बिहार के ये 7 युवा बिना जाम के पहुंचे महाकुंभ, सबसे अलग ही 'रूट' पकड़ा था
दरअसल ये लोग गंगा नदी में नाव चलाकर प्रयागराज पहुंचे हैं. यानी न टिकट लेने का झंझट, न स्टेशन पर भीड़ का डर. कम्हरिया से निकले इन युवाओं ने 550 किलोमीटर तक नाव चलाई. प्रयागराज पहुंचने में उन्हें 84 घंटे, यानी साढ़े तीन दिन लगे. लेकिन आखिरकार पहुंच ही गए.
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कवि सोहनलाल द्विवेदी की मशहूर कविता है- लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. जीवन में हार नहीं मानने की प्रेरणा देने वाली इस पंक्ति को बिहार के कुछ लड़कों ने सीरियसली ले लिया. बक्सर के इन सात लड़कों की कहानी किसी एडवेंचर मूवी की स्क्रिप्ट से कम नहीं. एक तरफ करोड़ों लोग महाकुंभ में पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशनों पर धक्के खा रहे हैं. दूसरी तरफ ये सात युवक बिना किसी धक्का-मुक्की के आराम से अलग ही 'रूट' से प्रयागराज पहुंच गए हैं.
दरअसल ये लोग गंगा नदी में नाव चलाकर प्रयागराज पहुंचे हैं. यानी न टिकट लेने का झंझट, न स्टेशन पर भीड़ का डर. कम्हरिया से निकले इन युवाओं ने 550 किलोमीटर तक नाव चलाई. प्रयागराज पहुंचने में उन्हें 84 घंटे, यानी साढ़े तीन दिन लगे. लेकिन आखिरकार पहुंच ही गए. और महाकुंभ में स्नान भी कर ही लिया. अब सोशल मीडिया पर इन युवाओं की हिम्मत और जज़्बे की जमकर चर्चा हो रही है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 8 से 9 फरवरी के दौरान प्रयागराज जाने वाले सभी रास्तों पर भयंकर जाम लगा था. ट्रेनों में जगह नहीं मिल रही थी और सड़कें गाड़ियों से भरी पड़ी थीं. कुछ घंटों का सफर कई घंटों में तब्दील हो रहा था. ऐसे में बक्सर जिले के कम्हरिया गांव के सात लोगों ने नदी के रास्ते प्रयागराज जाने का फैसला किया. इन लोगों ने नाव पर मोटर बांधकर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पूरी की.
रिपोर्ट के मुताबिक इन युवकों में कुछ के नाम सामने आए हैं. सुखदेव चौधरी, आडू चौधरी, सुमन चौधरी, मुन्नू चौधरी ने बताया कि प्रयागराज जाने वाली सड़कें जाम थीं और ट्रेनों में जगह नहीं मिल रही थी. इसलिए उन्होंने तय किया कि प्रयागराज जाने के लिए वे नाव से सफर करेंगे. इसके लिए उन्होंने दो मोटर वाली नाव तैयार की. ताकि एक मोटर फेल होने की स्थिति में दूसरी काम आ सके.
मुन्नू चौधरी ने बताया कि लगभग 5-6 किलोमीटर के अंतराल पर मोटर गर्म हो जाती थी. इसके बाद नाव को खुद चलाना पड़ता था. इस दौरान सभी यात्री बारी-बारी से नाव चलाते रहे. रात के समय भी वे जागकर नाव को चलाते रहे. ताकि उनकी यात्रा सुरक्षित और जल्दी पूरी हो सके. रिपोर्ट के मुताबिक नदी के रास्ते निकले इन लोगों ने 13 फरवरी की सुबह प्रयागराज के संगम में डुबकी लगाई. वहीं, रविवार 16 फरवरी की रात 10 बजे तक वे अपने घर सुरक्षित वापस लौट आए. वापसी के लिए भी उन्होंने नाव का ही इस्तेमाल किया.
इन युवकों ने बताया कि पूरे सफर में करीब 20,000 रुपये खर्च हुए हैं. इसमें पेट्रोल, प्लास्टिक के कैन, राशन-पानी और अन्य खर्च शामिल थे. उन्होंने यह भी बताया कि यह यात्रा आम लोगों के लिए कठिन और जोखिम भरी हो सकती है. यह केवल उन लोगों के लिए संभव है जो तैरना और नाव चलाना जानते हैं.
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