The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • India
  • Allahabad High Court said WhatsApp message targeting particular religion may be considered crime

किसी खास धर्म को निशाना बनाते हुए मैसेज भेजना क्राइम, हाई कोर्ट ने इसकी वजह भी बताई

एक शख्स पर Whatsapp पर कई लोगों को भड़काऊ मैसेज भेजने का आरोप लगा. उसने Allahabad High Court से अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कराने की मांग की. उसका कहना था कि उसने अपने मैसेज में किसी धर्म को निशाना नहीं बनाया.

Advertisement
Allahabad High Court said WhatsApp message targeting particular religion may be considered crime
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया.
pic
सचिन कुमार पांडे
9 अक्तूबर 2025 (Published: 12:49 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि Whatsapp पर किसी खास धर्म को निशाना बनाने वाली पोस्ट शेयर करना अपराध माना जा सकता है. वहीं ऐसा मैसेज शेयर करने पर धार्मिक समुदायों के बीच नफरत फैलाने के आरोप में BNS की धारा 353 (2) के तहत कार्रवाई की जा सकती है.

हाई कोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. दरअसल, अफाक अहमद नाम के शख्स ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. शख्स पर Whatsapp पर कई लोगों को भड़काऊ मैसेज भेजने का आरोप है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार शख्स ने एक मैसेज में कहा था कि उसके भाई को झूठे मामले में जानबूझकर निशाना बनाया गया है, क्योंकि वह खास धर्म से संबंध रखता है.

हाई कोर्ट ने नहीं मानी दलील

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उसने कथित पोस्ट में केवल अपने भाई की गिरफ्तारी के बारे में नाराजगी व्यक्त की थी. उसका उद्देश्य किसी भी तरह से धार्मिक भावना को भड़काना या शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ना नहीं था. इस पर कोर्ट ने कहा कि मैसेज में धर्म के बारे में भले ही कोई बात नहीं थी, लेकिन इसमें एक छुपा हुआ संदेश था कि उसके भाई को विशेष धर्म से जुड़े होने के कराण निशाना बनाया गया.

यह कहते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने आगे कहा कि शख्स के अनकहे शब्द खास समुदाय से आने वाले लोगों के एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करेंगे. लोगों को लगेगा कि उन्हें एक खास धर्म का होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है. पीठ ने कहा,

भले ही कोई यह सोचे कि व्हाट्सएप संदेश से किसी भी वर्ग के नागरिकों या समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंची है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक ऐसा संदेश है, जिसके अनकहे शब्दों से धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी, नफरत और गलत भावनाएं पैदा होने या उन्हें बढ़ावा देने की संभावना है. जहां एक विशेष समुदाय के लोग, पहली नजर में यह सोच सकते हैं कि उन्हें कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करके दूसरे धार्मिक समुदाय के सदस्यों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- 9 पन्नों का सुसाइड नोट, 15 IAS-IPS अधिकारियों के नाम, IPS पूरन कुमार ने जातिगत भेदभाव समेत कई गंभीर आरोप लगाए

धारा 353 (2) के तहत की जा सकती है कार्रवाई

कोर्ट ने आगे कहा कि किसी खास धर्म के लोगों को निशाना बनाते हुए मैसेज भेजना भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 (2) के अंतर्गत आता है, न कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 (3) के तहत. कोर्ट ने माना कि याचिका दायर करने वाला व्यक्ति मामले में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत राहत पाने का हकदार नहीं है. कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी.

वीडियो: असम बीजेपी इस वीडियो पर फंस जाएगी; सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

Advertisement

Advertisement

()