शुरुआत में ही एक डिस्क्लेमर देना ज़रूरी है. मैंने बास्केटबॉल रज के देखा है.स्कूल से पहले, 6:30 बजे उठकर. किसी भी और खेल से ज़्यादा. मैं 'सचिन बनाम धोनी' या'धोनी बनाम कोहली' से ज्यादा 'जॉर्डन बनाम लेब्रॉन' और 'लेब्रॉन बनाम करी' पर बातकर सकता हूं. अपनी पसंदीदा टीम के जर्सी, जूते और हुडीज़ ख़रीद रखे हैं. यानी टुरूफ़ैन. उम्मीद थी कि बेन अफ्लेक की 'एयर' एक अच्छी स्पोर्ट्स फ़िल्म होगी. मगरफ़िल्म में खेल के न्यूनतम शॉट्स हैं. फ़िल्म को स्पोर्ट्स फ़िल्म कहना ही बेमानीहै. 'एयर' किसी कंपनी, व्यक्ति या खेल के बारे में नहीं है; ये एक जूते के बारे मेंहै. जिसने फुटवियर और स्पोर्ट्स मार्केटिंग के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया.देखें वीडियो.