The Lallantop
Advertisement

विवेक अग्निहोत्री की चुनौती: "एक इवेंट कोई प्रूव करे कि सत्य नहीं है, मैं फिल्में बनाना छोड़ दूंगा"

मुझे आश्चर्य है, सरकार के मंच पर कश्मीर को भारत से अलग करने वाले टेरेरिस्ट लोगों के नरेटिव को सपोर्ट किया गया: विवेक अग्निहोत्री

Advertisement
vivek_agnihotri_nadav_lapid
"आपको जितने फतवे इश्यू करने हैं, करिए. मैं डरने वाला नहीं हूं"
29 नवंबर 2022 (Updated: 29 नवंबर 2022, 18:05 IST)
Updated: 29 नवंबर 2022 18:05 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

The Kashmir Files को International Film Festival of India 2022 (IFFI) में प्रीमियर के लिए चुना गया था. 22 नवंबर को इसे दिखाया गया. 28 नवंबर को IFFI ज्यूरी के चेयरमैन और इजराइली फिल्म मेकर नदाव लैपिड ने एक बयान दिया और चारों ओर हल्ला कट गया. किसी ने उनके बयान का समर्थन किया और किसी ने विरोध. दरअसल उन्होंने 'द कश्मीर फाइल्स' पर टिप्पणी करते हुए इसे अश्लील और प्रोपगैंडा फिल्म करार दिया था. साथ ही उसे IFFI जैसे इवेंट के लिए ठीक नहीं माना था.

इस मामले पर फ़िल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने पहले गोलमोल ट्वीट किया:

''गुड मॉर्निंग. सत्य सबसे खतरनाक होता है. वो लोगों से झूठ बुलवा सकता है.''

उसके बाद विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर एक वीडियो भी जारी किया है. इसमें उन्होंने लैपिड के साथ, उनकी बात का समर्थन करने वालों ले लिए तीखी टिप्पणी की है. उनका कहना है:

दोस्तों, कल (28 नवंबर) IFFI में ज्यूरी के चेयरमैन ने बोला कि कश्मीर फाइल्स एक वल्गर और प्रोपेगैंडा फ़िल्म है. मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं है. क्योंकि ये सारे टेरेरिस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन और भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाले हमेशा से कहते रहते हैं.

उन्होंने भारत सरकार के मंच का दुरुपयोग किये जाने पर आश्चर्य जताते हुए कहा:

मेरे लिए जो आश्चर्यजनक बात है कि भारत सरकार द्वारा आयोजित, भारत सरकार के मंच पर कश्मीर को भारत से अलग करने वाले टेरेरिस्ट लोगों के नैरेटिव को सपोर्ट किया गया. और उस बात को भारत में ही रहने वाले कई भारतीयों ने भारत के विरुद्ध इस्तेमाल किया. 

विवेक अग्निहोत्री ने आगे कहा:

आखिर ये लोग कौन हैं? ये वही लोग हैं जब मैंने फ़िल्म के लिए रिसर्च चालू की थी, तब से इसे प्रोपेगैंडा बोल रहे हैं. 700 लोगों के पर्सनल इन्टरव्यूज के बाद ये फ़िल्म बनी है. क्या वो 700 लोग, जिनके मां-बाप भाई-बहनों को सरेआम काट दिया गया. गैंग रेप किया गया. दो टुकड़ों में बांट दिया गया. क्या वो सब लोग प्रोपेगैंडा और अश्लील बाते कर रहे थे? जो पूरी तरह से हिन्दू लैंड हुआ करता था, आज वहां हिन्दू नहीं रहते हैं. उस लैंड में आज भी चुन-चुनकर हिंदुओं को मारा जाता है. क्या ये प्रोपेगैंडा और अश्लील बात है? यासीन मलिक अपने टेरर के जुल्मों को कबूल करके जेल में सड़ रहा है, क्या ये प्रोपेगैंडा और अश्लील बात है? 

दोस्तों ये बार-बार सवाल उठता है कि कश्मीर फाइल्स एक प्रोपेगैंडा फ़िल्म है. मतलब वहां कभी हिंदुओं का जीनोसाइड हुआ ही नहीं. तो आज मैं इन बुद्धिजीवियों और अर्बन नक्सल को चैलेंज करता हूं. इजराइल से आए महान फ़िल्ममेकर को भी चैलेंज करता हूं कि कश्मीर फाइल्स का एक डायलॉग, एक शॉट या एक इवेंट कोई प्रूव कर दे कि ये पूरी तरह से सत्य नहीं है, तो मैं फिल्में बनाना छोड़ दूंगा. ये हैं कौन लोग, जो हमेशा भारत के खिलाफ खड़े होते हैं? ये वही लोग हैं, जिन्होंने मोपला का सत्य किसी के सामने नहीं आने दिया. जिन्होंने डायरेक्ट ऐक्शन डे, जिसमें लाखों हिन्दू मारे गए, उसका सत्य सामने नहीं आने दिया. कश्मीर का सत्य सामने आने नहीं दिया. ये वही लोग हैं, जो भारत में जलती चिताओं को कोविड के वक़्त चंद डॉलरों में बेंच रहे थे. और आज जब मैंने वैक्सीन वॉर को अनाउंस किया है, तो उसके खिलाफ़ खड़े हो गए हैं. पर मैं डरने वालों में से नहीं हूं. आपको जितने फतवे इश्यू करने हैं, करिए. मैं डरने वाला नहीं हूं. 

इस पर अनुपम खेर ने भी एक वीडियो जारी किया था. इसमें उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा था:

कश्मीर का सच उन्हें पच नहीं रहा है. वो चाहते हैं कि उसे किसी अच्छे-रंगीन चश्मे से देखा और दिखाया जाए. यही वो पिछले 25-30 साल करते आए हैं. आज जब इस पर कश्मीर फाइल्स न सच को जैसा है वैसा दिखाकर पानी फेर दिया है. उन्हें बहुत तकलीफ हो रही है. पेट में मरोड़ उठ रही है. जो सच भयावह है और जो सच भद्दा है. जो सच जितना नंगा है. उसे अगर आप देख नहीं पाते, तो आंखे मींच लीजिए. मुंह सिल लीजिए. पर उसका मज़ाक मत उड़ाइए. क्योंकि हम इस सच के भुक्तभोगी हैं. 

इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भेजी गई थी 'द कश्मीर फाइल्स', ज्यूरी हेड बोले- "अश्लील, प्रोपेगेंडा"

thumbnail

Advertisement

Advertisement