The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Bombay High Court nulls hindu couple marriage wife undisclosed cerebral palsy incurable disease Maharashtra

महिला ने लाइलाज बीमारी छिपाकर की शादी, पति ने मांगा तलाक, HC ने क्या फैसला दिया?

पति के वकील अमित यडकीकर ने Bombay High Court में दलील दी कि पत्नी के परिवार ने जानबूझकर उसकी बीमारी को छुपाया था और फैमिली कोर्ट ने इस मुद्दे को ध्यान में नहीं लिया. पत्नी Cerebral Palsy से पीड़ित है.

Advertisement
bombay high court, divorce, divorce petition, divorce plea, incurable disease, cerebral palsy
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पति की याचिका पर तलाक की मंजूरी दी. (फाइल फोटो: India Today)
pic
मौ. जिशान
24 सितंबर 2025 (Published: 12:23 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

किसी शख्स की शादी हो और उसे पता चले कि उसके लाइफ पार्टनर को लाइलाज बीमारी है, तो उस पर क्या गुजरेगी? वो भी तब जब लाइलाज बीमारी की बात छिपाकर शादी की जाए. ऐसा ही एक मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में आया. एक आदमी तलाक मांगने कोर्ट गया. उसने आरोप लगाया कि शादी से पहले ही उसकी पत्नी 'सेरेब्रल पाल्सी' (Cerebral Palsy) से पीड़ित थी. पति ने कहा कि शादी से पहले इस बात का खुलासा ना तो पत्नी ने किया और ना ही उसके परिवार ने कुछ बताया.

इस आधार पर पति ने बॉम्बे हाई कोर्ट में तलाक की अर्जी की दाखिल की थी. इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने इस शादी को कानूनी रूप से खत्म (Null and Void) घोषित कर दिया. सोमवार, 22 सितंबर को कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि लाइलाज बीमारी का खुलासा ना करना 'धोखाधड़ी' के बराबर है.

पति के वकील अमित यडकीकर ने दलील दी कि पत्नी के परिवार ने जानबूझकर उसकी बीमारी को छुपाया था और फैमिली कोर्ट ने इस मुद्दे को ध्यान में नहीं लिया.

वहीं, पत्नी के वकील जितेंद्र पाटिल ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि पत्नी को कोई मानसिक बीमारी नहीं है, बल्कि सिर्फ जन्म से ही उसका एक हाथ थोड़ा कमजोर है. उन्होंने कहा कि पति की मां ने रिश्ता तय किया था, जबकि उन्हें यह बात पहले से पता थी. अब पति इसलिए झूठे आरोप लगा रहा है क्योंकि उसे पत्नी अब पसंद नहीं है.

जस्टिस नितिन बी सूर्यवंशी और जस्टिस संदीपकुमार सी मोरे की डिवीजन बेंच ने पति के पक्ष में फैसला दिया. बेंच ने कहा,

"अगर यह बात (बीमारी की) शादी से पहले बताई गई होती, तो हो सकता है कि पति शादी करने के बारे में दोबारा सोचता. इसलिए पत्नी की बीमारी 'सेरेब्रल पाल्सी' को उसके परिवार द्वारा छुपाना, पति को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(c) के तहत विवाह को अमान्य घोषित कराने का अधिकार देता है."

कोर्ट ने यह भी कहा कि पति-पत्नी 2018 में सिर्फ 6-7 महीने ही साथ रहे थे, फिर पत्नी अपने मायके चली गई थी. कोर्ट ने यह माना कि फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते समय 'बीमारी को छुपाना' का जरूरी पहलू नहीं समझा और गलती की. इसलिए, कोर्ट ने इस शादी को अपने आदेश की तारीख से अमान्य घोषित कर दिया.

इससे पहले पति ने औरंगाबाद की एक फैमिली कोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) और (iii) के तहत तलाक की याचिका दाखिल की थी, जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद पति ने हाई कोर्ट का रुख किया.

वीडियो: स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर छात्राओं ने लगाए गंभीर आरोप, शिकायत दर्ज

Advertisement

Advertisement

Advertisement

()