यूपी के फतेहपुर में 185 साल पुरानी मस्जिद का हिस्सा क्यों गिराया गया?
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में बनी नूरी मस्जिद के एक हिस्से को गिरा दिया गया. ये मस्जिद 185 साल पुरानी बताई जाती है. स्थानीय प्रशासन ने बताया कि ध्वस्त किया गया हिस्सा बांदा-बहरेच हाईवे पर बना 'अवैध निर्माण' था. वहीं मस्जिद प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया है.
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उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित ‘185 साल पुरानी’ नूरी मस्जिद का एक हिस्सा स्थानीय प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया. अधिकारियों ने बताया है कि मस्जिद का हिस्सा बांदा-बहरेच हाईवे पर बना ‘अवैध निर्माण’ था. वहीं कार्रवाई को लेकर मस्जिद प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया है.
इंडिया टुडे से जुड़े समर्थ श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक बहराइच-बांदा मार्ग (SH-13) को चौड़ा किया जाना था. प्रशासन का दावा था कि मस्जिद का एक हिस्सा बांदा-फतेहपुर रोड पर ‘अतिक्रमण’ कर रहा था. इसके लिए लोक निर्माण विभाग (PWD) ने 17 अगस्त, 2024 के दिन मस्जिद प्रबंधन के साथ 139 लोगों को ‘अवैध निर्माण’ हटाने के लिए नोटिस जारी किया था. 24 सितंबर के दिन कार्यवाही भी हुई, कई दुकानें हटाई गईं. इस दौरान मस्जिद प्रबंधन ने प्रशासन से मांग की कि वे थोड़ा और समय दें ताकि वे खुद ही अतिक्रमण वाले हिस्से को ढहा दें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
ऐसे में 10 दिसंबर के दिन प्रशासन और PWD ने मिलकर बुलडोजर की मदद से मस्जिद के लगभग 20 मीटर हिस्से को गिरा दिया. इस दौरान पुलिस की रैपिड एक्शन फोर्स तैनात रही ताकि इलाके में कानून व्यवस्था बनी रहे.
क्या है प्रशासन के दावे?NDTV में छपी खबर के मुताबिक अपर जिलाधिकारी (ADM) अविनाश त्रिपाठी ने बताया,
“मस्जिद प्रबंधन ने पहले इससे जुड़ी दुकानों को हटा लिया था. लेकिन हालिया निर्माण अवैध था और उसे हटाना अनिवार्य हो गया था. सैटेलाइट और ऐतिहासिक तस्वीरों से स्पष्ट है कि यह निर्माण दो-तीन साल पहले हुआ था. मस्जिद समिति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, लेकिन यह अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई है. मस्जिद का केवल अतिक्रमित हिस्सा हटाया गया है, बाकी मस्जिद सुरक्षित है.”
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मस्जिद समिति का पक्षउधर मस्जिद प्रबंधन समिति ने इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया. नूरी मस्जिद प्रबंधन समिति के प्रमुख मोहम्मद मोइन खान ने PWD के दावे को खारिज करते हुए कहा,
“नूरी मस्जिद 1839 में बनी थी, जबकि सड़क का निर्माण 1956 में हुआ. फिर भी PWD इसे अवैध बता रहा है.”
इस घटना ने क्षेत्र में हलचल मचा दी है. जहां मस्जिद प्रबंधन और प्रशासन के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, वहीं मस्जिद के ध्वस्तीकरण को लेकर स्थानीय लोग और प्रबंधन नाराज हैं. जबकि प्रशासन इसे ‘सड़क चौड़ीकरण और विकास कार्य’ का हिस्सा बता रहा है.
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