The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • bihar sitamarhi hiv aids breakout more than seven thousand active patients with minors

इस एक जिले में अब तक सामने आए साढ़े 6 हजार से ज्यादा HIV मरीज, बच्चे भी शामिल, ये हुआ कैसे?

Nepal Border पर पड़ने वाला Sitamarhi जिला गरीबी के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का केंद्र है. यहां HIV Positive मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस खबर से पूरा स्वास्थ्य महकमा सकते में है. सरकारी आंकड़ों को ही देखें तो 2012 से अब तक जिले में लगभग 6,707 HIV संक्रमित मरीज पाए गए हैं. इन मरीजों में कई नाबालिग भी हैं जिनकी उम्र 18 साल से कम है.

Advertisement
bihar sitamarhi hiv aids breakout more than seven thousand active patients with minors
सीतामढ़ी में करीब 7 हजार HIV के मरीज मिले हैं (PHOTO-JustDial)
pic
मानस राज
11 दिसंबर 2025 (Updated: 11 दिसंबर 2025, 12:41 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

बिहार के सीतामढ़ी (Sitamarhi) जिले में एचआईवी पॉजिटिव (HIV Positive) मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस खबर से पूरा स्वास्थ्य महकमा सकते में है. सरकारी आंकड़ों को ही देखें तो 2012 से अब तक जिले में लगभग 6,707 HIV संक्रमित मरीज पाए गए हैं. इन मरीजों में कई नाबालिग भी हैं जिनकी उम्र 18 साल से कम है. 

इस मामले पर जानकारी देते हुए सीतामढ़ी के असिस्टेंट सिविल सर्जन और HIV नोडल अधिकारी जे जावेद कहते हैं,

दूसरे जिलों में हमसे अधिक HIV के मामले हैं. यह ऐसी बीमारी नहीं है जो खांसने से फैलती है. यह खून चढ़ाने या एक ही सुई से इंजेक्शन लगाने से फैलती है. आज स्कूल AIDS, HIV के बारे में पढ़ा रहे हैं. बेतिया, मोतिहारी और मुजफ्फरपुर की हालत हमसे अधिक खराब है. रोजाना लगभग 250 से 300 मरीज दवा लेने हमारे पास आते हैं; इलाज करवा रहे कुल मरीजों की संख्या 6,707 है. यह डेटा 2012 से अब तक का है.

एक जिले में इतने मरीज कैसे?

पूरे देश में आए दिन कई लोग एचआईवी से संक्रमित पाए जाते हैं. लेकिन बिहार के सिर्फ एक जिले में इतने मरीजों का मिलना अपने-आप में हैरान करता है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की सीमा से सटा हुआ यह जिला गरीबी के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का केंद्र है. विशेषज्ञों का मानना है कि गरीब तबके का पलायन करना इस बीमारी के तेजी से फैलने की प्रमुख वजहों में से एक है. इसके अलावा, सीतामढ़ी में जागरूकता अभियानों का उचित मात्रा में न चलाया जाना जागरूकता के अभाव का कारण बन रहा है. लेकिन सीतामढ़ी ही नहीं, देश के तमाम शहरों में एचआईवी के मामले सामने आते हैं. लेकिन जितनी बड़ी समस्या बीमारी की नहीं, उससे कहीं बड़ी इस बीमारी को लेकर लोगों की सोच की है. 

लोग हीन भावना से देखते हैं

एचआईवी एक बीमारी है. कोई सामाजिक कुरीति नहीं. बावजूद इसके इस बीमारी से पीड़ित लोगों को हीन भावना से देखा जाता है. सीतामढ़ी के कई परिवार जितना बीमारी से परेशान नहीं हैं, उतना समाज के तानों से. ईटीवी से बातचीत में कई ऐसे लोगों ने अपना दर्द बयान किया है. सीतामढ़ी में भारत नेपाल की सीमा बैरगनिया के गांव के रहने वाला एक व्यक्ति, उसकी पत्नी और बच्ची भी एचआईवी पॉजिटिव पाई गई है. पति मजदूरी करने पड़ोसी देश नेपाल के काठमांडू गया था, वहीं उसे एचआईवी संक्रमण हो गया. वह जब अपने गांव लौटा तो पत्नी के संपर्क में आने के कारण पत्नी को और उसके बाद गर्भावस्था के दौरान बच्चा भी एचआईवी पॉजिटिव हो गया.

एक और मामला है जहां सीतामढ़ी के सुप्पी प्रखंड के एक गांव में एक महिला और उसका बेटा एचआईवी संक्रमित है. महिला का पति दिल्ली में ऑटो चलाता था. महिला का कहना है कि उसका पति एचआईवी संक्रमित था. वह पति के साथ दिल्ली गई थी. पति के संपर्क में आने के कारण वह भी एचआईवी संक्रमित हो गई. इसी दौरान उसने एक बच्चे को भी जन्म दिया और वह भी एचआईवी संक्रमित हो गया. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मिल रही दवा के खाने से वह और उसका बच्चा ठीक है.

