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भरी अदालत में हाईकोर्ट के जज को 'गुंडा' कहा, पता है वकील को अब क्या सजा मिली है?

Allahabad High Court News: वकील ने 2021 में जजों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया था. उन्होंने जजों को 'गुंडा' भी कहा था. कोर्ट ने अब इस मामले पर अपना फैसला सुनाया है.

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Allahabad High Court
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकील पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
11 अप्रैल 2025 (Published: 02:30 PM IST) कॉमेंट्स
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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने एक वकील को छह महीने की जेल की सजा सुनाई है. दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वकील अशोक पांडे ने 2021 में ओपन कोर्ट में जजों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था. वकील ने जजों को 'गुंडा' भी कहा था.

जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस बृज राज सिंह की बेंच ने अशोक पांडे को छह महीने की साधारण कारावास की सजा दी है. साधारण कारावास में दोषी को जेल में रखा जाता है, लेकिन उससे किसी भी तरह का कठोर काम या श्रम नहीं कराया जाता है. बेंच ने वकील से ये भी पूछा कि तीन सालों के लिए उनके हाईकोर्ट में प्रैक्टिस पर क्यों न रोक लगाई जाए.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने पांडे को आपराधिक अवमानना का दोषी पाया. बेंच ने अपने फैसले में कहा,

इस तरह के बार-बार किए गए कदाचार से पता चलता है कि अवमाननाकर्ता (पांडे) न केवल गुमराह है, बल्कि जानबूझकर इस अदालत के अधिकार को कमजोर करने का उद्देश्य रखता है. वो अदालत के आदेशों की अवहेलना करता है. गलती करने से इनकार करता है और सुधार का कोई संकेत नहीं दिखाता है.

वकील ने किया क्या था?

18 अगस्त, 2021 को जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच सुनवाई कर रही थी. इसी दौरान कोर्ट ने अशोक पांडे से कहा कि वो बेंच के समक्ष उचित कपड़े पहनकर नहीं आए हैं. बेंच का कहना था कि उन्होंने अपने शर्ट के बटन खोले हुए थे और आम लोगों की तरह कपड़े पहने हुए थे.

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बेंच ने उनको 'सभ्य पोशाक' पहनने की सलाह दी. वर्तमान बेंच ने माना है कि पांडे ने न केवल निर्देश का पालन करने से इनकार किया, बल्कि ‘सभ्य पोशाक’ के अर्थ पर सवाल उठाया. और कोर्ट को चुनौती भी दी. 11 अप्रैल को अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि वकील ने कोर्ट की कार्यवाही में बाधा डाली और अभद्र भाषा का प्रयोग किया. उन्होंने कोर्ट में मौजूद वकीलों और अन्य लोगों की उपस्थिति में न्यायाधीशों पर 'गुंडों की तरह व्यवहार करने' का आरोप लगाया.

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