पाकिस्तान की ऑस्कर एंट्री वाली फिल्म 'जॉयलैंड', जिसे देखने के लिए भारतीयों ने लाइन लगा दी
'द लीजेंड ऑफ़ मौला जट्ट' के बाद एक और पाकिस्तानी फिल्म ने धमाल मचा दिया है.

पाकिस्तानी फ़िल्म ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ ने पाकिस्तान में जलवा काटा. पूरी दुनिया में उसे नोटिस किया गया. अब एक और पाकिस्तानी फ़िल्म ने दुनिया में झंडे गाड़ दिए हैं. बॉक्स ऑफिस पर नहीं, बल्कि फिल्मों के क्रिटिकल गलियारे में. कान फ़िल्म फेस्टिवल में फ़िल्म दिखाई गई और लोग 10 मिनट तक खड़े होकर तालियां बजाते रहे. बाद में इसी फ़िल्म को दो अवॉर्ड मिले. पहला बेस्ट LGBTQ फ़िल्म के लिए 'क्वीर पाम' और दूसरा ‘अनसर्टेन रिगार्ड’ कैटगरी में ज्यूरी अवॉर्ड. फिल्म का नाम है ‘जॉयलैंड’.
'जॉयलैंड' कान में पुरस्कार जीतने वाली पहली फ़िल्म बनी. इसी फ़िल्म को मेलबर्न के इंडियन फ़िल्म फेस्टिवल में भारतीय उपमहाद्वीप की बेस्ट फ़िल्म का अवॉर्ड मिला. 'जॉयलैंड' को पाकिस्तान की तरफ़ से ऑस्कर्स में ऑफ़िशियल एंट्री में भी भेजा गया है. ये पाकिस्तानी सिनेमा इतिहास की दसवीं फ़िल्म है, जिसे ऑस्कर्स के लिए भेजा गया है. 4 नवंबर को इसका ट्रेलर आया है. इसे 18 नवंबर को पाकिस्तान में रिलीज़ किया जाना है.
'जॉयलैंड' लाहौर के एक मिडल क्लास राणा परिवार की कहानी है. पितृसत्ता और दकियानूसी विचारों में गले-गले तक डूबा हुआ परिवार, अपने बेटों और बहू पर वो नियम थोपना चाहता है. परिवार अपने बच्चों से नाती-पोतों की उम्मीद करता है. पर धीरे से एक बड़ा परिवर्तन होता है. परिवार का छोटा बेटा हैदर, बिब्बा के प्यार में गिरफ्तार हो जाता है. बिब्बा एक थिएटर आर्टिस्ट है, साथ ही डांसर भी है. पर यहां मेन मसला उसका थिएटर से होना या डांसर होना नहीं, बल्कि ट्रांसजेंडर होना है. यहीं से कॉनफ्लिक्ट उपजता है. हैदर और बिब्बा का प्रेम राणा परिवार के दूसरे सदस्यों में भी धीरे-धीरे सेक्सुअल विद्रोह की भावना को जन्म देता है. ट्रेलर से ये फ़िल्म पाकिस्तान के जॉयलैंड यानी लाहौर के दुख, पिछड़ेपन और विद्रोह की कहानी मालूम होती है. जहां एलजीबीटीक्यू, पितृसत्ता और सेक्सुअल आज़ादी की बात हो रही है. खास बात ये है कि फ़िल्म भले पाकिस्तान में सेट है, पर जिस समस्या को ऐड्रेस करती है वो भारत में भी बड़े पैमाने पर मौजूद है.
इसमें बिब्बा का रोल अलीना खान ने निभाया है. वो पाकिस्तानी ट्रांसजेंडर ऐक्टर हैं. हैदर के रोल में अली जुनेजो हैं. सरवत गिलानी भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. सरवत को इससे पहले ज़ी5 की सीरीज़ 'चुड़ैल्स' में देखा गया था. इसे सायम सादिक़ ने डायरेक्ट किया है. उनकी पहली ही शॉर्ट फ़िल्म Nice Talking To You को तमाम फ़िल्म फेस्टिवल्स में सराहा गया था. इसने अवॉर्ड भी जीते थे. इसके बाद उनकी दूसरी शॉर्ट 'डार्लिंग' को भी वेनिस और टोरंटो समेत कई फ़िल्म फेस्टिवल में पुरस्कार मिले. 'डार्लिंग' में उन्होंने ट्रांस डांसर्स की दुनिया को एक्सप्लोर किया था. इस फ़िल्म में भी अलीना खान ने काम किया था. ये उनकी पहली फ़िल्म थी. इसे सरमद सुल्तान खूसट और अपूर्व गुरु चरन ने मिलकर प्रोड्यूस किया है. अपूर्व के पैरेंट्स भारतीय हैं. उनका जन्म हैदराबाद में हुआ था. अभी वो लॉस एंजिलस में रहकर फ़िल्में बनाती हैं.
कान और मेलबर्न के इंडियन फ़िल्म फेस्टिवल में जलवा बिखेरने के बाद 'जॉयलैंड' को भारत लाया गया. इसे तीन से छह नवंबर तक धर्मशाला में चले इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में दिखाया गया. लोग लहालोट हो गए. हॉल इतना भर गया कि लोगों ने ज़मीन पर बैठकर फ़िल्म देखी. एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक जनता वेन्यू के बाहर फ़िल्म देखने के लिए पहले से ही लाइन लगाकर खड़ी हो गई. फ़िल्म देखकर लोग रोने लगे. एक दूसरे को लगे लगाने लगे. भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक तनावों के बीच ये एक सुखद खबर है. कला हमेशा सबको जोड़ती है. 'जॉयलैंड' ने भी यही काम किया है. खैर, देखते हैं ऑस्कर्स में क्या होता है? इसे नॉमिनेशन मिलता है या नहीं. भारत की ओर से 'छेल्लो शो' को ऑस्कर्स में ऑफ़िशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया है. राजमौली ने भी RRR के लिए पूरा जोर लगा रखा है. देखते हैं क्रिकेट के बाद क्या ऑस्कर्स में भी भारत-पाकिस्तान का मुकाबला होगा?
जब 'छेल्लो शो' देखकर आशुतोष गोवारिकर ने पहले ही ऑस्कर की घोषणा कर दी थी