बांग्लादेश में 'फाइनल वॉर्निंग' वाला बैनर लेकर भीड़ हिंदू परिवार के घर में घुसी, सब खाक कर दिया
बांग्लादेश में एक और हिंदू परिवार पर हमले की खबर है. चट्टोग्राम के रहने वाले जयंती संघा और बाबू शुकुशील के घर में अराजक तत्वों ने आग लगा दी. उनके घर का सारा सामान इस आगजनी में खाक हो गया. घर के पालतू जानवर भी मारे गए.
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बांग्लादेश में इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद कानून-व्यवस्था चरमरा गई है. विरोध प्रदर्शन के नाम पर भीड़ सड़कों पर उतरकर उपद्रव कर रही है. हिंदू समुदाय से जुड़े लोगों को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है. मंगलवार, 23 दिसंबर को चट्टोग्राम इलाके में एक हिंदू परिवार पर भीड़ ने हमला बोल दिया. उनके घर में आग लगा दी, जिससे घर का सारा सामान जलकर खाक हो गया. उनके पालतू जानवर भी मारे गए. स्थानीय लोगों ने इंडिया टुडे को बताया कि परिवार के सभी सदस्य अगर बाड़ काटकर समय रहते भागे न होते तो उनके साथ भी अनहोनी हो सकती थी.
इंडिया टुडे से जुड़े आशुतोष मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, चट्टोग्राम में जयंती संघा और बाबू शुकुशील के घर पर हमला किया गया. घटनास्थल के पास एक बैनर भी मिला है, जिसमें बांग्ला भाषा में ‘हिंदू निवासियों’ को संबोधित करके धमकी लिखी है. इसमें कहा गया है,
इस क्षेत्र के हिंदू निवासियों को सूचित किया जाता है कि आप पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. आप पर इस्लाम और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है. आपको तुरंत ऐसी गतिविधियों को बंद करने की चेतावनी दी जाती है. अगर आपने इसका पालन नहीं किया तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

बैनर में आगे धमकी दी गई है,
अगर हिंदू समुदाय के लोग निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो उनके घर-संपत्तियां और कारोबार कुछ भी बख्शा नहीं जाएगा. कोई भी आपको बचा नहीं पाएगा. ये अंतिम चेतावनी है. किसी भी तरह के प्रतिरोध पर सख्त एक्शन लिया जाएगा.
बता दें कि ये घटना मैमनसिंह जिले में कथित ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू व्यक्ति दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के कुछ दिनों बाद सामने आई है. दास कपड़ा कारखाने के कर्मचारी थे. उन पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था. इसी को लेकर उन पर हमला हुआ और भीड़ ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला. इसके बाद उनके शव को लटकाकर उसमें आग लगा दी गई. बताया गया कि दास के साथ काम करने वाले कई लोग भी इस क्रूर हत्या में शामिल रहे.
दीपू चंद्र दास की हत्या की भारत में भी कड़ी निंदा की गई. दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन भी हुए.
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