फिफ्टीज़ और सिक्सटीज़ के डिकेड को अगर बॉलीवुड का स्वर्ण काल माना जाता है, तो 1957का साल भारतीय सिनेमा का स्वर्ण साल कहा जा सकता है. क्योंकि उसी साल रिलीज़ हुईगुरुदत्त की - 'प्यासा'. जो अपनी पोएटिक ब्रिलियन्स, कभी न पुरानी होने वाली ब्लैकएंड व्हाइट सिनेमैटोग्राफी और बेहतरीन गानों के लिए याद की जाती है. बिना किसीभूमिका, बिना किसी तामझाम के जो थोड़े बहुत आए हैं हमारे हिस्से, सीधे शुरू करेंगेइस फ़िल्म के किस्से. देखें वीडियो