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ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाना शुरू किया, भारत जता चुका है ऐतराज़

यह डैम अरुणाचल प्रदेश के करीब तिब्बत के न्यिंगची शहर में बनाया जा रहा है. जहां पर ब्रह्मपुत्र नदी एक बड़ा यू-टर्न लेकर अरुणाचल प्रदेश से होते हुए बांग्लादेश जाती है.

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चीन ने भारतीय सीमा के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर डैम का निर्माण शुरू कर दिया है. (सांकेतिक तस्वीर-इंडिया टुडे)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
20 जुलाई 2025 (Updated: 20 जुलाई 2025, 05:53 PM IST)
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चीन ने भारतीय सीमा के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर डैम का निर्माण शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा बांध होगा. जिसका नाम यारलुंग जांगबो है. इस डैम को 167.8 अरब US डॉलर यानी 1 लाख 44 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक चीन जल विद्युत परियोजना (Water Electric Project) का निर्माण कर रहा है. इसका शिलान्यास शनिवार, 19 जुलाई को चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने किया. यह डैम अरुणाचल प्रदेश के करीब तिब्बत के न्यिंगची शहर में बनाया जा रहा है. जहां पर ब्रह्मपुत्र नदी एक बड़ा यू-टर्न लेकर अरुणाचल प्रदेश से होते हुए बांग्लादेश जाती है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस जलविद्युत परियोजना में पांच कैस्केड पावर स्टेशन शामिल होंगे. इससे हर साल 300 अरब किलोवॉट-घंटे से अधिक बिजली पैदा होगी. वहीं हर साल 30 करोड़ लोगों को इससे बिजली प्रदान की जाएगी. परियोजना को पिछले साल दिसंबर में स्वीकृति मिली थी. जिस पर निर्माण कार्य शुरू हो गए हैं.

चीन के इस प्रोजेक्ट ने इंडिया और बांग्लादेश के लिए चिंता पैदा कर दी है. जिस क्षेत्र में यह डैम बन रहा है. वहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. बांध के बनने से इकोसिस्टम पर दबाव पड़ सकता है. इसकी वजह से बड़े हादसे हो सकते हैं. इसके अलावा ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर चीन का नियंत्रण रहेगा. इससे उसे बीजिंग समेत अन्य शहरों में पानी पहुंचाने में मदद मिलेगी. वहीं इस डैम से एक साथ पानी छोड़े जाने पर बॉर्डर एरिया में बाढ़ जैसे हालात हो सकते हैं.

भारत के विदेश मंत्रालय ने बांध को लेकर आपत्ति जताई है. भारत ने चीन से कहा था कि वह ब्रह्मपुत्र पर ऐसा कोई काम न करे जिससे निचले हिस्से में रहने वाली आबादी को नुकसान हो. तब चीन ने कहा था कि इस परियोजना से डाउनस्ट्रीम देशों को कोई नुकसान नहीं होगा. वह इस डैम को लेकर दूसरे देशों से बातचीत करता रहेगा. इसके पहले 18 दिसंबर 2024 को NSA अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच पानी को लेकर बात हुई थी.

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी आपत्ति जताई थी. उन्होंने चीन के इस डैम को 'वॉटर बम' कहा था. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि यह प्रोजेक्ट केवल पर्यावरण या जल सुरक्षा का मामला नहीं है. बल्कि भारत के लिए अस्तित्व का खतरा है. इससे सैन्य खतरा पैदा होगा. सीमा इलाके के पास रहने वाले जनजातियों के जीवन और संसाधन बर्बाद हो जाएंगे. क्योंकि चीन इस बांध को भविष्य में हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है.

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