Movies like KGF 2 including Rangasthalam, Ugramm, Vivegam and Lucifer

KGF 2 से भी ज़्यादा धांसू हैं साउथ की ये 5 फिल्में

KGF 2 has become a box office rage. Know about the movies which are similar in theme to Yash's blockbuster including Ram Charan's Rangasthalam, Ajith's Vivegam, Prashanth Neel's Ugramm and Mohanlal' s Lucifer.
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वो 5 फिल्में, जहां हीरो को 70 एमएम के परदे में फिट करना मुश्किल था.
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KGF 2. एक एंटी ग्रैविटी फिल्म. ऐसी फिल्म, जहां मेकर्स हीरो को लार्जर दैन लाइफ दिखाने के चक्कर में फिज़िक्स के नियमों से लोहा ले लेते हैं. इससे पहले फैन्स सुनकर भड़कें, KGF के डायरेक्टर प्रशांत नील खुद मानते हैं कि ये एंटी ग्रैविटी फिल्म है, क्योंकि सब्जेक्ट की डिमांड यही थी. फिल्म पर चाहे कुछ भी लेबल चिपकाया जाए, लेकिन KGF 2 को बहुत बड़ी मात्रा में फुटफॉल मिला है. यही वजह है कि फिल्म ने अपने पहले छह दिनों में 645 करोड़ रुपए का वर्ल्डवाइड कलेक्शन कर लिया.

जिस लार्जर दैन लाइफ हीरो की वजह से फिल्म को नेगेटिव क्रिटिसिज़्म मिला, उसी फैक्टर ने पैसा बनाकर दिया. ये पहला मौका नहीं, जब परदे पर हमने ऐसे हीरो देखे हों. जो लड़की को “सबक” सिखाना अपना धर्म समझते हों. या दर्जनों गुंडों को हवा-हवाई करते हों. ऐसी फिल्मों का एक सेट टेम्पलेट है. इसलिए KGF 2 देखने के बाद अगर जी नहीं भरा हो, तो आपको ऐसी ही कुछ और फिल्में बताते हैं, जहां हीरो ऐसी ही हरकतें करता है.

#1. उग्रम
डायरेक्टर: प्रशांत नील
कास्ट: श्रीमुरली, हरिप्रिया, तिलक
कहां देखें: जी5

परदे पर रॉकी भाई को लाने से पहले प्रशांत नील पिच रेडी कर रहे थे. ऐसा उन्होंने किया एक और लार्जर दैन लाइफ हीरो के ज़रिए. KGF फैन्स को प्रशांत नील की डेब्यू फिल्म ‘उग्रम’ देखनी चाहिए. पहली फिल्म वाली रॉ-नेस देखने को मिलेगी. कहानी का सेंट्रल कैरेक्टर एक कॉमन मैन है. अपने आसपास क्राइम होते देखता है, बस फिर उसके खिलाफ खड़ा हो जाता है. ये टेम्पलेट सिनेमा की दुनिया में कोई नया नहीं. लेकिन ‘उग्रम’ के लिए काम करने वाला फैक्टर था उसका एक्शन. KGF की तरह प्रशांत ने फिल्म के विज़ुअल फ़ील पर स्पेशल ध्यान दिया.


KGF वाली टीम से सिनेमैटोग्राफर भुवन गौड़ा और म्यूज़िक डायरेक्टर रवि बसरूर भी ‘उग्रम’ के क्रू का हिस्सा थे. फिल्म को बनने में करीब चार साल लगे. बॉक्स ऑफिस रेज नहीं बन पाई, फिर भी प्रशांत को इतना कॉन्फिडेंस दे दिया कि वो KGF जैसी फिल्म बना पाएं.

#2. रंगस्थलम
डायरेक्टर: सुकुमार
कास्ट: राम चरण, समांथा प्रभु, जगपति बाबू
कहां देखें: डिज़्नी+ हॉटस्टार

हिंदी ऑडियंस के बीच तेलुगु फिल्मों के डायरेक्टर सुकुमार 2021 में आई ‘पुष्पा: द राइज़’ से पॉपुलर हुए. उससे पहले उनका नाम हिंदी बेल्ट में उठा था 2004 में आई ‘आर्या’ से. मगर इन दोनों फिल्मों के बीच उनकी एक और फिल्म आई थी, बड़े सुपरस्टार के साथ. ‘रंगस्थलम’ की कहानी सेट है इसी नाम के एक गांव में. जहां का मुखिया खुद को भगवान की तरह मानता है, और गांववालों का शोषण करता है. उसके खिलाफ किसी को तो लोगों का मसीहा बनकर आना था. बस ये काम करता है राम चरण का कैरेक्टर चिट्टी बाबू. ‘रंगस्थलम’ एक फॉर्मूला फिल्म है, जो अच्छाई और बुराई वाले ढर्रे पर दौड़ती है. यहां सुकुमार ने अपने विलेन को लार्जर दैन लाइफ बनाया, ताकि हीरो को भी उसके बराबर लाकर खड़ा किया जा सके. अगर विलेन कमजोर होता और हीरो लार्जर दैन लाइफ, तो कहानी ऑडियंस को खटकती.

फिल्म के एक शॉट में राम चरण.

आपको पता है कि एंड में क्या घटने वाला है, फिर भी वहां तक पहुंचने की एंटीसिपेशन रहती है.

