा दिल्ली के धौला कुआं के पास हुआ, जब कथित तौर पर गगनप्रीत कौर के BMW कार ने एक मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी. बताया गया कि मोटरसाइकिल आर्थिक मामलों के विभाग में उप सचिव नवजोत सिंह चला रहे थे. साथ में उनकी पत्नी संदीप कौर भी बैठी थीं.
इस घटना में 52 साल के नवजोत सिंह की मौत हो गई. जबकि उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गईं. नवजोत सिंह पश्चिमी दिल्ली के हरि नगर इलाके में रहते थे. वो और उनकी पत्नी बंगला साहिब गुरुद्वारा से दर्शन कर घर लौट रहे थे.
बाद में जांच करने वाली टीम को पता चला कि कपल को उत्तरी दिल्ली के न्यूलाइफ अस्पताल ले जाया गया था. जो घटनास्थल से लगभग 19 किलोमीटर दूर था और आरोपी के एक रिश्तेदार का अस्पताल था. नवजोत सिंह के परिवार ने आरोप लगाया कि महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो गया. क्योंकि पीड़ितों को पास के किसी अस्पताल में नहीं ले जाया गया और पीड़ितों से पहले आरोपियों को इलाज मिल गया.
अपने बचाव में गगनप्रीत कौर ने पुलिस को बताया कि दुर्घटना के बाद वो घबरा गई थी और एक परिचित अस्पताल में गई. क्योंकि उसकी बेटी का कोविड-19 महामारी के दौरान एक बार वहां इलाज हुआ था. मामले में BNS की धारा 281 (तेज गति से वाहन चलाना), 125B (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना), 105 और 238 (सबूतों को गायब करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
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