पेंशन की राह देखते-देखते चल बसीं 95 साल की बरफी देवी, 12 साल से हाई कोर्ट में चल रहा था केस
साल 1972 से 2011 तक Sultan Ram को स्वतंत्रता सेनानी पेंशन दी जाती थी. लेकिन बाद में जीवन प्रमाण पत्र अपडेट ना होने के कारण इसे बंद कर दिया गया. एक साल बाद 2012 में उनकी मृत्यु हो गई.

स्वतंत्रता सेनानी सुल्तान सिंह का नाम सुल्तान सिंह था या सुल्तान राम? और उनकी विधवा का नाम बर्फी देवी (Barfi Devi) था या बरफी देवी? सरकारी तंत्र के ऐसे ही कुछ सवाल थे. जिनके जवाब खोजने में 12 साल लग गए. इसके कारण बर्फी देवी को स्वतंत्रता सेनानी आश्रित पेंशन नहीं मिल पाया. 13 दिसंबर को हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी है. लेकिन इससे पहले कि बर्फी देवी को उनका हक मिलता, 8 नवंबर को 95 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
सुल्तान राम हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले थे. साल 1972 से 2011 तक उनको स्वतंत्रता सेनानी पेंशन दी जाती थी. लेकिन बाद में जीवन प्रमाण पत्र अपडेट ना होने के कारण इसे बंद कर दिया गया. एक साल बाद 2012 में उनकी मृत्यु हो गई. नियमों के मुताबिक, अब उनकी विधवा बर्फी देवी को स्वतंत्रता सेनानी के आश्रित के रूप में पेंशन मिलना था. उन्होंने इस मामले को आगे बढ़ाया भी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने हरियाणा सरकार से बर्फी देवी से जुड़ी जानकारियों पर स्पष्टता मांगी. उनके पति के नाम की स्पेलिंग सहित कुछ दूसरी तकनीकी दिक्कतों के कारण इसमें देरी होती गई. MHA ने पूछा था कि क्या "बर्फी देवी" और "बरफी देवी" नाम एक ही हैं? MHA ने ये भी स्पष्ट करने की मांग की थी कि उनके दिवंगत पति का नाम सुल्तान सिंह था या सुल्तान राम. क्योंकि उनके बैंक पासबुक और पैन कार्ड जैसे कुछ दस्तावेजों में ये अलग-अलग पाया गया था.
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महेंद्रगढ़ के डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस ने इस मामले पर स्पष्ट जानकारी लेने के बाद केंद्र सरकार से इस मामले की सिफारिश की. इसके बाद लंब समय बीत गया तो उन्होंने सितंबर 2023 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस मामले पर केंद्र की ओर से जवाब ना दाखिल करने पर हाई कोर्ट ने उन पर दो बार जुर्माना लगाया.
इस साल 24 अप्रैल को हाई कोर्ट ने केंद्र पर 15 हजार रुपये और फिर 24 जुलाई को 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. हालांकि, इसके बावजूद भी केंद्र ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया. हाई कोर्ट में 13 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई होनी है.
Sultan Ram कौन थे?सुल्तान राम, सुभाषचंद्र बास के साथ थे. सन 1940 में सुल्तान आजाद हिंद फौज में भर्ती हुए थे. उसके बाद 1944 के आसपास सुल्तान सिंह को फ्रांस में पकड़ लिया गया. साढ़े 3 साल तक जेल की यातना सही. 1947 में जेल से बाहर आए.
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