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"चक दे इंडिया गाने के 7 वर्जन रिजेक्ट हुए, हम फिल्म छोड़ने वाले थे", ऐसे बनाया सलीम-सुलेमान ने गाना

"जो गाना चार महीनों में नहीं बना, वो एक घंटे में बन गया. हम लोग तड़प रहे थे. मर रहे थे. मगर गाना बन ही नहीं रहा था."

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Salim Merchant, Shahrukh Khan in Chak De India, Sulaiman Merchant
सलीम-सुलेमान ने 'चक दे इंडिया' के टाइटल सॉन्ग के पीछे की पूरी कहानी सुनाई.
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अंकिता जोशी
29 सितंबर 2025 (Updated: 29 सितंबर 2025, 10:21 PM IST)
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क्रिकेट हो, हॉकी हो या चेस...अगर भारत जीता, तो गाना एक ही गूंजेगा... ‘चक दे, ओ चक दे इंडिया...’ Shahrukh Khan की फिल्म Chak De! India का ये गाना देश का स्पोर्ट्स एंथम बन चुका है. ये गाना बजता है, तो करोड़ों हिंदुस्तानियों के दिल एक लय में धड़कते हैं. धमनियों में लहू तेज़ गति से दौड़ने लगता है. मगर कम ही लोग जानते हैं कि इस गाने के सात वर्जन बने, और सातों खारिज हो गए. चार महीने की तड़प के बाद ये धुन बनी. हाल ही में जब इसकी धुन बनाने वाले संगीतकार Salim-Sulaiman दी लल्लनटॉप के खास कार्यक्रम गेस्ट इन द न्यूज़रूम में आए, तो इस गाने के पीछे की पूरी कहानी बड़ी तफ़सील से सुनाई. 

सुलेमान ने कहा,

“ये गाना जब हमने शुरू किया था, तो डायरेक्टर शिमित अमीन ने हमारे हाथ में पूरी स्क्रिप्ट थमा दी. स्क्रिप्ट पढ़ते-पढ़ते मेरी आंखों में आंसू आ गए. जो पहला ख़्याल हमारे ज़ेहन में आया, वो ये था कि टाइटल सॉन्ग देशभक्ति की भावना से लबरेज़ होना चाहिए. ऐसा कि भारत की जीत के जश्न में चार चांद लग जाएं. उसके पीछे कबीर खान का दिल और उसकी भावनाओं को लोग महसूस कर सकें. गाने का पहला ड्राफ्ट जो हमने बनाया, उसे सुनकर जयदीप (लिरिसिस्ट जयदीप साहनी) ने कहा, ये क्या बना दिया. गाना ऐसा हो जिसमें जीत का जश्न हो.”

सलीम ने पहला ड्राफ्ट गाकर सुनाया, जिसके बोल कुछ यूं थे, ‘सर उठाना है, जीत जाना है...’ धुन ये भी सुंदर थी. मगर तीर निशाने पर लग नहीं रहा था. आगे की कहानी सुनाते हुए सलीम ने कहा,

“ये वर्जन रिजेक्ट हुआ तो हमने सेकेंड वर्जन बनाया. इस बार थोड़ा फास्ट बनाया. ये भी खारिज. तीसरा वर्जन इसी फिल्म के एक और गाने 'चल ज़रा ज़रा सा ज़रा ज़रा सा…’ जैसा ही था. इतना गंदा... मुझे पसंद ही नहीं आ रहा था वो वर्जन. तीसरे-चौथे वर्जन तक दिल इस काम को टालने लगा था.”

इस बारे में सुलेमान ने आगे कहा,

“सलीम बोला इन लोगों को समझ नहीं आ रहा कि हम क्या बना रहे हैं. हम फिल्म छोड़ देते हैं. मैंने कहा नहीं यार. फिल्म कमाल की बनेगी. हमने पांच-छह वर्जन बनाए, कोई फाइनल नहीं हो सका.”

