"दिल धड़कने दो का सबसे नंगा सीन है वो, उसी को पढ़ कर मैंने इस फिल्म को हां कहा"
अक्षय कुमार से उम्र में कम होने के बावजूद 'वक्त' में उनकी मां बनीं थीं शेफाली, इसे वो करियर की बड़ी ग़लती मानती हैं.

Shefali Shah ने फिल्म Dil Dhadakne Do में Ranveer Singh की मां का किरदार निभाया था. उससे पहले साल 2005 में आई Waqt में उन्होंने Amitabh Bachchan की पत्नी और Akshay Kumar की मां का कैरेक्टर किया था. जबकि अक्षय उम्र में उनसे बड़े हैं. 'वक्त' फिल्म के दौरान शेफाली 32 साल की थीं और अक्षय 38 के. मगर शेफाली ने ये इस ऑफर को ठुकराया नहीं. मगर इसे वो अपने करियर की ग़लती मानती हैं. 'दिल धड़कने दो' तक भी इस ग़लती का अहसास कम नहीं हुआ था. मगर फिल्म की स्क्रिप्ट में लिखी एक लाइन उन्हें छू गई. और शेफाली ने इसमें रणवीर और Priyanka Chopra की मां के रोल के ऑफर को हां कह दी.
पिछले दिनों जब शेफाली The Lallantop के ख़ास कार्यक्रम Guest In The Newsroom में आईं, तो उन्होंने ये पूरा किस्सा सुनाया. सिनेमा और समाज में महिलाओं की दशा पर भी खुल कर बात की. शेफाली ने कहा,
“जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी थी, तो स्टोरीलाइन तो मुझे बहुत पसंद आई. मज़ेदार कहानी थी. मगर वो एक्टर्स जो उम्र में मुझसे कुछ साल ही छोटे हैं, उनकी मां का रोल मुझे करना चाहिए या नहीं. वक्त के समय मैंने एक ग़लती कर ली थी. उसमें मैंने मुझसे बड़े एक्टर की मां का रोल प्ले किया. और तब मुझे अहसास हुआ कि इस फैसले का करियर पर क्या असर पड़ता है.”
शेफाली ने बताया कि वो एक लाइन पढ़ते ही उनका सारा असमंजस ख़त्म हो गया. और उन्होंने पल भर में ये फिल्म करने का फैसला ले लिया. इस बारे में उन्होंने कहा,
"मैं दिल धड़कने दो की स्क्रिप्ट पढ़ रही थी. दिमाग़ में ये उधेड़बुन चल रही थी कि क्या करूं, क्या न करूं. कास्ट भी तगड़ी थी. मगर पुराना तजुर्बा मैं भूली नहीं थी. मगर स्क्रिप्ट की वो एक लाइन मैंने पढ़ी, और फिर इस रोल को ना नहीं कह सकी. वो लाइन थी, And She stuffs her face with cake… बस. मैंने कहा, ये तो मुझे करना ही है."
शेफाली ने बताया कि पेपर पर फिल्म में सबसे कमज़ोर रोल उनका ही था. यानी अनिल कपूर के किरदार कमल की पत्नी नीलम का रोल. मगर शेफाली ने ये चैलेंज लिया. उन्होंने कहा,
“जब यूनिट के लिए इस फिल्म की स्क्रीनिंग हुई, तब जावेद साहब (जावेद अख़्तर), रीमा (रीमा कागती) और ज़ोया (ज़ोया अख्तर) ने कहा कि पेपर पर सबसे कमज़ोर रोल यही था. मैंने कहा कि मेरे हिसाब से फिल्म का सबसे मज़बूत किरदार ही ये है. वो पल जब वो तनाव में गुस्से में दर्द में केक खा रही है, वो अनमोल है. वो सीन पेपर पर लिखा हुआ था. इसका श्रेय राइटर और डायरेक्टर को जाता है. मैंने उसे किस तरह निभाया, वो अलग बात है. मैं मॉडेस्टी नहीं दिखा रही हूं. मगर वो सीन कोई भी करता, तब भी सीन इतना ही असरदार होता. वो इतना मज़बूत और प्रभावशाली सीन है. मैं मान रही हूं कि मैंने वो सीन बख़ूबी निभाया. (एक पॉज़ लेकर कहती हैं)... वो इस फिल्म का सबसे नंगा, सबसे सच्चा सीन है. कई लोग तनाव में इमोशनल ईटिंग करते हैं. मैंने भी की है.”
बहरहाल, शेफाली के करियर की बात करें, तो एक्टिंग की शुरुआत उन्होंने गुजराती नाटकों से की. 90 के दशक के सुपरहिट टीवी सीरियल ‘तारा’ ने उन्हें पहचान दिलाई. फिर उन्होंने ‘बनेगी अपनी बात’, ‘नया नुक्कड़’ और ‘दरार’ जैसे सीरियल्स में भी काम किया. राम गोपाल वर्मा की ‘रंगीला’ में उन्होंने छोटा सा रोल किया था. बड़े पर्दे पर उन्हें पहचान मिली 1998 में आई फिल्म ‘सत्या’ से. इसमें उन्होंने मनोज बाजपेयी के किरदार भीखू म्हात्रे की पत्नी प्यारी म्हात्रे का का रोल किया था. उनके हालिया काम की बात करें, तो उनकी सीरीज़ ‘डेल्ही क्राइम’, फिल्म ‘थ्री ऑफ अस’, ‘डार्लिंग्स’ और शॉर्ट फिल्म ‘जूस’ उनके ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें उनकी एक्टिंग ने देश भर से तारीफें बटोरीं.
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