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शाहरुख की 'चमत्कार' के किस्से, जिसकी कहानी से लेकर गानों तक सब विदेश से उठाने का चमत्कार किया गया था

1992 में शाहरुख की पहली फ़िल्म आई 'दीवाना'. उसी साल नसीरुद्दीन शाह और उर्मिला मातोंडकर के साथ बतौर लीड दूसरी फ़िल्म आई 'चमत्कार'. आज उसी फिल्म के कुछ चमत्कारी पहलुओं पर बात करेंगे.

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Shahrukh-Naseer
चमत्कार में शाहरुख-नसीर ने पहली और आखिरी बार एक साथ काम किया
29 जुलाई 2022 (Updated: 29 जुलाई 2022, 15:29 IST)
Updated: 29 जुलाई 2022 15:29 IST
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1992 का साल बॉलीवुड के लिए एक बड़ा साल है. आप सोच रहे होंगे, कोई बड़ी फ़िल्म रिलीज़ हुई होगी या कोई महत्वपूर्ण अवॉर्ड मिला होगा. ना जी ना, कुछ और हुआ था. इस साल हिंदी फ़िल्मों को वो सितारा मिला, जो आजतक अपनी चमक बिखेर रहा है. शाहरुख खान. नाम तो सुना ही होगा. 1992 में उनकी पहली फ़िल्म आई 'दीवाना'. उसी साल नसीरुद्दीन शाह और उर्मिला मातोंडकर के साथ बतौर लीड दूसरी फ़िल्म आई थी. 'चमत्कार'. आज उसी के किस्से बांचेंगे. 

चमत्कार

ये अपने दौर की पहली हॉरर कॉमेडी थी. जिसमें घोस्ट हीरो का दोस्त बन जाता है और उसकी मदद करता है. उसके ज़रिए अपनी मदद भी करता है. इन्हीं सब में कॉमेडी पनपती है. 'चमत्कार' के लिए सबसे पहले गोविंदा को अप्रोच किया था. ये वो दौर था, जब गोविंदा अपने पीक पर थे. एक साल में क़रीब 5 से 6 फिल्में किया करते थे. उन्हें आज के दौर का अक्षय कुमार कहा जा सकता है. ज़ाहिर-सी बात है, गोविंदा के पास डेट्स नहीं थीं. तब शाहरुख के पाले में रोल आया और शाहरुख ने लपक लिया. फिल्म में नसीर साहब भी हैं. वो ‘चमत्कार’ जैसी फिल्मों को आर्ट और कमर्शियल सिनेमा में बैलेंस बनाने के लिए करते थे. उन्हें भी पॉपुलर हीरो बनना था. पर उनका मानना था कि वो कमर्शियल सिनेमा में कभी फिट नहीं बैठेंगे. वो कहते थे,  

‘मैंने कोशिश की और हर बार असफल रहा, त्रिदेव को छोड़कर’.

# जब गौरी के लिए फिल्में छोड़ने को तैयार हो गए शाहरुख खान

ख़ैर, चमत्कार शाहरुख की दूसरी फ़िल्म थी. इससे पहले 'दीवाना' रिलीज़ भी हो चुकी थी. पर उन्होंने सबसे पहले जिस फ़िल्म के लिए शूट शुरू किया, उसका नाम था 'दिल आशना है'. इसे हेमा मालिनी ने डायरेक्ट किया था. ये उनके निर्देशन में बनी दो फ़िल्मों में से एक थी. 'चमत्कार' का निर्देशन राजीव मेहरा ने किया. आगे चलकर उन्होंने शाहरुख के साथ 'राम जाने' बनाई. इसे उनके पिता की प्रोडक्शन कंपनी ईगल फ़िल्म्स प्रोड्यूस कर रही थी. फ़िल्म को ऑफिशियली राजीव के भाई पीसी मेहरा प्रोड्यूस कर रहे थे. पर हर फ़िल्म में उनके पिता एफसी मेहरा का कुछ न कुछ दखल तो होता ही था. एफसी मेहरा चाहते थे कि शाहरुख को 'चमत्कार' रिलीज़ होने तक अपनी शादी की तारीख़ आगे बढ़ा देनी चाहिए. पर शाहरुख ने तो अपनी पहली फ़िल्म 'दीवाना' रिलीज़ होने के पहले ही शादी कर ली. कहते हैं, जब मेहरा ने उनसे अभी शादी न करने की बात कही, उनके सामने शादी और करियर में से किसी एक को चुनने को कहा, तो शाहरुख शादी के लिए फ़िल्म छोड़ने को राज़ी हो गए. हालांकि मेहरा इस बात से इनकार करते हैं. फिर भी सिनेमाई गलियारे में किस्से तो तैरते ही हैं. 1992 में स्टारडस्ट को दिए एक इंटरव्यू में शाहरुख ने कहा था: 

