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पड़ताल: स्वामी विवेकानंद को 1857 क्रांति से जोड़ PIB ने इतिहास बदला, बाद में गलती मानी

PIB इंडिया ने रमण महर्षि को भी 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़कर दिखाया.

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PIB इंडिया ने स्वामी विवेकानंद को 1857 स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा.
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अंशुल सिंह
12 जनवरी 2022 (Updated: 12 जनवरी 2022, 12:41 PM IST)
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दावा 11 जनवरी 2022 को सुबह 11 बजकर 6 मिनट पर PIB इंडिया यानी प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो के ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट आता है. ट्वीट के साथ दो फोटो भी अटैच हैं. पहली फोटो में पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर तो दूसरी फोटो में एक आर्टिकल है. पीएम मोदी की फोटो के ऊपर लिखा है- न्यू इंडिया समाचार. दरअसल ये एक बुलेटिन का आर्टिकल है, जिसे PIB इंडिया निकालती है. PIB इंडिया के ट्वीट का कैप्शन अंग्रेजी में है, जिसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है- (आर्काइव)
'स्वतंत्रता आंदोलन में आम आदमी की बड़ी भागीदारी रही है, लेकिन उनमें से कई को भुला दिया गया है. इन गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से #AmritMahotsav समारोह शुरू किया गया है.'
ट्वीट के अंदर जिस आर्टिकल की तस्वीर है, उसका शीर्षक है-
'Inspiration from History' यानी 'इतिहास से प्रेरणा'.
अंग्रेज़ी में लिखे इस आर्टिकल के अंदर एक पैराग्राफ है, जिसका हिंदी अनुवाद है-
'भक्ति आंदोलन ने भारत में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की. भक्ति युग के दौरान, इस देश के संत और महंत, देश के हर हिस्से से, चाहे वह स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभु, रमण महर्षि हों, इसकी आध्यात्मिक चेतना के बारे में चिंतित थे. भक्ति आंदोलन ने 1857 के विद्रोह के अग्रदूत के रूप में कार्य किया.'
PIB इंडिया के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने PIB पर सवाल उठाए. उन्होंने PIB को कमेंट सेक्शन में बताया कि जब 1857 का स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था तब स्वामी विवेकानंद और रमण महर्षि पैदा भी नहीं हुए थे. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी कुछ इसी तरह का ट्वीट लिखकर कटाक्ष किया. 11 जनवरी की शाम होते-होते PIB इंडिया ने बुलेटिन के अंग्रेज़ी संस्करण में गलत फैक्ट रखने की बात स्वीकारते हुए  सुधार की बात कही और नए आर्टिकल की फोटो भी ट्वीट की. (आर्काइव) पड़ताल 'दी लल्लनटॉप' ने पूरे मामले की सच्चाई जानने के लिए पड़ताल की. हमारी पड़ताल में भी PIB के दावे गलत साबित हुए. सबसे पहले बात स्वामी विवेकानंद की. उनकी बायोग्राफी लिखने वाले स्वामी निखिलानंद अपनी किताब विवेकानंद: अ बायोग्राफी में स्वामी विवेकानंद के जन्म के बारे में लिखते हैं,
'स्वामी विवेकानंद, महान आत्मा, भारत में हिंदू धर्म के कायाकल्पकर्ता के रूप में पूर्व और पश्चिम में समान रूप से पूज्यनीय और विदेशों में इसके शाश्वत सत्य के प्रचारक के रूप में, सोमवार, 12 जनवरी, 1863 को सूर्योदय के कुछ मिनट बाद 6:49 पर पैदा हुए थे.'
इसके अलावा PIB की वेबसाइट पर हमें स्वामी विवेकानंद से जुड़ा 11 जनवरी, 2022 को पब्लिश किया गया एक आर्टिकल भी मिला. इसमें भी स्वामी विवेकानंद की जन्मतिथि 12 जनवरी, 1863 बताई गई है. रमण महर्षि के बारे में हमें जानकारी उनकी शिक्षाओं और विचारों का प्रचार-प्रसार करने वाली संस्था रमण केन्द्र दिल्ली की वेबसाइट पर मिली. इसके मुताबिक,
'रमण महर्षि का जन्म 30 दिसंबर 1879 को तमिनाडु के तिरुचुली में हुआ था.'
2006 में महर्षि रमण पर ए. आर. नटराजन द्वारा लिखी किताब Timeless in Time: The Autobiographical Writings of Sri Ramana Maharshi में महर्षि रमण के जन्म के बारे में बताते हुए लिखा है,
'30 दिसंबर, 1879 को तिरुचुली में रमण के जन्म के कारण यह एक पवित्र स्थान बन गया है.'
क्या है भक्ति आंदोलन? ये एक सामाजिक आंदोलन था जो संभवत: छठीं-सातवीं शताब्दी के आसपास तमिलनाडु से शुरू हुआ था. आंदोलन ने अलवर और नयनार, वैष्णव और शैव कवियों की कविताओं के माध्यम से काफी लोकप्रियता हासिल की. इन कवियों ने भावनात्मक स्वर में भक्ति का प्रचार किया और धार्मिक समतावाद को बढ़ावा दिया. कन्नड़ क्षेत्र में भक्ति आंदोलन की शुरुआत 12वीं शताब्दी में बसवन्ना ने की थी. इस दौरान जाति श्रेष्ठता को चुनौती दी गई, एक व्यक्ति के भगवान से सीधे संबंध और अच्छे कर्मों के माध्यम से मोक्ष की संभावना पर जोर दिया गया. 13 वीं शताब्दी में यह आंदोलन महाराष्ट्र पहुंचा और धीरे-धीरे पूर्वी और उत्तरी भारत में काफी लोकप्रिय हुआ. नतीजा हमारी पड़ताल में PIB इंडिया का दावा गलत साबित हुआ. स्वामी विवेकानंद और रमण महर्षि ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में कोई भूमिका नहीं निभाई थी और न ही इनके कार्यों ने 1857 स्वतंत्रता संग्राम में अग्रदूत की भूमिका निभाई थी. क्योंकि जब 1857 का स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, तब स्वामी विवेकानन्द और रमण महर्षि का जन्म भी नहीं हुआ था.
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