The Lallantop
Advertisement

शाहरुख की 5 स्वीट फिल्में, जिनमें से कुछ तो कट्टर फैन्स ने भी नहीं देखी होंगी

शाहरुख की वो प्यारी फिल्में, जिन्हें देखकर हर मां सोचती कि मेरा बेटा ऐसा हो. हर लड़की सोचती कि भविष्य का साथी इतना ही प्यारा हो. नाइंटीज़ में आई शाहरुख की ऐसी ही स्वीट फिल्मों के बारे में बताएंगे, जो देखी जानी चाहिए.

Advertisement
shah rukh khan underrated movies yes boss kabhi haan kabhi naa raju ban gaya gentleman
इन पांचों फिल्मों को घर बैठे देख सकते हैं.
font-size
Small
Medium
Large
1 जून 2023 (Updated: 1 जून 2023, 12:11 IST)
Updated: 1 जून 2023 12:11 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

हिंदी सिनेमा में साल 2023 की धमाकेदार शुरुआत की Shah Rukh Khan ने. उनकी फिल्म Pathaan ने हज़ार करोड़ से ज़्यादा पैसे छापे. अगली फिल्म Jawan भी लार्जर दैन लाइफ टाइप है. फुल हवा वाला एक्शन. मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से लिखा जा रहा है कि शाहरुख अब ऐसी ही फिल्में करने वाले हैं. सरल, स्पष्ट और सरस फार्मूला है. ज़्यादा एक्टिंग का भी लोड नहीं लेना पड़ता. ऊपर से छप्परफाड़ पैसा कमाएं वो अलग. हर किसी का फायदा ही फायदा. लेकिन शाहरुख सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर पैसा पीटने वाले स्टार नहीं हैं. वो मानते हैं कि पैसे के चक्कर में बिना सिर-पैर की फिल्में की हैं. 

हालांकि वहां तक का रास्ता बना मीनिंगफुल सिनेमा से. ऐसी फिल्मों से, जिन्होंने मंडी हाउस की गलियों में टहलने वाले लड़के को शाहरुख बनाया. शाहरुख की वो प्यारी, शहद सी मीठी फिल्में जिन्हें देखकर हर मां सोचती कि मेरा बेटा ऐसा हो. हर लड़की सोचती कि भविष्य का साथी इतना ही प्यारा हो. रिलेटेबल फिल्मों ने शाहरुख को सबसे अलग लाकर खड़ा कर दिया. उनके ये किरदार मुकम्मल इंसान नहीं होते थे. बस इंसान होते थे. उनका यही होना ज़रूरी था. नाइंटीज़ में आई शाहरुख की ऐसी ही स्वीट फिल्मों के बारे में बताएंगे, जो देखी जानी चाहिए. 

#1. राजू बन गया जेंटलमैन (1992)
डायरेक्टर: अज़ीज़ मिर्ज़ा 

raju ban gaya gentleman
‘राजू बन गया जेंटलमैन’ में शाहरुख का किरदार सपने लेकर मुंबई आता है.   

शाहरुख का किरदार राजू मुंबई में अपने सपने ढूंढने और फिर उन्हें पूरा करने आता है. बड़े शहर में हकबकाया हुआ. सिर पर छत नहीं. लोग मिलते हैं. अपने हो जाते हैं. ये नया शहर उसे नौकरी देता है. रुतबा देता है. प्यार देता है. पहले कुछ नहीं था, तब ज़मीन से जुड़ा था. पैर आसमान में पहुंचते ही बुद्धि भी हवाई उड़ान लेती है. राजू बदल जाता है. या शायद उसका ये पक्ष शुरू से ही कहीं दबा बैठा था. सब कुछ मिलने के बाद बाहर आया. राजू को गलती का एहसास होता है और अपने कदम वापस चिर-परिचित राहों पर बढ़ाता है. राजू को अच्छे या बुरे के सांचे में नहीं डाल सकते. वो थोड़ा सही था और थोड़ा गलत. लेकिन सबसे ऊपर वो हम-आप जैसा था.  

कहां देखें: यूट्यूब

#2. ओ डार्लिंग ये है इंडिया (1995)
डायरेक्टर: केतन मेहता

shah rukh khan movie
फिल्म में शाहरुख के साथ दीपा मेहता थीं. 

