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स्कूल लेट आने पर 100 उठक-बैठक की सजा, छठी क्लास की बच्ची की मौत

Maharashtra में मृतक बच्ची की मां ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की मौत स्कूल टीचर की दी गई 'अमानवीय सजा' की वजह से हुई. उन्होंने दावा किया कि टीचर ने उनकी बेटी को स्कूल बैग पीठ पर रखकर उठक-बैठक करने को कहा था.

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छठी क्लास की छात्रा की मौत की जांच शुरू. (X @Palghar_Police)
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मौ. जिशान
15 नवंबर 2025 (Published: 10:19 PM IST)
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महाराष्ट्र में एक महिला ने आरोप लगाया कि उनकी छठी क्लास में पढ़ने वाली बेटी को स्कूल ने ऐसी सजा दी कि उसकी मौत हो गई. मामला महाराष्ट्र के पालघर जिले का है. आरोप है कि एक प्राइवेट स्कूल ने छात्रा को लेट आने पर 100 उठक-बैठक लगाने के लिए कथित तौर पर मजबूर किया था. इसके लगभग एक हफ्ते बाद छात्रा की मौत हो गई. मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक छात्रा का नाम अंशिका गौड़ है, जो वसई इलाके में सतिवली के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ती थी. शुक्रवार, 14 नवंबर की रात मुंबई के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई.

महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) के सदस्यों के मुताबिक, 8 नवंबर को अंशिका और चार अन्य छात्र देर से स्कूल आए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि लेट आने पर छात्रों को 100 उठक-बैठक लगाने के लिए मजबूर किया गया.

मृतक बच्ची की मां ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की मौत स्कूल टीचर की दी गई 'अमानवीय सजा' की वजह से हुई. उन्होंने दावा किया कि टीचर ने उनकी बेटी को स्कूल बैग पीठ पर रखकर उठक-बैठक करने को कहा था.

वसई के MNS नेता सचिन मोरे ने दावा किया कि बच्ची को पहले से स्वास्थ्य समस्याएं होने के बावजूद सजा दी गई. स्कूल के एक टीचर ने कहा,

"यह पता नहीं चल पाया है कि इस बच्ची ने कितने उठक-बैठक किए थे. सच में यह पता नहीं चल पाया है कि उसकी मौत इसी वजह से हुई या किसी और वजह से."

खंड शिक्षा अधिकारी पांडुरंग गलांगे ने कहा कि अंशिका की मौत की जांच की जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि जांच से ही अंशिका की मौत का सही कारण पता चलेगा. अधिकारियों ने यह भी बताया कि अभी तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है.

मीडिया से बात करते हुए मृतक छात्रा की मां ने कहा कि शारीरिक सजा दिए जाने के बाद उनकी बेटी की हालत तेजी से बिगड़ गई. उन्होंने कहा,

"सजा के बाद उसकी गर्दन और पीठ में तेज दर्द हुआ और वो उठ नहीं पा रही थी."

उन्होंने बताया कि जब उन्हें इस घटना और अपनी बेटी की हालत के बारे में पता चला, तो वे स्कूल गईं और टीचर से शिकायत की. उन्होंने कहा,

"मुझे बताया गया कि छात्रों को स्कूल देर से आने के लिए सजा दी गई थी. टीचर ने सजा को सही ठहराते हुए कहा कि पैरेंट्स उन पर फीस देने के बावजूद छात्रों को ना पढ़ाने का आरोप लगाते हैं."

छात्रा की मां ने आगे बताया कि उन्होंने इस पर टीचर से कहा कि छात्रों को सजा देने का मतलब यह नहीं कि उनकी पीठ पर बैग रखकर उठक-बैठक कराई जाए. उन्होंने फिर दोहराया कि 'अमानवीय सजा' की वजह से उनकी बेटी की मौत हुई.

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