चूंकि ये अनुराग कश्यप का सिनेमा संसार है और सिनेमा उनकी रक्तवाहिनी है, तो होलीके रंगों की तरह फ़िल्म सिनेमाई संदर्भों से भीगी हुई है. ये संदर्भ कैर और कैरी केअचार के कड़वेपन और खट्टेपन की तरह हमारी लार ग्रंथियों के नल खोलते जाते हैं. कैसीहै ये फिल्म, जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो.