पैराशूट न खुलने की कितनी संभावना होती है? कूदने के बाद खराबी आई तो कैसे बचा जा सकता है?
पैराशूट में गड़बड़ी के कारण एयरफोर्स के अफसर रामकुमार तिवारी की मौत हो गई. उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं. IAF ने बताया है कि हेलीकॉप्टर से छलांग के बाद उनके पैराशूट में खराबी आ गई थी... आखिर एयरफोर्स में पैराशूट पैक कौन करता है? कूदने के बाद पैराशूट में गड़बड़ी आने पर बचने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं?

भारतीय वायु सेना (IAF) के पैरा जंप इंस्ट्रक्टर रामकुमार तिवारी (Para Jump Instructor Ramkumar Tiwari) की मौत हो गई. 41 साल के तिवारी वारंट ऑफिसर के पद पर तैनात थे और IAF की आकाश गंगा स्काईडाइविंग टीम का हिस्सा थे. वायु सेना ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है.
घटना 5 अप्रैल की है. उत्तर प्रदेश के आगरा एयर बेस पर रामकुमार तिवारी सैनिकों को ‘पैराट्रूपिंग’ का प्रशिक्षण दे रहे थे. ‘पैराट्रूपिंग’ का मतलब होता है, पैराशूट की मदद से किसी विमान से छलांग लगाकर धरती पर उतरना, इसे पैराशूटिंग या स्काईडाइविंग भी कहा जाता है. सुबह करीब 9:30 बजे रामकुमार तिवारी ने हेलीकॉप्टर से छलांग लगाई. लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी आई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पैराशूट में तकनीकी खराबी आई. तिवारी सीधे जमीन पर गिरे.
IAF के जवान मदद के लिए उनकी ओर दौड़े. आनन-फानन में स्ट्रेचर लाया गया. एंबुलेस बुलाई गई और घायल अवस्था में उन्हें मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया. उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की कोशिश की. लेकिन करीब दो घंटे के प्रयास के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

इंडियन एयरफोर्स ने सोशल मीडिया एक्स पर घटना की पुष्टि की. उन्होंने लिखा,
IAF की आकाश गंगा स्काईडाइविंग टीम के एक पैरा जंप प्रशिक्षक की मौत हो गई. आगरा में डेमो ड्रॉप के दौरान लगी चोटों के कारण उनका निधन हो गया. भारतीय वायुसेना इस क्षति पर गहरा शोक व्यक्त करती है और शोक संतप्त परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है. इस दुख की घड़ी में हमन उनके साथ मजबूती से खड़ी हैं.
रामकुमार तिवारी के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं. एक बेटा 14 साल का है और दूसरा 10 साल का. उनके माता-पिता, रमाशंकर तिवारी और उर्मिला, यूपी के प्रतापगढ़ जिले के बेला गांव में रहते हैं. वहां उनका पैतृक घर है.
पैराशूट ना खुलने की कितनी संभावना होती है?इस घटना के कारणों को समझने के लिए लल्लनटॉप ने एक NSG कमांडो से बात की. उन्होंने बताया,
पैरा जंप की ट्रेनिंग इमरजेंसी की स्थिति के लिए या ‘एनेमी लाइन’ के पीछे जंप करने के लिए दी जाती है. ये दो तरह का होता है. स्टेटिक पैरा जंप में पैराशूट खुद ही खुल जाता है. जबकि फ्री फॉल पैरा जंप में पैराशूट को खुद से खोलना पड़ता है. और इसकी बहुत कम संभावना होती है कि पैराशूट ना खुले. किसी दुर्लभ स्थिति में ही ऐसा हो सकता है.
उन्होंने आगे कहा,
ट्रेनिंग की प्रक्रिया क्या होती है?जंप करने वाले के पास एक रिजर्व पैराशूट भी होता है. इमरजेंसी की स्थिति में अगर एक पैराशूट काम नहीं करता तो दूसरा विकल्प होता है. अगर ठीक-ठीक हाइट पर गड़बड़ी का पता चल जाए, यानी कि सेफ डिस्टेंस हो, तो बचा जा सकता है. लेकिन अगर डिस्टेंस ज्यादा ना हो और तब गड़बड़ी का पता चले, तो मुश्किलें आती हैं.
स्टेटिक पैरा जंप की ट्रेनिंग ले चुके NSG अधिकारी ने बताया,
सबसे पहले दो हफ्ते की ट्रेनिंग में लैंडिंग के बारे में ही सिखाया जाता है. अगर पैराशूट सही समय पर खुल भी जाए तो भी स्पीड बहुत ज्यादा होती है. और पैर टूटने की संभावना रहती है. इसलिए पहले लैंड करने का तरीका और इमरजेंसी की स्थिति से कैसे निपटना है… यही सिखाया जाता है. लेकिन पैराशूट को लेफ्ट-राइट करते समय, कुछ सेकेंड के लिए उसकी स्थिति वर्टिकल (खड़ा) से हॉरिजोंटल (क्षैतिज) हो जाती है. और इन चंद पलों में पैराशूट की स्पीड बढ़ जाती है. उस स्पीड को कम करने के लिए पैराशूट को फिर से वर्टिकल यानी कि सीधा करना पड़ता है.

अधिकारी ने कहा कि IAF में एक पूरा सेक्शन होता है जिसका काम पैराशूट पैकिंग का होता है. इसमें प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स होते हैं. इनका काम होता है पैराशूट की जांच करना और उन्हें पैक करना. एक बार जब कोई पैराशूट खुल जाता है तो गहन जांच के बाद ही उसे दोबारा पैक किया जाता है.
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एक सप्ताह में ये दूसरी घटना है जब IAF के किसी कर्मी की मौत हुई है. 2 अप्रैल को गुजरात के जामनगर में एक नाइट मिशन के दौरान ‘IAF जगुआर’ टू-सीटर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसके कारण फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की मौत हो गई. IAF ने बताया कि पायलटों को तकनीकी खराबी का सामना करना पड़ा. वो विमान को घनी आबादी से दूर ले गए, जिससे एयरफील्ड और स्थानीय लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे. एयरफोर्स की ओर से दोनों मामलों की जांच की जा रही है.
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