जीने के संघर्ष में मिट गई हाथों की लकीरें, E-KYC नहीं हो रहा, राशन को तरसे ये लोग
MP E-KYC Biometric Scan Problem: सरकार का दावा है कि ऐसे लोग नॉमिनी के जरिए राशन ले सकते हैं. लेकिन फिलहाल हकीकत यही है कि भिंड के मीना और बाई जैसे लोग अपने हिस्से के अनाज से महरूम हैं. भूख के सामने सिस्टम खड़ा हो गया है, जिसका हल जल्द निकालना बेहद जरूरी है.

मध्य प्रदेश के भिंड जिले की रहने वाली मीना खान की उम्र ढल चुकी है. उनके चेहरे में झुर्रियां साफ दिखती हैं. मीना कहती हैं कि उनके घर में कमाने वाला कोई नहीं. ऐसे में वो खुद दूसरों के घर जाकर झाड़ू-बर्तन का काम करती हैं. लेकिन इससे उनकी हथेलियों की लकीरें मिट गई हैं. इसी वजह से उन्हें राशन नहीं मिलता.
मीना खान आजतक से बातचीत में बताती हैं कि 3 महीने से उन्हें गेहूं नहीं मिला. क्योंकि फिंगरप्रिंटर अंगूठा कैप्चर नहीं कर पा रहा. उन्होंने बहुत कोशिश की. लेकिन अंगूठे की लकीरें खत्म हो गई हैं. उनमें चिकनापन आ गया है. मीना ने जनसुनवाई में पहुंचकर शिकायत भी की थी. लेकिन कुछ नहीं हुआ.
केंद्र और राज्य सरकारें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत जरूरतमंदों को राशन देती हैं. लेकिन भिंड जिले में ऐसे लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है, जिन्हें कई महीनों से राशन नहीं मिला. वजह, E-KYC और फिंगरप्रिंट. अलग-अलग वजहों से गरीबों के हाथ की लकीरें घिस जाती हैं. जिसके चलते उनका फिंगर अपेडट नहीं हो पाता. ऐसे में उन्हें राशन की दुकान से खाली हाथ वापस लौटना पड़ता है.
मीना अकेली नहीं हैं, जो इस समस्या से जूझ रही हैं. नयापुरा इलाके की रहने वाली विकलांग युवती बाई भी इसी समस्या से जूझ रही हैं. बाई खुद से बिस्तर से उठ भी नहीं सकतीं. लेकिन उनका भी राशन तीन महीने से बंद है. क्योंकि मशीन उनके हाथों को पहचान नहीं पा रही.
बाई की मां सज्जो का कहना है कि उनके बच्चों में दो लड़के हैं, तीन लड़कियां हैं. दो लड़कियों की शादी हो गई है. लेकिन बाई को गल्ले से राशन नहीं मिल रहा. इससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. सज्जो कहती हैं कि उनके बच्चे ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है, वो ज्यादा कुछ जानते नहीं. वो कचहरी में गए थे, जहां उन्हें कार्ड बनाकर दे दिया गया. लेकिन उससे भी कुछ मदद नहीं मिल पाई.
आजतक से जुड़े रवीश पाल सिंह और हेमंत शर्मा ने इस सिलसिले में भिंड जिले के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति अधिकारी सुनील कुमार से बात की. उन्होंने कहा कि जिले में करीब नौ लाख लोग इस योजना से जुड़े हैं. इनमें से 8 लाख 30 हजार सदस्यों की KYC कराई जा चुकी है. जबकि 71 हजार सदस्य अभी बाकी हैं. इनमें से 50 हजार सदस्य ऐसे हैं, जो या तो मृत हो चुके है या पलायन कर चुके हैं.
ऐसे भी कई सदस्य हैं, जो बुजुर्ग हैं और उनके फिंगर नहीं हो पा रहे हैं. इस वजह से उनका KYC भी अपडेट नहीं हो रहा. कुछ लोगों के आधार कार्ड भी मोबाइल से लिंक नहीं है. सुनील कुमार बताते हैं कि ऐसे लोगों को चिह्नित करके अपडेट कराया जा रहा है. भोपाल से आयरिश KYC की मांग की गई है. जैसे ही मशीन उपलब्ध होगी, KYC करवा दी जाएगी. आंखों की पुतलियां स्कैन करके ये KYC होती है.
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आजतक ने मध्यप्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से भी बात की. उन्होंने कहा,
ऐसे लोग जो बायोमेट्रिक मैच न हो पाने के चलते राशन नहीं ले पा रहे, उनके लिए हमारे विभाग ने व्यवस्था की है. वो अपने परिवार के किसी एक सदस्य को अपना नॉमिनि घोषित कर उनकी KYC से राशन ले सकते हैं. इस संबंध में अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं.
सरकार का दावा है कि ऐसे लोग नॉमिनी के जरिए राशन ले सकते हैं. लेकिन फिलहाल हकीकत यही है कि भिंड के मीना और बाई जैसे लोग अपने हिस्से के अनाज से महरूम हैं. भूख के सामने सिस्टम खड़ा हो गया है, जिसका हल जल्द निकालना बेहद जरूरी है.
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