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CJI गवई ने अपने भाषण में ऐसी बात बोली कि कई रिटायर जज टेंशन में हैं!

CJI BR Gavai ने चिंता जताते हुए कहा कि अगर कोई जज रिटायर होने के तुरंत बाद सरकार के साथ किसी पद पर नियुक्ति ले लेता है या चुनाव लड़ने के लिए बेंच से इस्तीफा दे देता है. तो इससे जनता का विश्वास न्यायपालिका में कम होता है.

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CJI br gavai on retired judges on taking government post and contesting elections
CJI गवई ने UK के सुप्रीम कोर्ट में एक चर्चा में बोलते हुए ये टिप्पणी की (फोटो: आजतक)
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अर्पित कटियार
4 जून 2025 (Updated: 4 जून 2025, 01:34 PM IST) कॉमेंट्स
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देश में अक्सर इस बात को लेकर बहस होती है कि रिटायर होने के बाद जजों को राजनीति में जाना चाहिए या नहीं? कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि रिटायरमेंट के बाद जज कोई सरकारी पद ग्रहण कर लेते हैं. इस मामले पर अब भारत के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई (CJI B.R. Gavai) की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह के व्यवहार से जनता का विश्वास न्यायपालिका में कमजोर होता है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, CJI गवई ने यूनाइटेड किंगडम के सुप्रीम कोर्ट में एक गोलमेज चर्चा में बोलते हुए ये टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जजों के फैसलों पर सवाल उठने लगते हैं. आगे कहा,

अगर कोई जज रिटायर होने के तुरंत बाद सरकार के साथ किसी पद पर नियुक्ति ले लेता है या चुनाव लड़ने के लिए बेंच से इस्तीफा दे देता है. तो इससे एक नैतिक चिंता पैदा होती है. ऐसा करने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के बारे में शक पैदा हो सकता है. क्योंकि इसे सरकार का पक्ष लेने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है. 

उन्होंने कहा कि ऐसा करने से यह धारणा बन सकती है कि जज ने जो फैसले लिए वो भविष्य की सरकारी नियुक्तियों या राजनीति में शामिल होने की संभावना से प्रभावित होकर लिए गए थे. CJI गवई ने कहा कि उन्होंने और उनके कई सहयोगियों ने सार्वजनिक रूप से यह वचन दिया है कि रिटायरमेंट के बाद वे सरकार से कोई पद नहीं लेंगे. CJI ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका का काम सिर्फ न्याय देना नहीं है. बल्कि उसे एक ऐसी संस्था के रूप में भी देखा जाना चाहिए जो सत्ता के सामने सच्चाई को रखने की हिम्मत कर सके. 

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कॉलेजियम सिस्टम पर क्या कहा?

CJI ने कॉलेजियम सिस्टम के बारे में भी विस्तार से बताया और यह स्वीकार किया कि कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना होती रहती है. उन्होंने कहा कि कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना हो सकती है, लेकिन इसका समाधान न्यायिक स्वतंत्रता की कीमत पर नहीं आना चाहिए. साथ ही जजों को बाहरी नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए.

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