एक लड़का है. जेब में कौड़ी नहीं. मुंबई शहर में नया है. घर से ये सोचकर निकला था कि बंबई जाकर एक्टर बनूंगा. एक रात किसी लड़की से रास्ता टकराता है. कुछ ही समय में दोनों साथ आ जाते हैं. एक मिशन के लिए. हुआ ये है कि एक गैंगस्टर देश के प्रधानमंत्री को गायब कर के उनकी जगह लेने का प्लान बना रहा है. उसकी किस्मत तब तक अच्छी थी, जब तक उस लड़के और लड़की को इसके बारे में पता नहीं चलता. ये दोनों लोग मिलकर उसे रोकने की कोशिश करते हैं. केतन मेहता के निर्देशन में बनी ये फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई. लेकिन इसका सटायर बहुत पैना था. कुछ ऐसा, जो मेनस्ट्रीम फिल्मों में हज़म नहीं किया जाता. शाहरुख की इस फिल्म को भले ही कम लोग याद करते हैं, मगर जितने भी करते हैं, सही वजह से याद करते हैं.     

कहां देखें: नेटफ्लिक्स  

#3. गुड्डू (1995)
डायरेक्टर: प्रेम ललवानी 

फिल्म को लेकर बहुत सारे लोगों का मानना है कि ‘गुड्डू’ शाहरुख की सबसे बुरी फिल्मों में से है. लेकिन किसी को भी शाहरुख से शिकायत नहीं थी. आज के समय के लिहाज़ से ये फिल्म बहुत ओवर इमोशनल लग सकती है. कई लोगों को गैर ज़रूरी ड्रामा लग सकता है. लेकिन फिल्म की एंडिंग को लेकर सबकी राय बिल्कुल एक जैसी रही. लोगों ने दमादम रिव्यूज़ में लिखा है कि फिल्म का अंत बहुत ही प्यारा है. वैसा, जिसके लिए दिल छूने जैसी बातें कही जाती हैं. फिल्म में शाहरुख का किरदार मिलता है मनीषा कोइराला से. मनीषा के कैरेक्टर की आंखें चली जाती हैं. उधर शाहरुख के कैरेक्टर को पता चलता है कि उसे जानलेवा बीमारी है. अब वो अपनी आंखें उस लड़की को देना चाहता है. 

लेकिन फरहान की तरह उसके भी अब्बा नहीं मानते. मना पाता है या नहीं, ये नहीं बताएंगे. ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.    

कहां देखें: यूट्यूब 

#4. इंग्लिश बाबू देसी मेम (1996)
डायरेक्टर: प्रवीण निश्चल

विक्रम पैसेवाला है. विदेश में रहता है. एक दिन स्वदेस से आती है बुरी खबर. कि उसके भाई की डेथ हो गई है. विक्रम इंडिया लौटता है. अपने भतीजे का सहारा बनने के लिए. दोनों का रिश्ता उन्हें कितना बदलने का काम करता है, इसका एक पूरा सफर है. विक्रम के रोल में थे शाहरुख. और उनके साथ थीं सोनाली बेंद्रे, जिनका किरदार भतीजे का ध्यान रख रहा होता है. ‘इंग्लिश बाबू देसी मेम’ परफेक्ट फिल्म नहीं. लेकिन कुछ हिस्सों में ये मन में सुंदर भाव पैदा करने का काम करती है. उन मोमेंट्स के लिए ही फिल्म को देखा जा सकता है.       

कहां देखें: नेटफ्लिक्स 

#5. यस बॉस (1997)
डायरेक्टर: अज़ीज़ मिर्ज़ा 

yes boss
‘यस बॉस’ के एक स्टिल में शाहरुख और जूही चावला. 

शाहरुख खान को मन्नत और सुपरस्टारडम की जन्नत दिलाने वाली फिल्म. यहां उनका किरदार निहायती स्वार्थी किस्म का होता है. उसे चाहिए अपनी ऐड एजेंसी. उस चक्कर में बॉस की चापलूसी करने में नहीं शर्माता. बॉस के अफेयर छुपाने से उसकी अंतरात्मा को कोई आपत्ति नहीं. मामला गड़बड़ा तब जाता है, जब उसकी पसंद वाली लड़की पर बॉस की भी नज़र पड़ती है. फिर भी उनका किरदार राहुल मन मारकर बॉस की खिदमत में लगा रहता है. हालांकि आगे जाकर उसके पास चुनाव का रास्ता नहीं बचता. या तो अपनी एजेंसी ले सकता है या जिससे प्यार करता है उसे हासिल कर ले. एंड में वो गलत आदमी सही फैसला लेकर हीरो बनता है.    

कहां देखें: यूट्यूब

वीडियो: शाहरुख खान की पठान 1971 के बाद बांग्लादेश में रिलीज़ होने वाली पहली हिंदी फिल्म बन गई

thumbnail

Advertisement

Advertisement