अखलाक हत्याकांड: यूपी सरकार को झटका, आरोपियों का केस वापस लेने की याचिका कोर्ट ने खारिज की
Akhlaq Murder Case: कोर्ट ने केस वापसी के लिए दाखिल अर्जी को पूरी तरह से ‘आधारहीन और महत्वहीन’ करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया. अदालत ने कहा कि इस तरह की याचिका स्वीकार करने का कोई कानूनी आधार नहीं बनता.

साल 2015 के अखलाक मॉब लिंचिंग मामले (Akhlaq Mob Lynching Case) में उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है. सरकार ने अखलाक की हत्या के आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने के लिए सूरजपुर कोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन 23 दिसंबर को कोर्ट ने यूपी सरकार की ये याचिका को खारिज कर दी.
कोर्ट ने केस वापसी के लिए दाखिल अर्जी को पूरी तरह से ‘आधारहीन और महत्वहीन’ करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया. अदालत ने कहा कि इस तरह की याचिका स्वीकार करने का कोई कानूनी आधार नहीं बनता.
सरकार ने मुकदमा वापस लेने की अनुमति मांगी थीउत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस साल अक्टूबर में CrPC की धारा 321 के तहत आरोपियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग की थी. इसे लेकर सरकार ने ट्रायल कोर्ट में आवेदन किया था. यह धारा सरकारी वकील को कोर्ट की सहमति से मुकदमे से पीछे हटने की अनुमति देती है. यूपी सरकार ने कोर्ट में जो आवेदन पत्र दाखिल किया, उसमें कहा गया कि इस मामले में मुख्य गवाहों के बयानों में असमानता और विरोधाभास है. साथ ही सरकार ने ‘सामाजिक सद्भाव की बहाली’ का हवाला देते हुए कोर्ट से केस वापस लेने की अनुमति मांगी थी. हालांकि कोर्ट ने इस मांग को नहीं माना है.
साल 2015 में हुई थी अखलाक की हत्याघटना 28 सितंबर 2015 को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा इलाके के बिसाहड़ा गांव में हुई. इलाके के एक मंदिर के लाउडस्पीकर से दावा किया गया कि अखलाक नाम के शख्स के घर में गोमांस है. ये अफवाह आग की तरह इलाके में फैली. कुछ देर बाद एक उन्मादी भीड़ 52 साल के अखलाक के घर में घुसी. भीड़ में शामिल लोगों ने अखलाक को घर से बाहर निकाला. फिर तब तक मारा जब तक उनकी जान नहीं चली गई.
अखलाक के बेटे दानिश को भी इस घटना में गंभीर चोटें आई थीं. अखलाक की पत्नी इकरामन ने उसी रात थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने दस नामजद और चार से पांच अज्ञात लोगों पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था.
यह घटना काफी सुर्खियों में रही. देश से विदेश तक की मीडिया में इसकी चर्चा हुई. घटना के तीन महीने बाद यानी दिसंबर 2015 में पुलिस ने अपनी चार्जशीट दायर की जिसमें 15 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. बाद में इस मामले में अभियुक्तों की कुल संख्या 19 हो गई. साल 2016 में एक अभियुक्त की मौत हो गई और बाकी 18 अभियुक्त जमानत पर बाहर आ गए.
वीडियो: अखलाक हत्याकांड के आरोपियों पर योगी सरकार ने लिया बड़ा फैसला

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