फिर सलीम ने बताया कि कैसे एक-एक करके उनकी बनाई सात धुनें खारिज हो गईं. उन्होंने कहा,

“जो हम लोग कर रहे हैं, वो न उनको पंसद आ रहा है, न हमें. तो हम ये फिल्म कर क्यों रहे हैं? मगर सुलेमान नहीं माना. फिर हमने शिमित अमीन और आदित्य चोपड़ा को स्टूडियो में बुलाया. पूछा कि आखिर आप चाहते क्या हो? आदित्य चोपड़ा ने कहा कि ‘इंडिया हॉकी खेले, क्रिकेट खेले या कोई भी खेल खेले... गाना ऐसा हो, जो पूरा भारत गाए. स्पोर्ट्स एंथम बनाना है यार'. एक दम गर्म कर दिया हम लोगों को. फिर उन्होंने गाया ‘जुम्मा चुम्मा दे दे…..’ बोले पूरी दुनिया कैसे ये गाना गा रही थी. बस वैसा गाना चाहिए. ‘जुम्मा चुम्मा…’ की तर्ज पर ही आदित्य ने गाया ‘चक दे, चक दे इंडिया’. इसमें मैंने एक चीज़ पकड़ ली कि चक दे इन्होंने दो बार गाया. और वो अच्छा लग रहा था. मैंने सॉन्ग राइटर जयदीप को स्टूडियो बुलाया. मैंने कहा हर बार पहले हम गाना बनाते हैं, फिर तू लिखता है. इस बार उल्टा करेंगे. तू लिख पहले. कुछ कर. बस, उसने पहली लाइन ही लिखी ‘कुछ करिए…' चूंकि हम चक दे दो बार यूज़ करने वाले थे, तो उसने लिख दिया. ‘कुछ करिए, कुछ करिए, नस नस मेरी खौले, अब कुछ करिए…’ उसी वक्त हमने धुन बनाने की शुरुआत कर दी. लगने लगा था कि कुछ अच्छा बन रहा है. जो गाना चार महीनों में नहीं बना, वो एक घंटे में बन गया. हम लोग तड़प रहे थे. मर रहे थे. मगर गाना बन ही नहीं रहा था. शब्दों ने सारा खेल जमा दिया. हमने मुखड़ा बनाया और फिर मैंने सुक्खी (सुखविंदर) को कहा, सुक्खी यार ये गाना बहुत अच्छा बन रहा है. आ सकते हो? वो आए और जिस तरह से उसने जान लगाकर गाया, हमें फीलिंग आ गई थी कि यही है वो गाना. रोंगटे खड़े हो गए हमारे.”

सलीम ने बताया कि इस गाने को परवाज़ मिली टीम इंडिया की जीत से. उन्होंने कहा,

“ये गाना, ये फिल्म असल में हिट तब हुए जब इंडिया (2007) T20 वर्ल्ड कप जीती. वीकेंड पर इसने अच्छी ओपनिंग नहीं ली थी. मंडे से पिकअप किया. उसी वीकेंड पर इंडिया-पाक का मैच था. जब धोनी और टीम लौट रही थी, तब ये गाना और उठने लगा.”

सुलेमान ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा,

“(2011) ODI वर्ल्ड कप के समय मैं बालकनी में बैठा हुआ था. इंडिया मैच जीत गई थी. लोग वानखेड़े स्टेडियम से लौट रहे थे. हाथों में तिरंगे थे और हर गाड़ी में ‘चक दे इंडिया…’ बज रहा था. वो नज़ारा मैं भूल नहीं सकता. अब ऐसा लगता है ये हमारा नहीं, ये देश का गाना है.”

‘चक दे इंडिया’ फिल्म 2007 में रिलीज़ हुई थी. ये इंडियन नेशनल हॉकी टीम के प्लेयर मीर रंजन नेगी की रियल लाइफ स्टोरी से प्रेरित है. फिल्म में शाहरुख ने उन्हीं का किरदार निभाया है. सलीम-सुलेमान का पूरा इंटरव्यू आप दी लल्लनटॉप की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं. 

वीडियो: गेस्ट इन द न्यूजरूम: 'चक दे' को एंथम बनाने वाले सलीम-सुलेमान ने शाहरुख खान के बारे में सब बताया

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