साल 1959 में Raj Kapoor और Nutan की एक फिल्म आई थी. इसका नाम था Anari.Hrishikesh Mukherjee फिल्म के डायरेक्टर थे. फिल्म में एक सीन है जहां राज कपूर केकिरदार राज को पैसे से भरा बटुआ मिलता है. ये एक अमीर आदमी का है. वो उस बटुए केसही मालिक को खोजकर उसे लौटाना चाहता है. एक बड़े से फैंसी होटल में पहुंचता है. तभीराज हाथ में पकड़ा बटुआ दिखाता है. दरबान के तेवर तपाक से बदलते हैं और वो सम्मान केसाथ अंदर जाने को कहता है. इस लाइन को Inder Raj Anand ने लिखा था. जब ये लाइनसिनेमा में कही गई, उसके करीब 63 साल बाद एक फिल्म आई. अधिक जानने के लिए देखेंवीडियो.