फिल्म रिव्यू : सब कुछ पाकर आवाज खो देने का नाम है 'जुबान'
फिल्म देखते हुए आप दुआ करने लगते हैं इस लड़के के साथ कुछ गलत हो जाए.
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आशीष मिश्रा
4 मार्च 2016 (Updated: 12 मई 2016, 12:39 PM IST)
फिल्म : जुबान
डायरेक्टर: मोजेज सिंह
कलाकार: विकी कौशल, सारा जेन डायस, मनीष चौधरी राघव चानना
लंबाई: 1 घंटा 58 मिनट
https://www.youtube.com/watch?v=Y1ZK_okNmxQ
हरप्रीत उर्फ दिलशेर. माने अपना हीरो विकी कौशल. गुरदासपुर का लड़का. बाबा गाते थे तो खुद भी गाता था. फिर कुछ हुआ कि गाना छोड़ दिया. जुबान पर असर ये कि हकलाने लगा. अब किसी के जैसा बनना चाहता है. दिल्ली पहुंचिए. वो भी पहुंचा. गिट्टी पर बैठा है. सांस लेता है, तो हवा का फंसना सुनाई देता है. डर लगता है दिल की धड़कन न सुनाई दे जाए. पहला शो है. सिनेमाहॉल एक दम खाली है. फिल्म बुसान फिल्म फेस्टिवल 2015 की ओपनिंग फिल्म थी. डायरेक्टर मोजेज़ सिंह को फिल्म के लिए राइजिंग डायरेक्टर एशिया स्टार अवार्ड मिला है.

कहानी पर लौटिए. फ्लैशबैक हरप्रीत का बचपन. चार लड़के मिलकर पीट रहे हैं. एक आदमी देख रहा है. बचाता नहीं जब तक वो खुद को न बचा ले. लड़के को पहला सबक मिलता है. सब कुछ खुद करना है, अपने बूते. कोई माई-बाप नहीं होता. सीख के साथ. एक पेन भी मिलता है. तड़ तड़ तड़. 11 साल बीत गए. वही पेन लिए दिल्ली पहुंच जाता है. उसी आदमी के पास. आदमी बड़ा बिजनेसमैन हो गया है. तड़ तड़ तड़. सीन चेंज. पैसा. जिम्मेदारी. चालबाजी. जलन. बदला. राजफाश. वाइन. टक इन शर्ट. बड़े घर में इंट्री. केकड़ा नोचकर खाती औरतों से दुश्मनी. तड़ तड़ तड़. सबकुछ सही हो रहा है. और आप दुआ करने लगते हैं इस लड़के के साथ कुछ गलत हो.

सीन चेंज. एंटर लड़की. लड़की के अपने किस्से हैं. लड़की कलाकार है. लड़के को कुरचती है. लड़का खुलता है. तड़ तड़ तड़. लड़के ने गाना छोड़ दिया था. फिर गाता है तो हकलाता नहीं, जितने वक़्त तक इश्क चलता है, म्यूजिक से और तारा. तारा हीरोइन है. सारा जेन डायस नाम है. एंग्री इंडियन गॉडेस में देखे थे.

विकी कौशल. मसान वाला लड़का. लेकिन पंजाबी के किरदार में कोई लोच नहीं पड़ता, न कहीं कमी लगती है. वजह है. विकी खुद पंजाबी है. सारा वक़्त विकी को देखने का मन करता है. एक्चली भी कहता है तो लगता है हमने ही गलत अंग्रेजी पढी है अब तक. पर रुको. फिल्म में कुछ कमी लग रही है. इश्क, स्ट्रगल और म्यूजिक तीनों को साथ-साथ दिखाने की कोशिश है. पर म्यूजिक भी उतना खुलकर नहीं आ पाया जितना इश्क.

इंटरवल के बाद कुछ बंधता नहीं है. बावजूद इसके राघव चानना एक बिजनेसमैन के पिन्ने बेटे के रोल में खूब जंचते हैं, लगता है अब रो देंगे कि कब. हीरो भली बात कहता है उसके बारे में.
तू तो कुत्ते से भी जलता है. उनके बाप बने हैं. मनीष चौधरी, उनने अपने हिस्से का सब किया है. पर मैं अपनी कहता हूं. मैं इंतजार में था कब दिलशेर वापस हरप्रीत हो जाए. कब सब कुछ छोड़ चला जाए. वैसा होता नहीं. गाने-वाने का ये है कि अच्छे हैं. खासतौर पर अज सानु ओ मिलेया. बाकी न होते तो भी फर्क नहीं पड़ता.
https://www.youtube.com/watch?v=i4un_t5tdmI
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