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भारत-अमेरिका ट्रेड डील में फिर हलचल, किसानों की दहलीज तक पहुंच गया अमेरिकी दबाव?

America भारत के साथ अपना आयात घाटा कम करने के लिए Maize, Wheat, कपास और सोयाबीन जैसे उत्पादों के निर्यात पर जोर दे रहा है. वहीं India अपने छोटे किसानों को विदेशी प्रतिस्पर्द्धा से बचाने के अपने रुख पर अड़ा हुआ है.

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अमेरिका भारतीय कृषि बाजारों तक अपनी पहुंच चाह रहा है. (Reuters)
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आनंद कुमार
11 दिसंबर 2025 (Updated: 11 दिसंबर 2025, 03:35 PM IST)
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भारत और अमेरिका ट्रेड डील (India US Trade Deal) एक बार फिर से चर्चा में है. 10 दिसंबर को नई दिल्ली में लंबे समय से अटकी बातचीत फिर से शुरू हुई है. अमेरिकी वार्ताकार दो दिवसीय बातचीत के लिए दिल्ली आए हैं. उधर वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) जैमीसन ग्रीर ने कहा कि भारत ने अमेरिका को अब तक का सबसे अच्छा प्रस्ताव दिया है. 

जैमीसन ग्रीर ने बताया कि अमेरिकी किसानों की भारतीय बाजार में पहुंच बढ़ाने को लेकर बातचीत चल रही है. इसके लिए भारत को मनाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है. 10 दिसंबर को एक कार्यक्रम में बोलते हुए ग्रीर ने कहा,

 एक अमेरिकी व्यापार दल इस समय नई दिल्ली में मौजूद है. भारत में कुछ खास फसलों और मीट प्रोडक्ट को लेकर कुछ विरोध है. लेकिन वो बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने हमें जो प्रस्ताव दिए हैं वो अब तक के सबसे अच्छे प्रस्ताव हैं. भारत अमेरिका के लिए एक भरोसेमंद वैकल्पिक बाजार साबित हो सकता है.

अमेरिका चीन और भारत के साथ अपना आयात घाटा कम करने के लिए मक्का, गेहूं, कपास और सोयाबीन जैसे उत्पादों के निर्यात पर जोर दे रहा है. वहीं भारत अपने छोटे किसानों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के अपने रुख पर अड़ा हुआ है. इस साल अगस्त में इसी मुद्दे को लेकर भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर बात नहीं बन पाई थी.

इससे पहले 8 दिसंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारतीय चावल पर नए टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि भारत, चीन और थाईलैंड जैसे देश अमेरिकी बाजारों में चावल डंप कर रहे हैं. टैरिफ लगाने से ही इस समस्या का समाधान होगा. वाशिंगटन पहले ही भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा चुका है, जो किसी भी देश पर लगाया गया सबसे ज्यादा टैरिफ है.

प्रधानमंत्री ने पशुपालकों और किसानों को दिया था भरोसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भारत के किसानों और पशुपालकों को आश्वासन दे चुके हैं कि उनके हितों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. जबकि अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी मार्केट में अपनी पहुंच सुनिश्चित करना चाहता है.

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) के मुताबिक, अमेरिका सालाना 30 अरब डॉलर के मूल्य का सोयाबीन, 17.2 अरब डॉलर का मक्का, 7.3 अरब डॉलर का गेहूं और 1.9 अरब डॉलर के मूल्य का चावल निर्यात करता है. इस निर्यात का अधिकतर हिस्सा चीन, मैक्सिको, यूरोपीय यूनियन और जापान को होता है.

बीच का रास्ता निकाल सकता है भारत 

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर का सुझाव है कि कई दूसरे देश बायो फ्यूल के लिए अमेरिकी सोयाबीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. अमेरिका में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) मक्का और सोयाबीन बीज का इस्तेमाल होता है. भारत जीएम प्रोडक्ट्स का विरोध करता रहा है. ऐसे में ट्रेड डील में बीच का रास्ता निकाला जा सकता है यानी भारत अमेरिका से बायो फ्यूल के लिए सोयाबीन का आयात करने पर विचार कर सकता है.

घरेलू महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका ने नवंबर में कॉफी, चाय, फलों के रस, कोको, मसाले, केले, संतरे, टमाटर, बीफ और एडिशनल फर्टिलाइजर्स समेत कई एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स से रेसीप्रोकल टैरिफ हटा दिया था. 

इस साल की शुरुआत में अमेरिकी व्यापार मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इसके मुताबिक अमेरिका ने भारत के कृषि सहायता कार्यक्रमों में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM)  उत्पाद और डेयरी उत्पादों पर प्रतिबंध को लेकर चिंता जाहिर की थी.

फरवरी 2025 में थिंक टैंक ICRIER ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी उत्पादक है. लेकिन इसके बाजार पर घरेलू सहकारी और निजी कंपनियों का दबदबा है. इसमें ग्लोबल ब्रांड्स की हिस्सेदारी बेहद सीमित है. अमेरिकी डेयरी कंपनियों को एंट्री की अनुमति देने से प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को बेहतर क्वालिटी प्रोडक्ट मिलेगा. और उनके पास ज्यादा ऑप्शंस भी होंगे.

हालांकि भारतीय अधिकारियों को मानना है कि भारत अपने खाद्य सुरक्षा और सांस्कृतिक मान्यताओं को देखते हुए इससे समझौता नहीं कर सकता. ICRIER का मानना है कि भारत ने अपने दुग्ध उत्पादकों के हितों की सुरक्षा के लिए लगातार सतर्क रुख अपनाया है, जिनमें से अधिकतर छोटे पैमाने पर  सहकारी समितियों के जरिए काम करते हैं.

ICRIER ने अपनी रिपोर्ट में ये भी बताया कि भारत लंबे समय तक टैरिफ के सहारे खुद को अलग-थलग नहीं रख सकता. अगर भारत को अपनी ग्रोथ बढ़ानी है तो एक रणनीति के तहत अपना कृषि बाजार खोलना होगा. जिसमें फेज वाइज टैरिफ कट, कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए रिसर्च बेस्ड निवेश और आधुनिकीकरण जैसे कदम शामिल हैं. 

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