मेरी वाइफ पहले आती हैं. और मैं यहां तक कह सकता हूं, मुझसे करियर और गौरी में से किसी एक का चुनाव करने को कहा जाएगा, मैं फ़िल्में छोड़ दूंगा.

चमत्कार में नसीर और शाहरुख

# लोगों ने फटी जींस वाले शाहरुख को सिरे से नकार दिया

शूटिंग से पहले कोई भी 'चमत्कार' में शाहरुख की कास्टिंग से सहमत नहीं था. वो तो एफसी मेहरा थे, जिन्होंने शाहरुख के लिए कहा: ‘दिस बॉय विल बी द हीरो’. मेहरा परिवार दीवाली पर एक पार्टी होस्ट करता था. इसमें फ़िल्मी सितारे शिरकत करते थे. ऐसी ही एक पार्टी में शाहरुख खान भी पहुंचे. उस समय तक राजीव मेहरा उन्हें 'चमत्कार' के लिए साइन कर चुके थे. दुबले-पतले शाहरुख ने फटी हुई जींस पहन रखी थी. उस दौर में हट्टेकट्टे ऐक्टर्स को पसंद किया जाता था. शाहरुख इकहरे बदन के थे और उनकी हाइट भी कम थी. पार्टी में मौजूद लोग मेहरा से उनके बारे में कह रहे थे, 'ये आपकी अगली फ़िल्म का हीरो होने वाला है? आपको हो क्या गया है?' राजीव के पिता एफसी मेहरा कहा करते थे कि फिल्मकार को दूसरों की नहीं, अपने अंतर्मन की आवाज़ सुननी चाहिए. यही हुआ. इन सब बातों का असर राजीव पर बिल्कुल नहीं हुआ. उनके भाई उमेश का कहना था कि आप इस तरह दूसरे लोगों की चिंता करेंगे, तो कभी फ़िल्म नहीं बना सकेंगे. पिता नए टैलेंट को मौक़ा देते थे, वो इस बात पर रोते नहीं थे कि हमसे ये नहीं होगा, वो नहीं होगा.

उर्मिला और शाहरुख 

# शाहरुख को लात मारने से डर रही थीं उर्मिला

शाहरुख और उर्मिला मातोंडकर दोनों 'चमत्कार' के समय बॉलीवुड में नए थे. दोनों की मुलाक़ात इससे पहले नहीं हुई थी. पहली बार वो चमत्कार के सेट पर मिले. इसी अज़नबीयत के चलते उर्मिला शाहरुख के साथ एक शॉट करने में बहुत असहज हो गई थीं. फ़िल्म में एक गाना है 'बिच्छू ओ बिच्छू'. ये गाना उस दौरान खूब चला था. उर्मिला कहती हैं इस गाने को फिल्माने में हमें बहुत मज़ा आया था. पर इसी गाने का एक सीक्वेंस शूट करते समय उर्मिला बहुत नर्वस हो गई थीं. उन्हें इस गाने में एक जगह शाहरुख को लात मारनी थी. अब उर्मिला ये करें तो कैसे? बस दो मिनट पहले ही उनकी शाहरुख से मुलाकात हुई थी. वो अनकंफर्टेबल थीं. टेक्स पर टेक्स हुए जा रहे थे और वो शाहरुख को किक ही नहीं मार पा रही थीं. वो जैसे ही कैमरे के सामने आतीं, घबरा जाती. यही क्रम काफ़ी देर तक चलता रहा. तब जाकर शाहरुख ने उनसे बात की. 'उर्मिला ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है. तुम्हें सच में नहीं कैमरे के सामने मुझे किक मारनी है.' तब जाकर उर्मिला थोड़ा सहज हुईं और आखिरकार वो शॉट फाइनल हुआ.  