#3. 1 नेनोक्काडिने
डायरेक्टर: सुकुमार
कास्ट: महेश बाबू, कृति सैनन, सयाजी शिंदे
कहां देखें: यूट्यूब

‘1 नेनोक्काडिने’ एक टिपिकल महेश बाबू फिल्म थी. जिसने रिलीज़ से पहले सोशल मीडिया को दो धड़ों में बांट दिया. उसकी वजह थी फिल्म का एक पोस्टर. जहां महेश बाबू एक बीच पर चलते हुए पोज़ दे रहे हैं, वो पीछे मुड़कर देख रहे हैं. यहां तक सब ठीक था. लेकिन वो पीछे मुड़कर देख रहे हैं कृति सैनन की ओर, जो अपने घुटनों के बल बैठी-बैठी उनके पीछे आ रही है. अब फिल्म को सोशल मीडिया पर बांटने वाली कहानी बताते हैं. हुआ ये कि फिल्म की रिलीज़ से कुछ दिन पहले समांथा प्रभु ने एक ट्वीट किया,

एक आने वाली तेलुगु फिल्म का पोस्टर देखा. और वो सिर्फ रिग्रेसिव नहीं है. बल्कि उसका पॉइंट ही यही है कि वो रिग्रेसिव है.

फिल्म का पोस्टर जिस पर कंट्रोवर्सी हुई.

समांथा ने फिल्म का नाम नहीं लिया, फिर भी महेश बाबू फैन ग्रुप्स ने उन्हें टारगेट कर खूब ट्रोल किया. बाद में महेश बाबू ने भी समांथा की बात पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी. हीरो सेंट्रिक फिल्मों में एक चीज़ कॉमन होती है. वहां हीरो के अलावा किसी किरदार की कोई आइडेंटिटी नहीं, उनके कोई एम्बिशन नहीं, खासतौर पर फीमेल कैरेक्टर्स, जिन्हें ज्यादातर प्रॉप्स की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इस फिल्म के साथ भी कुछ ऐसा ही था. यहां आपको महेश बाबू के स्लो मोशन एक्शन शॉट्स देखने को मिलेंगे, बस फीमेल पक्ष कमजोर है.

#4. विवेगम
डायरेक्टर: सिवा
कास्ट: अजीत, विवेक ओबेरॉय, अक्षरा हासन
कहां देखें: डिज़्नी+ हॉटस्टार

एक मास मसाला फिल्म दो काम करती है, आपके थिएटर एक्सपीरियेंस को धुआंधार बना देती है. जहां आप हूटिंग करते, सीटियां बजाते नहीं थकते. दूसरा है कि ये फिल्म के स्टार के फैन्स को शिकायत करने का मौका नहीं देती. यानी कम्प्लीट फैन सर्विस होती है. अजीत की फिल्म ‘विवेगम’ इन दोनों पैमानों पर सही बैठती है. आप ऐसी कहानी में लॉजिक नहीं तलाशते. बस हीरो को कुछ अप्राकृतिक करते देखते हैं और एन्जॉय करते हैं.

अजीत के फैन्स को केटर करने के लिए बनाई गई थी ‘विवेगम’.


फिल्म के पहले सीन में एक नेगेटिव किरदार कहता है कि इस इलाके में आने के लिए हवा को भी मेरी परमिशन चाहिए. कट होता है और हम अजीत को देखते हैं. हवा उनके बालों को छूकर गुज़र रही है. मेकर्स भली-भांति जानते हैं कि ऐसे ही मोमेंट्स पर सीटियां बजती हैं. फिल्म में कुछ वॉर सीक्वेंस भी हैं, जहां अजीत जो करते हैं उसमें फैन्स दिमाग नहीं लगाते, बस ‘भाई क्या सीन है’ बोलकर एन्जॉय करते हैं.

#5. लुसिफ़र
डायरेक्टर: पृथ्वीराज सुकुमारण
कास्ट: मोहनलाल, मंजु वॉरियर, टोविनो थॉमस
कहां देखें: अमेज़न प्राइम वीडियो

ज़मीन से जुड़ी कहानियां दिखाना मलयालम सिनेमा का सेलिंग पॉइंट है. पृथ्वीराज सुकुमारण ने अपनी फिल्म ‘लुसिफ़र’ में दोनों फैक्टर जोड़ने की कोशिश की, ज़मीनी हकीकत भी और मास अपील भी. फिल्म बुराई को हाइलाइट करती है, कि क्यों वो हमारी राजनीति से लेकर हमारे सर्वाइवल तक के लिए ज़रूरी है. लेकिन अपने हीरो को कहानी से बड़ा बनाने के चक्कर में फिल्म ये बात भूल जाती है. जैसे एक सीन है जहां मोहनलाल के किरदार स्टीवन को कुछ गुंडों ने घेर लिया है. उनमें से एक ने स्टीवन ने माथे पर बंदूक तान रखी है. कुछ स्लो मोशन शॉट्स, हवा में घूमते मुक्कों के बाद स्टीवन बंदूक थामे खड़ा दिखता है. वो अपने हाथों से ही सभी को बुरी तरह घायल कर देता है.

पृथ्वीराज सुकुमारण के डायरेक्शन में बनी फिल्म.

फिल्म के ट्रेलर में भी ये बताया गया कि स्टीवन कोई आम आदमी नहीं है. फिल्म बस उसी के स्केल को बड़ा करने में लगी रहती है.


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