एक और एचआईवी पॉजिटिव मजदूर का कहना है कि जिन लोगों को जानकारी है कि हमारा पूरा परिवार एचआईवी पॉजिटिव है, वे लोग हमें हीन भावना से देखते हैं. कई लोग बातें करने से भी कतराते है, जबकि जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है कि यह छुआछूत की बीमारी नहीं है. बावजूद इसके अभी भी लोग पुरानी मानसिकता के कारण हमसे दूर रहते हैं. यानी ये एक ऐसी बीमारी है जिसे लेकर जागरुकता कम, भ्रांतियां ज्यादा हैं. ऐसे में हम आपको एचआईवी के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बता रहे हैं, जो आपको शायद न पता हों. जैसे,

  • एड्स मच्छर के काटने से नहीं होता. एड्स ओरल सेक्स से भी फैलता है, हालांकि इसकी सम्भावना सामान्य सेक्स के मुकाबले कम होती है.
  • स्ट्रेट सेक्स के मुकाबले होमोसेक्सुअलटी से एड्स होने की सम्भावना अधिक होती है.
  • एड्स के रोगी को शारीरिक लक्षणों से नहीं पहचाना जा सकता. इस बीमारी के लक्षण 20 साल तक छिपे रह सकते हैं. मेडिकल जांच ही इसकी पुष्टि कर सकती है.
  • एड्स अभी भी लाइलाज है. कुछ दवाएं उपलब्ध हैं मगर इनकी भी एक सीमा है. साथ ही ये बहुत महंगी हैं और इनके कई साइड इफेक्ट हैं.
  • एड्स के रोगी भी सामान्य संतान पैदा कर सकते हैं. ये मुश्किल तो है मगर असंभव नहीं. अगर दो एड्स रोगी सेक्स कर रहे हों तो भी उन्हें प्रोटेक्शन लेना चाहिए. इससे वो लम्बे समय तक तंदुरुस्त रहेंगे.
  • एड्स से सीधे कोई नहीं मरता. HIV के वायरस से व्यक्ति इतना कमजोर हो जाता है कि उसे तमाम बीमारियां घेर लेती हैं.

खराब स्वास्थ्य सेवाओं के चलते ही अफ्रीकी देशों में एड्स के कारण होने वाली मौतों की गिनती अधिक है. रोगी HIV पॉजिटिव या निगेटिव होता है. 

क्या एचआईवी की दवा बना ली गई है?

अमेरिका की फार्मास्यूटिकल कंपनी ने HIV (Human immunodeficiency virus) रोकने की नई दवा बना ली है. इसे लेकर दावा है कि वह यौन संबंधों से होने वाले HIV संक्रमण को 99 परसेंट तक रोक सकती है. राहत की बात ये है कि इस दवा के आ जाने के बाद रोज गोली खाने के मौजूदा झंझट से निजात मिल जाएगी. इस नई दवा को साल में सिर्फ दो बार इंजेक्शन के जरिए लेना होगा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नई दवा का नाम लेनाकापाविर (Lenacapavir injection) है, जिसे बाजार में Yeztugo नाम से बेचा जाएगा. दवा बनाने वाली दिग्गज कंपनी गिलियड (Gilead Sciences) ने इसे तैयार किया है. इस दवा को लेकर दो बड़े ट्रायल हुए, जिसमें पाया गया कि जो लोग साल में 2 बार ये इंजेक्शन लेते हैं, उनमें से 99.9% लोगों को HIV संक्रमण नहीं हुआ. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर कहा कि FDA की मंजूरी के बाद अब यह दवा जल्दी WHO की मंजूरी भी पा सकती है, जिससे दुनियाभर के देशों में इसकी उपलब्धता आसान होगी.

Lenacapavir क्या है?

Lenacapavir एक एंटी-रेट्रोवायरल दवा है. यानी HIV वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकने वाली दवा. इसका इस्तेमाल HIV के इलाज और बचाव दोनों में होता है. इलाज के लिए Sunlenca नाम से ये दवा दी जाती है. जो लोग बहुत लंबे समय से HIV की दवाएं खा रहे हैं और अब दवाओं का असर उन पर नहीं हो रहा है, उनके इलाज में Lenacapavir का इस्तेमाल किया जाता है. इसे दूसरी HIV की दवाओं के साथ मिलाकर दिया जाता है.

बचाव के लिए Yestugo नाम से ये दवा दी जाती है. HIV संक्रमण से बचने के लिए इसे PrEP के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. मतलब अगर किसी व्यक्ति को HIV होने का खतरा है, तो वो ये दवा पहले से लेकर HIV से बच सकता है. यह दवा HIV वायरस के बाहरी खोल (Capsid) से चिपक जाती है और वायरस को शरीर में फैलने से और नई कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोक देती है.

PrEP क्या है?

PrEP यानी प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस अक्सर उन लोगों को दिया जाता है जिन्हें HIV के एक्सपोजर का रिस्क ज्यादा होता है. ये दवाइयां यौन संबंधों के जरिए HIV संक्रमण के खतरे को 99 प्रतिशत तक कम कर देती हैं. PrEP शुरू करने से पहले HIV का टेस्ट कराना जरूरी होता है. सिर्फ HIV नेगेटिव लोगों को संक्रमण की रोकथाम के लिए ही अकेले ये दवा दी जाती है. अगर HIV पॉजिटिव व्यक्ति को ये दवाएं अकेले दे दी जाएं तो वायरस में दवा के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता (resistance) आ सकती है. इससे अन्य दवाओं का असर कम होने का खतरा रहता है.

क्या ये दवा भारत में उपलब्ध है?

भारत में PrEP की जेनेरिक गोलियां उपलब्ध हैं लेकिन अभी आम लोगों तक इनकी पहुंच नहीं है. इसके पीछे दो वजहें हैं. एक तो इन दवाओं की कीमत काफी ज्यादा है और दूसरा ये अभी भारत के सरकारी HIV प्रोग्राम का हिस्सा नहीं हैं. भारत सरकार फिलहाल उन लोगों को मुफ्त इलाज देती है जो HIV पॉजिटिव पाए जाते हैं. एचआईवी के बचाव के लिए दिए जाने वाले इंजेक्शन Yeztugo की सालाना कीमत करीब 28 हजार 218 डॉलर यानी लगभग 23 लाख रुपए है.

वीडियो: पड़ताल: लखनऊ में एड्स फैलाने के आरोप में आसिफ और फवाद नाम के व्यक्ति गिरफ्तार?

Advertisement

Advertisement

()