 ‘बिच्छू’ गाने में शाहरुख
# अनु मलिक पर 14 साल की पॉप सिंगर का गाना चुराने का आरोप लगा 

बॉलीवुड फ़ॉरेन फिल्मों से इंस्पायर होता रहा है. 'चमत्कार' भी 1968 में आई अमेरिकन फैन्टेसी कॉमेडी ‘ब्लैकबियर्ड्स घोस्ट’ से इंस्पायर थी. ठीक ऐसे ही अनु मलिक और बप्पी लहरी जैसे म्यूजिक डायरेक्टर विदेशी गानों से धुन उठाते रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इसी फिल्म को लेते हैं. चमत्कार एक भूत की कहानी है. अनु मलिक साहब के भी गाने शायद तीन अलग-अलग भूतों ने कम्पोज किए हैं. या उन्होंने विदेशी गानों से 'प्रेरणा' ली होगी.  

1. ‘बिच्छू’ गाना खूब मशहूर हुआ था. एक ट्रेन के भीतर फिल्माए गए इस गाने में उर्मिला, उनके दोस्त एक बिच्छू की खोज में हैं और इसी दौरान शाहरुख का पीछा कर रहे हैं. गाने का बढ़िया फिल्मांकन है. पर इस गाने की ट्यून के पीछे असली दिमाग अनु मालिक का नहीं था. इनकी ट्यून सबसे पहले 1961 में आए इंट्रूमेंटल 'आई विल फॉलो हिम' के लिए कम्पोज़ की गई थी. इसे फ्रेंच कम्पोजर फ्रैंक पॉर्सल ने बनाया था. बाद में ब्रिटिश सिंगर पेटुला क्लार्क ने इस ट्यून का इस्तेमाल करते हुए 1962 में 'चैरिएट' नाम से एक गाना बनाया. 'बिच्छू ओ बिच्छू' की धुन जिस गाने से सबसे ज़्यादा मेल खाती है, वो है 'चैरिएट' और 'आई विल फॉलो' को मिलाकर बनाए गए लिटल पेगी मार्च के एक अपटेम्पो सॉन्ग से. जिसे उन्होंने महज़ 14 साल की उम्र में कम्पोज़ किया था. 

2. दूसरा गाना है 'जवानी दीवानी'. खास बात ये है कि इसकी ट्यून का कुछ हिस्सा बाज़ीगार के गाने 'ये काली-काली आंखें' से मिलता है. हालांकि वो गाना भी कई विदेशी धुनों की खिचड़ी है. उस पर बात फिर कभी. उस गाने को भी अनु मालिक ने ही कम्पोज़ किया था.  खैर, 'जवानी दीवानी' की शुरुआती चार लाइन को बोनी एम के ‘बहामा मामा’ से ऐज इट इज उठाया गया था.

3. तीसरा चमत्कारी सॉन्ग है 'ओ मेरी नींदे चुराने वाले'. अनु मलिक पर इसकी धुन भी चुराने का आरोप लगा. और उन्होंने ये धुन चुराई थी, अमेरिकन रॉक बैंड डॉक्टर हूक के 'व्हेन यू आर इन लव विद अ ब्यूटीफुल वुमन' से. हालांकि वो बप्पी लहरी से 11 साल पीछे रहे. बप्पी दा इस धुन को 1981 में 'मेरे जैसी हसीना का दिल' में इस्तेमाल किया था. 'व्हेन यू आर इन लव विद अ ब्यूटीफुल वुमन' की शुरुआती 7-8 लाइन बप्पी लहरी और अनु मलिक ने ऐज इट इज उठाई है. 

ऐसे चमत्कार होते रहते हैं. इन चमत्कारों को नमस्कार है. फिर मिलेंगे किसी नई मूवी के नए बॉलीवुड किस्सों के साथ. 

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