बुलंदशहर हाईवे गैंगरेप: आजतक चैन से सो नहीं पा रही पीड़िता को मिला न्याय, सभी दोषियों को उम्रकैद
बुलंदशहर में 14 साल की बच्ची और उसकी मां के साथ हाइवे पर गैंगरेप के मामले में 9 साल बाद फैसला आ गया है. बुलंदशहर की एक पॉक्सो अदालत ने मामले के 5 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इस केस के दो आरोपियों की मौत हो गई है.

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में परिवार को बंधक बनाकर मां और नाबालिग बेटी से गैंगरेप के मामले में 9 साल बाद फैसला आ गया. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. 22 दिसंबर 2025 को बुलंदशहर की पॉक्सो कोर्ट ने 5 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोषियों पर 1 लाख 80 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की ये राशि दोनों पीड़िताओं में बराबर-बराबर बांटी जाएगी.
29 जुलाई 2016 को हुई इस जघन्य वारदात में कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था. उन पर IPC की धारा 394, 395, 397, 376D, 120B और पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था. एक आरोपी सलीम बावरिया की मुकदमे के बीच में मौत हो गई. वहीं, दो आरोपी अजय उर्फ असलम उर्फ कालिया हरियाणा में और बंटी उर्फ गंजा उर्फ बबलू नोएडा में STF के एनकाउंटर में मारे गए. 3 आरोपियों को सीबीआई ने निर्दोष बताकर मामले से अलग कर दिया था. शेष बचे 5 आरोपी जुबैर, साजिद, धर्मवीर, नरेश और सुनील मामले में दोषी करार दिए गए और कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
9 साल पहले की घटनाये घटना उस समय हुई थी, जब पीड़ित परिवार नोएडा से शाहजहांपुर जा रहा था. उस दिन को याद करते हुए पीड़िता के पिता ने टीओआई को बताया कि दादी के अंतिम संस्कार में वह परिवार के साथ घर जा रहे थे. गाड़ी में उनके साथ पत्नी, बेटी, भाई, उसकी पत्नी और बेटा मौजूद थे. रात के करीब एक बजे एक जोरदार धमाका हुआ और लगा जैसे गाड़ी पर किसी ने टक्कर मारी हो. कार रोककर वो लोग बाहर आए. तभी अचानक झाड़ियों से 7-8 आदमी निकलकर आए और बंदूक की नोक पर उन्हें बंधक बना लिया. वो उनकी बेटी और पत्नी को खींचकर झाड़ियों में ले गए और वहां उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया.
पीड़िता की आपबीती23 साल की पीड़िता इस घटना के समय की स्कूल की छात्रा थी और उसकी उम्र सिर्फ 14 साल थी. उन्होंने बताया कि इस घटना ने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी. इसके बाद उन्होंने और उनके परिवार ने जो सहा है, वो बेहद क्रूर और अमानवीय है. पहचान और उत्पीड़न से बचने के लिए उन्हें बार-बार अपना घर बदलना पड़ा. लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ. हर जगह उन्हें पहचान लिया गया और फिर उनके बारे में कानाफूसी शुरू हो गई. पीड़िता ने बताया,
9 साल में हमें 5 बार घर बदलना पड़ा. लेकिन हम अपने पड़ोसियों से कब तक अपनी पहचान छिपाते रहेंगे. किसी को भी हमारे अतीत के बारे में पता चलता तो बात आग की तरह फैल जाती. लोग हमें हिकारत की नजरों से देखते. आसपास का माहौल हमारे लिए एकदम से अजनबी हो जाता. उत्पीड़न करने वाले सड़कों पर हमारा पीछा करते. हम पर अश्लील टिप्पणियां करते.
रुआंसे स्वर में पीड़िता ने कहा, ‘इस घटना से न सिर्फ हमें शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचा बल्कि हमारा जीवन, हमारी शांति और हमारा भविष्य भी नष्ट हो गया. इस सदमे का असर कभी नहीं मिटेगा.’ युवती ने कहा कि आज भी रात में कई बार वह डर के मारे जाग जाती है.
पीड़िता ने बताया कि बार-बार जगह बदलने से उनके घर की फाइनेंशियल कंडीशन भी खराब हो गई. पिता के पास पहले तीन कारें थीं, जिसे वो टैक्सी के रूप में चलाते थे. आज वो किसी और की कार चलाते हैं. आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए रात की शिफ्ट में भी काम करते हैं.
वहीं पीड़िता के पिता ने बताया कि इस घटना के बाद हमें ऐसी जगहें खोजनी पड़ीं, जहां हमें कोई न जानता हो. नौकरी खोजना भी मुश्किल हो गया. किसी और की गाड़ी चलाकर अब वह महीने में मुश्किल से 12 से 15 हजार ही कमा पाते हैं.
बार-बार जगहें बदलने से पीड़िता की पढ़ाई भी डिस्टर्ब हुई. वह कानून की पढ़ाई कर रही हैं. कहती हैं कि घटना से पहले उनका परिवार ऐसा था कि किसी ने कभी न अदालत देखी थी न पुलिस थाने का रास्ता. लेकिन अब वो कानून की पढ़ाई कर रही हैं ताकि जज बन सकें और बलात्कार पीड़िताओं को न्याय दिला सकें.
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